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अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम दिवस आज, जानें महत्व

27 जुन को अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम दिवस (Micro, Small and Medium-sized Enterprises Day) मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था और सतत विकास में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमियों के योगदान के बारे में जनजागरूकता बढ़ाना है. इसी उद्देश्य के साथ महासभा ने आज के दिन सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के दिवस की घोषणा की थी. जानिए, इस दिन की खासियत...

एमएसएमई दिवस
एमएसएमई दिवस
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Published : Jun 27, 2021, 9:25 AM IST

Updated : Jun 27, 2021, 9:43 AM IST

हैदराबाद : वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) और सतत विकास (sustainable development) में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमियों के योगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए महासभा ने 27 जून को अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम दिवस (Micro, Small and Medium-sized Enterprises Day- MSMEs Day) की घोषणा की थी.

इस साल दिवस का थीम- "एमएसएमई 2021: एक समावेशी और स्थायी वसूली की कुंजी" है.

MSMEs : एक समावेशी और सतत वसूली की कुंजी

कोविड-19 संकट (COVID-19 crisis) ने हमें सिखाया है कि महामारी (pandemic) और रोकथाम के उपाय सभी को समान रूप से प्रभावित नहीं करते हैं. निजी क्षेत्र में, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, जातीय अल्पसंख्यकों (ethnic minorities) और प्रवासी सबसे अधिक प्रभावित हुए. 136 देशों में व्यवसायों के बीच COVID-19 प्रभाव पर हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र के सर्वेक्षण (International Trade Centre survey) से पता चला है कि लगभग 62% महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे व्यवसाय इस संकट से काफी प्रभावित हुए हैं.

जैसे-जैसे सरकारें अपनी जनता का टीकाकरण कर रही हैं, वहीं, पूरी दुनिया अन्य कई चुनौतियों से निपटने में लगी है. जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैव विविधता (biodiversity) का नुकसान और प्रदूषण शामिल हैं. यदि इन संकटों का निदान नहीं किया जाए तो, इनका आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem), रोजगार और आजीविका पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है. MSMEs आने वाले जलवायु संकट के प्रति लचनशील (resilient) हो और अधिक सतत अर्थव्यवस्थाओं की ओर सम्मिलित संक्रमण के काल (transition) का माध्यम हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हम COVID-19 प्रतिक्रिया से क्या सबक सिख सकते हैं ?

औपचारिक और अनौपचारिक MSMEs सभी फर्मों और अकाउंट के 90 प्रतिशत से अधिक की क्षतिपूर्ति की, जो कि कुल रोजगार का औसतन 70 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का 50 प्रतिशत है. जैसे, वे लक्ष्य पाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

क्या आपको पता है ?

  • बढ़ते वैश्विक कार्यबल (global workforce) को पाने करने के लिए 2030 तक 600 मिलियन नौकरियों की जरूरत होगी, जो एसएमई (Small-to-Medium Enterprise- SME) विकास को दुनियाभर की कई सरकारों के लिए एक उच्च प्राथमिकता बना देगी.
  • उभरते बाजारों में, अधिकांश औपचारिक नौकरियां SMEs द्वारा उत्पन्न की जाती हैं, जो 10 में से 7 नौकरियों का सृजन करती हैं.
  • छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (small and medium-sized enterprises) में सालाना एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश में वृद्धि से सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) की दिशा में प्रगति के संदर्भ पर अनुपातहीन लाभांश (disproportionate dividends) प्राप्त होगा.
  • विकासशील देशों में छोटी फर्में जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक चिंतित : उप-सहारा अफ्रीका (sub-Saharan Africa) 8 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (International Trade Centre- ITC) के शोध के अनुसार, उनके व्यवसाय के लिए पर्यावरणीय जोखिम (environmental risks) महत्वपूर्ण हैं. विकसित देशों में सर्वे में शामिल आधी कंपनियों का यही कहना है.

