तिरुनेलवेली: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो वैज्ञानिक गगनयान अंतरिक्ष कार्यक्रम में पूरी तरह से जुट गए हैं और इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहे हैं. इसी उद्देश्य से नेल्लाई में हुआ इंजन परीक्षण सफल रहा है. महेंद्रगिरि अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुनेलवेली जिले के पनागुड़ी के पास स्थित है.
इस अंतरिक्ष केंद्र में इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए गगनयान कार्यक्रम के तहत भेजे जाने वाले सैटेलाइट में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण और परीक्षण कई चरणों में किया जा रहा है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो गगनयान प्रोजेक्ट के तहत एक रॉकेट से तीन इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है.
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Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The rover was rotated in search of a safe route. The rotation was captured by a Lander Imager Camera.
It feels as though a child is playfully frolicking in the yards of Chandamama, while the mother watches affectionately.
Isn't it?🙂 pic.twitter.com/w5FwFZzDMp
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Isn't it?🙂 pic.twitter.com/w5FwFZzDMpChandrayaan-3 Mission:
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The rover was rotated in search of a safe route. The rotation was captured by a Lander Imager Camera.
It feels as though a child is playfully frolicking in the yards of Chandamama, while the mother watches affectionately.
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वे ऐसे शोध में शामिल होने जा रहे हैं, जो इंसानों को धरती से करीब 400 किमी दूर अंतरिक्ष की यात्रा कराएगा. शोध के बाद तीनों लोगों को सुरक्षित धरती पर वापस लाने के लिए इसरो सक्रियता से काम कर रहा है. पूर्वावलोकन के तौर पर इसरो गगनयान परियोजना के तहत मानवरहित रॉकेट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.
इसके अलावा, इसरो के पास अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजने के पूर्वावलोकन के रूप में मानव रहित रॉकेट पर रोबोट भेजने और परीक्षण करने की एक बड़ी योजना है. इसलिए, गगनयान परियोजना ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में बड़ी उम्मीदें पैदा की हैं.
इसी संदर्भ में गगनयान परियोजना के लिए सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण बुधवार (30 अगस्त) नेल्लई महेंद्रगिरि अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र में किया गया. इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि 720 सेकेंड तक चला परीक्षण सफल रहा. गगनयान अंतरिक्ष कार्यक्रम एलवीएम 3 रॉकेट के ऊपरी चरण को शक्ति प्रदान करने के लिए सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करेगा.
इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सफलता को गगनयान परियोजना के अगले मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है. गौरतलब है कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने गगनयान परियोजना के अगले चरण का काम तेज कर दिया है क्योंकि अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत के विकास पर दुनिया की नजर है.