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Watch : राम मंदिर के लिए पूरी दुनिया से भक्त दिल खोलकर कर रहे सहयोग, सामने आ रही अनोखी कहानियां

दस रुपए से हजार, हजार से लाख रुपए और लाख से करोड़ों रुपए किस तरह अयोध्या में बनने वाले प्रसिद्ध राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए निधि संग्रह के दौरान एकत्र हुए, ये कहानी बड़ी दिलचस्प है जो शायद ही आम जनता को मालूम होगी. आइए विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता (Surendra Gupta) से जानते हैं कि कैसे मंदिर के लिए अनुमान से कई गुना ज्यादा पैसे एकत्र हो गए. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट (Ayodhya Ram temple).

Surendra Gupta
विहिप के प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 14, 2023, 6:11 PM IST

Updated : Oct 14, 2023, 7:11 PM IST

खास बातचीत

नई दिल्ली: जब अयोध्या में राम मंदिर बनना शुरू हुआ तब ना सिर्फ बड़े-बड़े घरानों और उद्योगपतियों की तरफ से इसका खर्च उठाने का ऑफर मिला बल्कि कई बड़े उद्योगपतियों ने तो यहां तक कहा कि वो मंदिर निर्माण का पूरा खर्च उठाना चाहते. मगर मंदिर ट्रस्ट और वीएचपी ने मना कर दिया. उसके बाद सिलसिला शुरू हुआ एक मेहनतकश रिक्शेवाले से लेकर बड़े-बड़े पैसे वालों से निधि संग्रह का.

अयोध्या में बन रहे प्रभु राम के विश्वप्रसिद्ध मंदिर के लिए पूरी दुनिया से भक्त दिल खोलकर सहयोग कर रहे हैं. यहां तक कि विश्व हिंदू परिषद ने मात्र एक माह के लिए ही मंदिर निर्माण के वास्ते निधि संग्रह का अभियान चलाया था जिसके खत्म होने के कई महीने बाद भी लोग सहयोग करने के लिए आग्रह कर रहे हैं.

वीएचपी से तो कई ऐसे लोगों ने भी संपर्क कर हजारों रुपए सुपुर्द किए जिन नोटों की अब मान्यता ही खत्म हो चुकी है. कुछ बुजुर्गों ने मंदिर के लिए पैसे जमा किए थे, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है. ऐसे परिवारों ने अपने बुजुर्गों की इच्छा पूरी करने के लिए विहिप से संपर्क किया. उनकी भावनाओं की कदर करते हुए वो पैसे विहिप को रखने पड़े.

विहिप के प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि 'निधि संग्रह का अभियान तो हमने मात्र एक महीने के लिए चलाया था मगर आज भी हर रोज फोन आते हैं कि अकाउंट नंबर या क्यूआर कोड दे दें.'

उन्होंने बताया कि एक दिन पहले ही एक व्यक्ति ने उनसे आग्रह किया कि वह मंदिर के लिए आधा किलो सोना भेजना चाहते हैं. इसपर उन्होंने कहा कि वो इन वस्तुओं को नहीं ले सकते. इसी तरह उन्होंने बताया कि देश के हर राज्य में रहने वाले लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हैं, और हर राज्य और बाहर विदेश में रहने वाले व्यक्ति भी अभी तक सहयोग देने की अपील करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का क्यूआर कोड उन्हें जेब में रखकर चलना पड़ता है क्योंकि रोज किसी न किसी व्यक्ति का आग्रह मंदिर के निर्माण के लिए सहयोग से सबंधित आता रहता है.

उन्होंने कहा कि इसलिए वीएचपी ने 10 रुपए का भी सहयोग कूपन रखा था. उदाहरण के तौर पर कहीं मंच लगा था वहां शामियाना और दरी लेकर आए रिक्शेवाले को जब पता लगा कि राम मंदिर निधि संग्रह के लिए मंच सजा है तो उसने अपने किराया भी नहीं लिया, यहां तक कि 20 रुपए दान करके गया.

सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि उस समय अनुमानित संग्रह 1500 करोड़ रुपए का था मगर साढ़े तीन हजार करोड़ तभी आ चुके थे. अभी तक ये सिलसिला चला ही जा रहा है जबकि अभी मात्र गर्भगृह और उसके आस पास के निर्माण की योजना ही तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि लोगों की भावनाएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं, यही वजह है कि हम चाहते थे कि एक गरीब बस्ती में रहने वाले व्यक्ति का दस रुपए का सहयोग भी इस मंदिर में जोड़ा जाए. क्योंकि आंदोलन में सभी का साथ रहा है, और इस कारण कई उद्योगपति जिन्होंने मंदिर के पूरे निर्माण खर्च का बीड़ा उठाने की पेशकश की, उन्हें मना कर दिया गया और उनके आग्रह को सीधे तौर पर ठुकरा दिया गया.

