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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह : अपने मंदिर में जब विराजेंगे रामलला, साक्षी बनेंगे शिव नगरी के संत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 4, 2023, 4:59 PM IST

अयोध्या में भगवान राम (Lord Ram in Ayodhya) के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी काशी के साधु-संत और प्रबुद्धजन भी बनेंगे. रामलला का आमंत्रण शिवनगरी पहुंच चुका है और इसे लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा भी है.

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए काशी के संतों को आमंत्रण मिला है.
अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए काशी के संतों को आमंत्रण मिला है.
अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए काशी के संतों को आमंत्रण मिला है.

वाराणसी : भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण प्रगति पर है. पूरे देश की निगाहें इसकी भव्यता और सुंदरता पर टिकी हैं. साथ ही इंतजार उस पल का है, जब रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे. धीरे-धीरे वह पल नजदीक आ रहा है जब 22 जनवरी को मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दिन पूरा विश्व अयोध्या में हो रहे इस भव्य कार्यक्रम को देखेगा. इसे और भव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और मंदिर ट्रस्ट ने बड़ी तैयारी की है. इसी क्रम में शिव नगरी काशी में भी रामलला का आमंत्रण पत्र पहुंचा गया है, जिसमें संत, विद्वानों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को भी बुलाया गया है. कई युगों से हनुमान गढ़ी में विराजमान भगवान हनुमान भी भाव विभोर हो उठेंगे. ऐसे में सब कुछ सही से हो और विधि-विधान से हो, इसके लिए देशभर के संतों को अयोध्या में आमंत्रित किया जा रहा है.

इस बारे में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के प्रबंधन के लिए जो समिति बनी है, उसका मैं हिस्सा हूं. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं. ऐसे में स्वयं को इसके लिए आमंत्रण देना मेरे लिए प्रसन्नता का विषय नहीं है. मेरे लिए खुशी का विषय तो यह है कि काशी विश्वनाथ धाम का जो कॉरिडोर बना, मैं इसके शिलान्यास का भी साक्षी हूं. उद्घाटन का भी साक्षी हूं. श्रीराम जन्मभूमि का जो पहला शिलान्यास 9 नवंबर 1889 को हुआ था, मैं उसका भी साक्षी हूं. 5 अगस्त 2020 के भूमि पूजन की व्यवस्था का भी मैं व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं.'

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- अतिथियों के स्वागत के लिए हम तैयार

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, 'यह कहूं कि 9 नवंबर 1989 के बाद के प्रत्येक कार्यक्रम में व्यवस्था का हिस्सा हूं तो यह ज्यादा उपयुक्त शब्द है. अब श्रीराम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों में मेजबान की भूमिका है. अतिथियों के स्वागत के लिए हम तैयार हैं. इसलिए जीवन में इससे बड़ी खुशी कुछ भी नहीं होती कि आप अपनी आंखों में सपना देखें तो विश्वनाथ और भगवान राम पूरे हो रहे हैं. कृष्ण का भी सपना इन्हीं आंखों और इसी शरीर से पूरा हो जाए तो इससे बड़ी प्रसन्नता की बात क्या हो सकती है.'

काशी के 50 साधु-संतों और विद्वानों को आमंत्रण

काशी से फिलहाल 50 साधु-संतों और विद्वानों को आमंत्रण देने की जिम्मेदारी श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री गोविंद शर्मा को मिली है. उन्होंने कहा, '22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. इसमें देशभर के साधु-संतों को, विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को आमंत्रित किया गया है. काशी के संतों को, विद्वानों और यहां की हस्तियों को आमंत्रित करने के लिए मुझे एक दूत की भूमिका दी गई है, जो कि मेरे लिए बड़ी सौभाग्य की बात है. काशी के विभिन्न संतों को, विभिन्न अखाड़ों के संतों को, सारी परंपराओं के संतों को, विद्वानों को और जो पद्म सम्मान से सम्मानित विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां हैं, उनका आमंत्रण पत्र मुझे मिला है.'

