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जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के साथ इसरो का प्रयास - जीएसएलवी

इसरो द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रहों को छोड़े जाने के मामले में कई सफलताएं प्राप्त की हैं. लेकिन स्पेसफ्लाइट नाउ के अनुसार, 2017 के बाद से किसी भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण में यह पहली विफलता है. इस दौरान 14 सफल मिशन को अंजाम को पूरा किया जा चुका है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

जीएसएलवी प्रक्षेपण यान
जीएसएलवी प्रक्षेपण यान
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Published : Aug 13, 2021, 3:42 PM IST

हैदराबाद : ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (PSLV) ने स्वयं को विविध अभियानों के लिए सर्वतोमुखी यान साबित किया है और अब वह इसरो का कमाऊ पूत है. यह, प्रमोचनात्मक स्थिति प्राप्त करनेवाला प्रथम प्रमोचक था.

पीएसएलवी राष्ट्रीय अपेक्षाओं तथा अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ताओं की प्रमोचन संबंधी अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है. पीएसएलवी की लगातार सफलताओं की लंबी श्रृंखला तथा एक-साथ अनेक उपग्रहों का प्रमोचन करने की क्षमता ने उसे वैश्विक बाज़ार में एक विश्वसनीय, सर्वतोमुखी और कम खर्चवाले प्रमोचक के रूप में मज़बूती से खड़ा कर दिया है.

स्पेसफ्लाइट नाउ के अनुसार, इसरो ने पुष्टि की है कि जीएसएलवी एमके 2 लॉन्च क्रायोजेनिक चरण में विफल रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के बाद से किसी भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण में यह पहली विफलता है. इस दौरान लगातार 14 सफल मिशन को अंजाम दिया जा चुका है.

जीएसएलवी का ट्रैक रिकॉर्ड: 2001 में पहली उड़ान के बाद से जीएसएलवी रॉकेट के 14 प्रक्षेपणों में यह चौथी विफलता है, जो उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा में भेजा जा सकता है. जीएसएलवी को आखिरी बार दिसंबर 2018 में भेजा गया था.

पीएसएलवी वीएस जीएसएलवी : इसकी तुलना में, पीएसएलवी की 53 में से दो उड़ानें असफल रहीं - पहली 1993 में जब रॉकेट अपने विकास के चरण में था और दूसरा पीएसएलवी सी -39 2017 में जब उपग्रह की रक्षा करने वाला हीट शील्ड नहीं खुला .

ईओएस उपग्रह की खूबियां
ईओएस-03 अति उन्नत उपग्रह है, जिसे जीएसएलवी एफ 10 यान की मदद से धरती की कक्षा में स्थापित किया जाना था. अगर यह परीक्षण सफल होता है तो भारत की ताकत में और इजाफा होगा और मौसम संबंधी गतिविधियों को समझने में और आसानी होगी.

ईओएस-03 उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप में बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की लगभग रीयल टाइम निगरानी में सक्षम होगा क्योंकि यह प्रमुख पर्यावरणीय और मौसम परिवर्तनों से गुजरता है.

इसरो की विफलताओं का घटनाक्रम

  • 12 अगस्त 21 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) ईओएस-3 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा.
  • 7 सितंबर, 2019: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान को उतारने का भारत का प्रयास विफल हो गया जब इसरो का उपग्रह से संपर्क टूट गया. उपग्रह अपने रास्ते से भटक गया.
  • 31 अगस्त, 2017: पीएसएलवी-सी39 अपनी 41वीं उड़ान में विफल हो गया जब इसे आईआरएनएसएस-1एच लॉन्च करना था.
  • 25 दिसंबर 2010: जीएसएलवी-एफ 06 का प्रक्षेपण चरण -1 में खराबी के कारण असफल रहा.
  • 10 जुलाई, 2006: जीएसएलवी (जीएसएलवी-एफ02) की दूसरी परिचालन उड़ान इनसैट-4सी के साथ थी. लेकिन उपग्रह को कक्षा में नहीं रखा जा सका. जिसकी वजह से रॉकेट समुद्र में गिर गया.
  • 20 सितंबर, 1993: आईआरएस-1ई के साथ पीएसएलवी का पहला विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 13 जुलाई, 1988: एसआरओएसएस-2 के साथ एएसएलवी का दूसरा विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 24 मार्च, 1987: बोर्ड पर एसआरओएसएस-1 उपग्रह के साथ एएसएलवी का पहला विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 10 अगस्त, 1979: रोहिणी प्रौद्योगिकी पेलोड के साथ एसएलवी-3 का पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.

