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मणिपुर हिंसा का म्यांमार कनेक्शन : खुफिया रिपोर्ट में खुलासा, हिंसा कर पड़ोसी देश में छिप रहे विद्रोही

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Published : Jun 10, 2023, 10:07 PM IST

मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर एक खुफिया रिपोर्ट सामने आई है. आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा करने वालों की पहुंच म्यांमार तक है. वह वारदात कर आसानी से सीमावर्ती इलाके में छिप जाते हैं. म्यांमार से उन्हें गोला-बारूद और हथियार भी मिल रहे हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Manipur Violence
मणिपुर हिंसा का म्यांमार कनेक्शन

नई दिल्ली: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर खुफिया ब्यूरो (आईबी) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. पता चला है कि राज्य के विद्रोही, चाहे वे घाटी के रहने वाले हों या पहाड़ियों में स्थित हों, म्यांमार में अपने सुरक्षित ठिकाने से हिट एंड रन ऑपरेशन में लगे हुए हैं.

मणिपुर के कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम जिले की सीमा से लगे खोकेन गांव में शुक्रवार को संदिग्ध मेइती उग्रवादियों ने सुरक्षाकर्मियों के वेश में एक महिला सहित तीन लोगों की हत्या कर दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोरस बॉर्डर आतंकियों को उनके मिशन को पूरा करने में मदद कर रहा है. भारत और म्यांमार 1600 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करते हैं. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम सहित चार उत्तर-पूर्वी राज्य म्यांमार के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'म्यांमार की मदद से मणिपुर के विद्रोही भारत में अपनी गतिविधियां चला रहे हैं. झरझरा सीमा उन्हें सुरक्षा बलों पर हमला करने, उनके हमले के बाद सुरक्षित रूप से भागने, हमलों को अंजाम देने के लिए घाटी में हथियारों और हथगोले की तस्करी, मोबाइल फोन के माध्यम से लोगों को धमकाने सहित अपनी सभी योजनाओं को पूरा करने में मदद कर रही है.'

सुरक्षा एजेंसियाें के सामने ये चुनौती : रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार तस्करी, ड्रग्स की तस्करी, मानव, कलाकृतियां, नकली भारतीय करेंसी नोट (FICN), अवैध अप्रवासी, वन्यजीवों की तस्करी, अवैध सामान आदि सुरक्षा एजेंसियों के लिए प्रमुख चिंताएं हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'हाल के दिनों में अचानक जनसांख्यिकीय परिवर्तन देखे गए हैं और विश्लेषण से पता चलता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​उन प्रवासियों की काफी संख्या का पता लगा सकती हैं और उनकी पहचान कर सकती हैं जिन्होंने झरझरा सीमाओं के माध्यम से घुसपैठ की है. हालांकि, पड़ोसी देश की आबादी के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में जातीय एकरूपता सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख मुद्दा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष और म्यांमार में अलगाववादी आंदोलनों ने सीमाओं के बदलते जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बढ़ावा दिया है और समुदायों के जातीय संतुलन में बदलाव मणिपुर के सीमावर्ती जिलों में अवैध प्रवास का परिणाम है.

म्यांमार की सीमा से सटे राज्यों में से एक होने के नाते मणिपुर स्वर्ण त्रिभुज के काफी करीब है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अफीम, हेरोइन, मेथामफेटामाइन, डब्ल्यूवाई (याबा) टैबलेट और कई अन्य दवाओं सहित म्यांमार से पूर्वोत्तर में तस्करी की जाती है. स्वर्ण त्रिभुज में हाल के परिवर्तनों के बाद, नशीली दवाओं की खेती के लिए नए क्षेत्रों की खोज में मणिपुर की जलवायु, स्थलाकृति और सुरक्षा स्थितियों को उपयुक्त विकल्प के रूप में पाया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब भारत में विशेष रूप से मणिपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से ड्रग्स की खेती की जाती है, और वे व्यापार के लिए उसी मार्ग से यात्रा करते हैं. सस्ते इफेड्रिन- और स्यूडोएफ़ेड्रिन-आधारित ठंड-रोधी दवाओं की तस्करी उत्तर भारत से मोरेह के माध्यम से म्यांमार में की जाती है. वे भारत और बांग्लादेश में पेडलिंग के लिए मेथामफेटामाइन वेरिएंट के रूप में झरझरा सीमा के माध्यम से वापस आते हैं. अवैध सामानों के लिए मुख्य प्रवेश और निकास बिंदु मोरेह है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटे तौर पर 80 प्रतिशत वस्तुओं की मोरेह या उसके आसपास तस्करी की जा रही है. तस्करी लंबे समय से म्यांमार-भारत सीमा पर एक समस्या रही है, जिससे विभिन्न स्थानीय जातीय विद्रोही समूहों को भी लाभ हुआ है.