यह भी पढ़ें : रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह: 4000 संतों को निमंत्रण भेज रहा ट्रस्ट; सलाह- छत्र, चंवर, ठाकुर जी को लेकर न आएं

यह भी पढ़ें : राम मंदिर : श्रद्धालुओं की बंपर भीड़ के साथ बन रहे नए रिकॉर्ड, युवा वर्ग भी पहुंच रहा रामलला के दर्शन करने

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए काशी के संतों को आमंत्रण मिला है.

वाराणसी : भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण प्रगति पर है. पूरे देश की निगाहें इसकी भव्यता और सुंदरता पर टिकी हैं. साथ ही इंतजार उस पल का है, जब रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे. धीरे-धीरे वह पल नजदीक आ रहा है जब 22 जनवरी को मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दिन पूरा विश्व अयोध्या में हो रहे इस भव्य कार्यक्रम को देखेगा. इसे और भव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और मंदिर ट्रस्ट ने बड़ी तैयारी की है. इसी क्रम में शिव नगरी काशी में भी रामलला का आमंत्रण पत्र पहुंचा गया है, जिसमें संत, विद्वानों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को भी बुलाया गया है. कई युगों से हनुमान गढ़ी में विराजमान भगवान हनुमान भी भाव विभोर हो उठेंगे. ऐसे में सब कुछ सही से हो और विधि-विधान से हो, इसके लिए देशभर के संतों को अयोध्या में आमंत्रित किया जा रहा है.

इस बारे में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के प्रबंधन के लिए जो समिति बनी है, उसका मैं हिस्सा हूं. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं. ऐसे में स्वयं को इसके लिए आमंत्रण देना मेरे लिए प्रसन्नता का विषय नहीं है. मेरे लिए खुशी का विषय तो यह है कि काशी विश्वनाथ धाम का जो कॉरिडोर बना, मैं इसके शिलान्यास का भी साक्षी हूं. उद्घाटन का भी साक्षी हूं. श्रीराम जन्मभूमि का जो पहला शिलान्यास 9 नवंबर 1889 को हुआ था, मैं उसका भी साक्षी हूं. 5 अगस्त 2020 के भूमि पूजन की व्यवस्था का भी मैं व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं.'

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- अतिथियों के स्वागत के लिए हम तैयार

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, 'यह कहूं कि 9 नवंबर 1989 के बाद के प्रत्येक कार्यक्रम में व्यवस्था का हिस्सा हूं तो यह ज्यादा उपयुक्त शब्द है. अब श्रीराम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों में मेजबान की भूमिका है. अतिथियों के स्वागत के लिए हम तैयार हैं. इसलिए जीवन में इससे बड़ी खुशी कुछ भी नहीं होती कि आप अपनी आंखों में सपना देखें तो विश्वनाथ और भगवान राम पूरे हो रहे हैं. कृष्ण का भी सपना इन्हीं आंखों और इसी शरीर से पूरा हो जाए तो इससे बड़ी प्रसन्नता की बात क्या हो सकती है.'

काशी के 50 साधु-संतों और विद्वानों को आमंत्रण

काशी से फिलहाल 50 साधु-संतों और विद्वानों को आमंत्रण देने की जिम्मेदारी श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री गोविंद शर्मा को मिली है. उन्होंने कहा, '22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. इसमें देशभर के साधु-संतों को, विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को आमंत्रित किया गया है. काशी के संतों को, विद्वानों और यहां की हस्तियों को आमंत्रित करने के लिए मुझे एक दूत की भूमिका दी गई है, जो कि मेरे लिए बड़ी सौभाग्य की बात है. काशी के विभिन्न संतों को, विभिन्न अखाड़ों के संतों को, सारी परंपराओं के संतों को, विद्वानों को और जो पद्म सम्मान से सम्मानित विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां हैं, उनका आमंत्रण पत्र मुझे मिला है.'

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