भारत :

1 जुलाई 2020 से लागू संशोधित वर्गीकरण

समग्र मानदंड : संयंत्र और मशीनरी/उपकरणों में निवेश और वार्षिक कारोबार

वर्गीकरण - विनिर्माण उद्यम (Manufacturing Enterprises) और सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यम

सूक्ष्म - संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; पांच करोड़ रुपये से अधिक नहीं.

लघु - संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं

मध्यम- संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; 250 करोड़ से अधिक नहीं.

31.12.2020 तक कुल 5,37,677 उद्यमों ने विनिर्माण श्रेणी में पंजीकरण कराया जबकि 8,65,058 उद्यमों ने सेवा क्षेत्र के तहत पंजीकृत किया है.

  • पंजीकरण के शीर्ष 5 औद्योगिक क्षेत्र हैं - खाद्य उत्पाद, कपड़ा, परिधान, धातु उत्पाद और मशीनरी व उपकरण.
  • संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में 31.03.2021 तक पैन के बिना पंजीकरण की अनुमति है.
  • इसी तरह, इसी तरह, संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में 31.03.2021 तक जीएसटी संख्या के बिना पंजीकरण की भी अनुमति है.

MSME सेक्टर का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP), निर्यात और रोजगार सृजन के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office- CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics & Programme Implementation- MOSPI) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2016-17 के दौरान कुल GVA (Gross Value Added- GVA) में MSME का हिस्सा 31.8 प्रतिशत था.

वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (Directorate General of Commercial Intelligence and Statistics- DGCIS) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2018-19 के दौरान भारत से कुल निर्यात में MSME संबंधित उत्पादों का हिस्सा 48.10 प्रतिशत है.

2015-16 की अवधि के दौरान सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics & Programme Implementation) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey- NSS) के 73वें दौर के अनुसार, देश में अनिगमित गैर-कृषि MSMEs में श्रमिकों की अनुमानित संख्या 11.10 करोड़ है.

प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister’s Employment Generation Programme- PMEGP) के तहत वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के दौरान सूक्ष्म उद्यमों में उत्पन्न अनुमानित रोजगार (व्यक्तियों की संख्या) क्रमश: 3.58 लाख, 3.23 लाख, 4.08 लाख, 3.87 लाख और 5.87 लाख है.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के आंकड़े
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के आंकड़े

हैदराबाद : वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) और सतत विकास (sustainable development) में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमियों के योगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए महासभा ने 27 जून को अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम दिवस (Micro, Small and Medium-sized Enterprises Day- MSMEs Day) की घोषणा की थी.

इस साल दिवस का थीम- "एमएसएमई 2021: एक समावेशी और स्थायी वसूली की कुंजी" है.

MSMEs : एक समावेशी और सतत वसूली की कुंजी

कोविड-19 संकट (COVID-19 crisis) ने हमें सिखाया है कि महामारी (pandemic) और रोकथाम के उपाय सभी को समान रूप से प्रभावित नहीं करते हैं. निजी क्षेत्र में, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, जातीय अल्पसंख्यकों (ethnic minorities) और प्रवासी सबसे अधिक प्रभावित हुए. 136 देशों में व्यवसायों के बीच COVID-19 प्रभाव पर हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र के सर्वेक्षण (International Trade Centre survey) से पता चला है कि लगभग 62% महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे व्यवसाय इस संकट से काफी प्रभावित हुए हैं.

जैसे-जैसे सरकारें अपनी जनता का टीकाकरण कर रही हैं, वहीं, पूरी दुनिया अन्य कई चुनौतियों से निपटने में लगी है. जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैव विविधता (biodiversity) का नुकसान और प्रदूषण शामिल हैं. यदि इन संकटों का निदान नहीं किया जाए तो, इनका आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem), रोजगार और आजीविका पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है. MSMEs आने वाले जलवायु संकट के प्रति लचनशील (resilient) हो और अधिक सतत अर्थव्यवस्थाओं की ओर सम्मिलित संक्रमण के काल (transition) का माध्यम हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हम COVID-19 प्रतिक्रिया से क्या सबक सिख सकते हैं ?