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नई दिल्ली: जब अयोध्या में राम मंदिर बनना शुरू हुआ तब ना सिर्फ बड़े-बड़े घरानों और उद्योगपतियों की तरफ से इसका खर्च उठाने का ऑफर मिला बल्कि कई बड़े उद्योगपतियों ने तो यहां तक कहा कि वो मंदिर निर्माण का पूरा खर्च उठाना चाहते. मगर मंदिर ट्रस्ट और वीएचपी ने मना कर दिया. उसके बाद सिलसिला शुरू हुआ एक मेहनतकश रिक्शेवाले से लेकर बड़े-बड़े पैसे वालों से निधि संग्रह का.

अयोध्या में बन रहे प्रभु राम के विश्वप्रसिद्ध मंदिर के लिए पूरी दुनिया से भक्त दिल खोलकर सहयोग कर रहे हैं. यहां तक कि विश्व हिंदू परिषद ने मात्र एक माह के लिए ही मंदिर निर्माण के वास्ते निधि संग्रह का अभियान चलाया था जिसके खत्म होने के कई महीने बाद भी लोग सहयोग करने के लिए आग्रह कर रहे हैं.

वीएचपी से तो कई ऐसे लोगों ने भी संपर्क कर हजारों रुपए सुपुर्द किए जिन नोटों की अब मान्यता ही खत्म हो चुकी है. कुछ बुजुर्गों ने मंदिर के लिए पैसे जमा किए थे, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है. ऐसे परिवारों ने अपने बुजुर्गों की इच्छा पूरी करने के लिए विहिप से संपर्क किया. उनकी भावनाओं की कदर करते हुए वो पैसे विहिप को रखने पड़े.

विहिप के प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि 'निधि संग्रह का अभियान तो हमने मात्र एक महीने के लिए चलाया था मगर आज भी हर रोज फोन आते हैं कि अकाउंट नंबर या क्यूआर कोड दे दें.'

उन्होंने बताया कि एक दिन पहले ही एक व्यक्ति ने उनसे आग्रह किया कि वह मंदिर के लिए आधा किलो सोना भेजना चाहते हैं. इसपर उन्होंने कहा कि वो इन वस्तुओं को नहीं ले सकते. इसी तरह उन्होंने बताया कि देश के हर राज्य में रहने वाले लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हैं, और हर राज्य और बाहर विदेश में रहने वाले व्यक्ति भी अभी तक सहयोग देने की अपील करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का क्यूआर कोड उन्हें जेब में रखकर चलना पड़ता है क्योंकि रोज किसी न किसी व्यक्ति का आग्रह मंदिर के निर्माण के लिए सहयोग से सबंधित आता रहता है.

उन्होंने कहा कि इसलिए वीएचपी ने 10 रुपए का भी सहयोग कूपन रखा था. उदाहरण के तौर पर कहीं मंच लगा था वहां शामियाना और दरी लेकर आए रिक्शेवाले को जब पता लगा कि राम मंदिर निधि संग्रह के लिए मंच सजा है तो उसने अपने किराया भी नहीं लिया, यहां तक कि 20 रुपए दान करके गया.

सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि उस समय अनुमानित संग्रह 1500 करोड़ रुपए का था मगर साढ़े तीन हजार करोड़ तभी आ चुके थे. अभी तक ये सिलसिला चला ही जा रहा है जबकि अभी मात्र गर्भगृह और उसके आस पास के निर्माण की योजना ही तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि लोगों की भावनाएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं, यही वजह है कि हम चाहते थे कि एक गरीब बस्ती में रहने वाले व्यक्ति का दस रुपए का सहयोग भी इस मंदिर में जोड़ा जाए. क्योंकि आंदोलन में सभी का साथ रहा है, और इस कारण कई उद्योगपति जिन्होंने मंदिर के पूरे निर्माण खर्च का बीड़ा उठाने की पेशकश की, उन्हें मना कर दिया गया और उनके आग्रह को सीधे तौर पर ठुकरा दिया गया.

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Last Updated : Oct 14, 2023, 7:11 PM IST
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