हैदराबाद : ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (PSLV) ने स्वयं को विविध अभियानों के लिए सर्वतोमुखी यान साबित किया है और अब वह इसरो का कमाऊ पूत है. यह, प्रमोचनात्मक स्थिति प्राप्त करनेवाला प्रथम प्रमोचक था.

पीएसएलवी राष्ट्रीय अपेक्षाओं तथा अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ताओं की प्रमोचन संबंधी अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है. पीएसएलवी की लगातार सफलताओं की लंबी श्रृंखला तथा एक-साथ अनेक उपग्रहों का प्रमोचन करने की क्षमता ने उसे वैश्विक बाज़ार में एक विश्वसनीय, सर्वतोमुखी और कम खर्चवाले प्रमोचक के रूप में मज़बूती से खड़ा कर दिया है.

स्पेसफ्लाइट नाउ के अनुसार, इसरो ने पुष्टि की है कि जीएसएलवी एमके 2 लॉन्च क्रायोजेनिक चरण में विफल रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के बाद से किसी भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण में यह पहली विफलता है. इस दौरान लगातार 14 सफल मिशन को अंजाम दिया जा चुका है.

जीएसएलवी का ट्रैक रिकॉर्ड: 2001 में पहली उड़ान के बाद से जीएसएलवी रॉकेट के 14 प्रक्षेपणों में यह चौथी विफलता है, जो उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा में भेजा जा सकता है. जीएसएलवी को आखिरी बार दिसंबर 2018 में भेजा गया था.

पीएसएलवी वीएस जीएसएलवी : इसकी तुलना में, पीएसएलवी की 53 में से दो उड़ानें असफल रहीं - पहली 1993 में जब रॉकेट अपने विकास के चरण में था और दूसरा पीएसएलवी सी -39 2017 में जब उपग्रह की रक्षा करने वाला हीट शील्ड नहीं खुला .

ईओएस उपग्रह की खूबियां
ईओएस-03 अति उन्नत उपग्रह है, जिसे जीएसएलवी एफ 10 यान की मदद से धरती की कक्षा में स्थापित किया जाना था. अगर यह परीक्षण सफल होता है तो भारत की ताकत में और इजाफा होगा और मौसम संबंधी गतिविधियों को समझने में और आसानी होगी.

ईओएस-03 उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप में बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की लगभग रीयल टाइम निगरानी में सक्षम होगा क्योंकि यह प्रमुख पर्यावरणीय और मौसम परिवर्तनों से गुजरता है.

इसरो की विफलताओं का घटनाक्रम

  • 12 अगस्त 21 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) ईओएस-3 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा.
  • 7 सितंबर, 2019: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान को उतारने का भारत का प्रयास विफल हो गया जब इसरो का उपग्रह से संपर्क टूट गया. उपग्रह अपने रास्ते से भटक गया.
  • 31 अगस्त, 2017: पीएसएलवी-सी39 अपनी 41वीं उड़ान में विफल हो गया जब इसे आईआरएनएसएस-1एच लॉन्च करना था.
  • 25 दिसंबर 2010: जीएसएलवी-एफ 06 का प्रक्षेपण चरण -1 में खराबी के कारण असफल रहा.
  • 10 जुलाई, 2006: जीएसएलवी (जीएसएलवी-एफ02) की दूसरी परिचालन उड़ान इनसैट-4सी के साथ थी. लेकिन उपग्रह को कक्षा में नहीं रखा जा सका. जिसकी वजह से रॉकेट समुद्र में गिर गया.
  • 20 सितंबर, 1993: आईआरएस-1ई के साथ पीएसएलवी का पहला विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 13 जुलाई, 1988: एसआरओएसएस-2 के साथ एएसएलवी का दूसरा विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 24 मार्च, 1987: बोर्ड पर एसआरओएसएस-1 उपग्रह के साथ एएसएलवी का पहला विकासात्मक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
  • 10 अगस्त, 1979: रोहिणी प्रौद्योगिकी पेलोड के साथ एसएलवी-3 का पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण. उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
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