संयुक्त राष्ट्र : भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी से स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़े असर के कारण 2020 में दक्षिण एशिया में पांच साल से कम उम्र के बच्चों और साथ ही जच्चा की मौत के सबसे अधिक मामले सामने आने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सितंबर 2021 तक कोविड-19 की जांच और स्वास्थ्य देखभाल के प्रयोग पर 10 अरब डॉलर के करीब खर्च कर सकता है. जो इस क्षेत्र में खर्च होने वाली रकम का सबसे बड़ा हिस्सा है.
यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि की रिपोर्ट दक्षिण एशिया में कोविड-19 वैश्विक महामारी और निपटने के तरीकों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर में कहा गया है, फरवरी 2021 तक दक्षिण एशिया में कोविड-19 के 1.2 करोड़ से अधिक मामले आए, जिनमें से एक करोड़ नौ लाख से अधिक मामले भारत में सामने आए.
यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया के छह सबसे अधिक आबादी वाले देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका पर केंद्रित है. इसमें इस महामारी का इन देशों में शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य, आर्थिक नौकरियों और शिक्षा पर पड़े असर का आकलन दिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2020 और सितंबर 2021 के बीच सबसे अधिक मौतें भाारत में होने की आशंका है.
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इसमें कहा गया है, अस्पताल और आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की सर्वाधिक संख्या भी भारत में रहने का अनुमान है. फरवरी 2021 में यह संख्या सर्वाधिक रह सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के कारण यौन, प्रजनन, मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा के कारण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर काफी असर पड़ने का अनुमान है.
इन छह दक्षिण एशियाई देशों में पिछले साल के मुकाबले 2020 में पांच साल तथा इससे कम आयु के बच्चों में मौत का आंकड़ा 2,28,641 तक पहुंचने का अनुमान है. इनमें सबसे अधिक मौतें भारत (15 प्रतिशत) और पाकिस्तान (14 प्रतिशत) में होने की आशंका है.
इस क्षेत्र में मृत बच्चे को जन्म देने की संख्या बढ़ने का अनुमान भी है. महामारी के कारण 2020 में मातृत्व मृत्यु दर भी बढ़ने का अनुमान है. इनमें सबसे अधिक मौतें भारत (7,750) और पाकिस्तान (2,069) में होने का अनुमान है.