औपचारिक और अनौपचारिक MSMEs सभी फर्मों और अकाउंट के 90 प्रतिशत से अधिक की क्षतिपूर्ति की, जो कि कुल रोजगार का औसतन 70 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का 50 प्रतिशत है. जैसे, वे लक्ष्य पाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

क्या आपको पता है ?

  • बढ़ते वैश्विक कार्यबल (global workforce) को पाने करने के लिए 2030 तक 600 मिलियन नौकरियों की जरूरत होगी, जो एसएमई (Small-to-Medium Enterprise- SME) विकास को दुनियाभर की कई सरकारों के लिए एक उच्च प्राथमिकता बना देगी.
  • उभरते बाजारों में, अधिकांश औपचारिक नौकरियां SMEs द्वारा उत्पन्न की जाती हैं, जो 10 में से 7 नौकरियों का सृजन करती हैं.
  • छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (small and medium-sized enterprises) में सालाना एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश में वृद्धि से सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) की दिशा में प्रगति के संदर्भ पर अनुपातहीन लाभांश (disproportionate dividends) प्राप्त होगा.
  • विकासशील देशों में छोटी फर्में जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक चिंतित : उप-सहारा अफ्रीका (sub-Saharan Africa) 8 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (International Trade Centre- ITC) के शोध के अनुसार, उनके व्यवसाय के लिए पर्यावरणीय जोखिम (environmental risks) महत्वपूर्ण हैं. विकसित देशों में सर्वे में शामिल आधी कंपनियों का यही कहना है.

भारत :

1 जुलाई 2020 से लागू संशोधित वर्गीकरण

समग्र मानदंड : संयंत्र और मशीनरी/उपकरणों में निवेश और वार्षिक कारोबार

वर्गीकरण - विनिर्माण उद्यम (Manufacturing Enterprises) और सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यम

सूक्ष्म - संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; पांच करोड़ रुपये से अधिक नहीं.

लघु - संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं

मध्यम- संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश : 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं और वार्षिक कारोबार; 250 करोड़ से अधिक नहीं.

31.12.2020 तक कुल 5,37,677 उद्यमों ने विनिर्माण श्रेणी में पंजीकरण कराया जबकि 8,65,058 उद्यमों ने सेवा क्षेत्र के तहत पंजीकृत किया है.

  • पंजीकरण के शीर्ष 5 औद्योगिक क्षेत्र हैं - खाद्य उत्पाद, कपड़ा, परिधान, धातु उत्पाद और मशीनरी व उपकरण.
  • संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में 31.03.2021 तक पैन के बिना पंजीकरण की अनुमति है.
  • इसी तरह, इसी तरह, संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में 31.03.2021 तक जीएसटी संख्या के बिना पंजीकरण की भी अनुमति है.

MSME सेक्टर का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP), निर्यात और रोजगार सृजन के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office- CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics & Programme Implementation- MOSPI) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2016-17 के दौरान कुल GVA (Gross Value Added- GVA) में MSME का हिस्सा 31.8 प्रतिशत था.

वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (Directorate General of Commercial Intelligence and Statistics- DGCIS) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2018-19 के दौरान भारत से कुल निर्यात में MSME संबंधित उत्पादों का हिस्सा 48.10 प्रतिशत है.

2015-16 की अवधि के दौरान सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics & Programme Implementation) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey- NSS) के 73वें दौर के अनुसार, देश में अनिगमित गैर-कृषि MSMEs में श्रमिकों की अनुमानित संख्या 11.10 करोड़ है.

प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister’s Employment Generation Programme- PMEGP) के तहत वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के दौरान सूक्ष्म उद्यमों में उत्पन्न अनुमानित रोजगार (व्यक्तियों की संख्या) क्रमश: 3.58 लाख, 3.23 लाख, 4.08 लाख, 3.87 लाख और 5.87 लाख है.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के आंकड़े
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के आंकड़े
Last Updated : Jun 27, 2021, 9:43 AM IST
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