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Uttarakhand: अंतर्राष्‍ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन, राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया ऐतिहासिक कीर्तिमान

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Published : Mar 22, 2023, 8:54 AM IST

Updated : Mar 22, 2023, 9:24 AM IST

प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह और प्रदेश के राज्यपाल ने उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया. मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नौ साल के कार्यकाल के दौरान यह ऐतिहासिक कीर्तिमान है, जो अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने में मददगार होगा.

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देहरादून: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त ) गुरमीत सिंह की उपस्थिति में उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया. इस मौके मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक घटना भारत को अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने एवं शेष विश्व के साथ साझा करने के लिए क्षमताओं का एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है.

पीएम मोदी के कार्यों की सराहना: उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नौ वर्ष के शासन के दौरान वैज्ञानिक कार्यों की लंबी सूची में यह एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने न केवल हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, बल्कि अंतरिक्ष और हिन्द महासागर जैसे अब तक कम खोजे गए क्षेत्रों का पता लगाने की स्वतंत्रता भी दी है. जिसे अब निजी प्रतिभागियों के लिए खोल दिया गया है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज की यह ऐतिहासिक घटना अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और विश्व के साथ इसे साझा करने के लिए भारत की क्षमताओं को एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है.

पढ़ें-बर्फबारी में यूं निखरी गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की वादियां

शोध में मिलेगी मदद: आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध केंद्र ने घोषणा की कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए तैयार है. इसने मई 2022 के दूसरे सप्ताह में अपना पहला प्रकाश प्राप्त किया. यह टेलीस्कोप भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान, एआरईईएस उत्तराखंड के नैनीताल जिले में देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि आईएमएलटी के सहयोग में भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस), बेल्जियम के लीज विश्वविद्यालय और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज़्नान वेधशाला, उज़्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मददगार: इस टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स ( एएमओएस ) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था. डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आईएलएमटी पहला ऐसा तरल दर्पण टेलीस्कोप है जिसे विशेष रूप से खगोलीय अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है और यह वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे बड़ा एपर्चर टेलीस्कोप है और यह भारत में पहला ऑप्टिकल सर्वेक्षण टेलीस्कोप भी है. हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह टेलिस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और ये आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मददगार साबित होगा.

बता दें कि विश्व स्तरीय 4 मीटर आकार का यह अंतर्राष्ट्रीय तरल दर्पण दूरदर्शी (इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप- आईएमएलटी) अब गहरे आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाएगी. वहीं रात में आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग– एआई/ एमएल) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा देने के साथ ही आईएमएलटी के साथ देखी गई वस्तुओं पर रिसर्च करने में मदद मिलेगी.

देहरादून: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त ) गुरमीत सिंह की उपस्थिति में उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया. इस मौके मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक घटना भारत को अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने एवं शेष विश्व के साथ साझा करने के लिए क्षमताओं का एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है.

पीएम मोदी के कार्यों की सराहना: उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नौ वर्ष के शासन के दौरान वैज्ञानिक कार्यों की लंबी सूची में यह एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने न केवल हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, बल्कि अंतरिक्ष और हिन्द महासागर जैसे अब तक कम खोजे गए क्षेत्रों का पता लगाने की स्वतंत्रता भी दी है. जिसे अब निजी प्रतिभागियों के लिए खोल दिया गया है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज की यह ऐतिहासिक घटना अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और विश्व के साथ इसे साझा करने के लिए भारत की क्षमताओं को एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है.

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शोध में मिलेगी मदद: आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध केंद्र ने घोषणा की कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए तैयार है. इसने मई 2022 के दूसरे सप्ताह में अपना पहला प्रकाश प्राप्त किया. यह टेलीस्कोप भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान, एआरईईएस उत्तराखंड के नैनीताल जिले में देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि आईएमएलटी के सहयोग में भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस), बेल्जियम के लीज विश्वविद्यालय और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज़्नान वेधशाला, उज़्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मददगार: इस टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स ( एएमओएस ) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था. डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आईएलएमटी पहला ऐसा तरल दर्पण टेलीस्कोप है जिसे विशेष रूप से खगोलीय अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है और यह वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे बड़ा एपर्चर टेलीस्कोप है और यह भारत में पहला ऑप्टिकल सर्वेक्षण टेलीस्कोप भी है. हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह टेलिस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और ये आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मददगार साबित होगा.

बता दें कि विश्व स्तरीय 4 मीटर आकार का यह अंतर्राष्ट्रीय तरल दर्पण दूरदर्शी (इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप- आईएमएलटी) अब गहरे आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाएगी. वहीं रात में आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग– एआई/ एमएल) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा देने के साथ ही आईएमएलटी के साथ देखी गई वस्तुओं पर रिसर्च करने में मदद मिलेगी.

Last Updated : Mar 22, 2023, 9:24 AM IST
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