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नई दिल्ली: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर खुफिया ब्यूरो (आईबी) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. पता चला है कि राज्य के विद्रोही, चाहे वे घाटी के रहने वाले हों या पहाड़ियों में स्थित हों, म्यांमार में अपने सुरक्षित ठिकाने से हिट एंड रन ऑपरेशन में लगे हुए हैं.

मणिपुर के कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम जिले की सीमा से लगे खोकेन गांव में शुक्रवार को संदिग्ध मेइती उग्रवादियों ने सुरक्षाकर्मियों के वेश में एक महिला सहित तीन लोगों की हत्या कर दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोरस बॉर्डर आतंकियों को उनके मिशन को पूरा करने में मदद कर रहा है. भारत और म्यांमार 1600 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करते हैं. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम सहित चार उत्तर-पूर्वी राज्य म्यांमार के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'म्यांमार की मदद से मणिपुर के विद्रोही भारत में अपनी गतिविधियां चला रहे हैं. झरझरा सीमा उन्हें सुरक्षा बलों पर हमला करने, उनके हमले के बाद सुरक्षित रूप से भागने, हमलों को अंजाम देने के लिए घाटी में हथियारों और हथगोले की तस्करी, मोबाइल फोन के माध्यम से लोगों को धमकाने सहित अपनी सभी योजनाओं को पूरा करने में मदद कर रही है.'

सुरक्षा एजेंसियाें के सामने ये चुनौती : रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार तस्करी, ड्रग्स की तस्करी, मानव, कलाकृतियां, नकली भारतीय करेंसी नोट (FICN), अवैध अप्रवासी, वन्यजीवों की तस्करी, अवैध सामान आदि सुरक्षा एजेंसियों के लिए प्रमुख चिंताएं हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'हाल के दिनों में अचानक जनसांख्यिकीय परिवर्तन देखे गए हैं और विश्लेषण से पता चलता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​उन प्रवासियों की काफी संख्या का पता लगा सकती हैं और उनकी पहचान कर सकती हैं जिन्होंने झरझरा सीमाओं के माध्यम से घुसपैठ की है. हालांकि, पड़ोसी देश की आबादी के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में जातीय एकरूपता सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख मुद्दा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष और म्यांमार में अलगाववादी आंदोलनों ने सीमाओं के बदलते जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बढ़ावा दिया है और समुदायों के जातीय संतुलन में बदलाव मणिपुर के सीमावर्ती जिलों में अवैध प्रवास का परिणाम है.

म्यांमार की सीमा से सटे राज्यों में से एक होने के नाते मणिपुर स्वर्ण त्रिभुज के काफी करीब है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अफीम, हेरोइन, मेथामफेटामाइन, डब्ल्यूवाई (याबा) टैबलेट और कई अन्य दवाओं सहित म्यांमार से पूर्वोत्तर में तस्करी की जाती है. स्वर्ण त्रिभुज में हाल के परिवर्तनों के बाद, नशीली दवाओं की खेती के लिए नए क्षेत्रों की खोज में मणिपुर की जलवायु, स्थलाकृति और सुरक्षा स्थितियों को उपयुक्त विकल्प के रूप में पाया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब भारत में विशेष रूप से मणिपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से ड्रग्स की खेती की जाती है, और वे व्यापार के लिए उसी मार्ग से यात्रा करते हैं. सस्ते इफेड्रिन- और स्यूडोएफ़ेड्रिन-आधारित ठंड-रोधी दवाओं की तस्करी उत्तर भारत से मोरेह के माध्यम से म्यांमार में की जाती है. वे भारत और बांग्लादेश में पेडलिंग के लिए मेथामफेटामाइन वेरिएंट के रूप में झरझरा सीमा के माध्यम से वापस आते हैं. अवैध सामानों के लिए मुख्य प्रवेश और निकास बिंदु मोरेह है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटे तौर पर 80 प्रतिशत वस्तुओं की मोरेह या उसके आसपास तस्करी की जा रही है. तस्करी लंबे समय से म्यांमार-भारत सीमा पर एक समस्या रही है, जिससे विभिन्न स्थानीय जातीय विद्रोही समूहों को भी लाभ हुआ है.

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