इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर से गुजरे आगरा-मुंबई हाईवे पर सड़क हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. हाईवे पर हुए हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है उनकी याद में परिजनों ने हाईवे के पास ही छोटे छोटे चबूतरे बनवा दिए हैं. मृतकों के परिजन अक्सर यहां पूजा पाठ करने आते रहते हैं. हाईवे के किनारे एक, दो नहीं बल्कि धीरे धीरे 60 से 70 चबूतरे और छोटे मंदिर बन चुके हैं. जो कि पिछले कुछ दिनों में ही बने हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि इस हाईवे पर होने वाले हादसे हर रोज किसी न किसी की जान ले रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस बात से पूरी तरह बेखबर है.
प्रशासन बेखबर, नहीं कर रहा हादसों को रोकने का जतन: इंदौर की ट्रैफिक पुलिस सड़क हादसों को रोकने के लिए अलग-अलग तरह के प्रयास कर रही है. पुलिस ने शहर के अंदर कई ऐसे एक्सीडेंट स्पॉट को चिन्हित किया है जहां पर सड़क हादसे लगातार होते हैं. यदि शहर के बायपास की बात की जाए तो उसकी हालत काफी खराब है.. इस हाईवे पर एक गलती से वाहन चालक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है. कई लोग यहां हुए सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं. मृतकों के याद में उनके परिजनो ने यहां छोटे मंदिर और चबूतरे बनवा दिए हैं. ईटीवी भारत ने ऐसे कई स्पॉट को अपने कैमरे में कैद किया और आसपास के ग्रामीणों से हाईवे किनारे बने इन चबूतरों और छोटे छोटे तमाम मंदिरों से स्ट्रक्चर को लेकर बात की तो उनका कहना था कि 'मुंबई आगरा-हाईवे पर इस तरह के हादसे आम हो गए हैं. सालभर में यहां सैकड़ों हादसे होते हैं, लेकिन प्रशासन इन हादसों को रोकने या कम करने के लिए अभी तक कोई खास उपाय नहीं किए हैं. (Indore DPS Accident Case)
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इस कारण हो रहे है हादसे: हादसों का पहला कारण यह सामने आया कि नेशनल हाईवे पर जो फ्लाईओवर बनाया है उसकी हाइट काफी कम है. जिसके कारण बड़ी गाड़ियों को इनके नीचे से निकलने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हाइवे पर दूसरी लापरवाही यह है कि जिन जगहों पर फ्लाई ओवर बनाए जाने थे उन जगहों को छोड़कर निर्माण कंपनी ने फ्लाई ओवर दूसरी जगह पर बना दिए. तीसरी सबसे बड़ी और गंभीर गलती यह है कि हाईवे और सर्विस रोड के बीच बनी नाली काफी गहरी है. हाईवे बनाने वाली कंपनी ने उसे ऊपर से बन्द नहीं किया. यह नाली अब भी खुली है जिसके कारण रात के समय हादसे होते रहते हैं. (Family built platforms of dead on national highway)
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ग्रीन बेल्ट की जगह पर अतिक्रमण: हाईवे बनाने के दौरान सरकारी नियमों की बात की जाए तो नेशनल हाईवे के दोनों ओर 50-50 फीट की ग्रीन बेल्ट की जगह है. जिसका उपयोग अन्य कामों में किया जा रहा है. ग्रीन बेल्ट की जमीन पर बिल्डरों ने मल्टी, रेस्टोरेंट के साथ ही कई कॉलोनियों का निर्माण भी कर दिया, लेकिन जिम्मेदारों ने जमीन पर हो रहे निर्माण पर कोई एक्शन नहीं लिया. इन तमाम गलतियों को लेकर ग्रामीणों ने पिछले साल आलाधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा था. लोगों की मांग थी कि सर्विस रोड में फेरबदल किया जाए जिससे यहां होने वाले हादसे रोके जा सकें, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला.
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मांगलिया से राउ तक बने हैं छोटे चबूतरे और मंदिर : इस सड़क पर दर्जनों एक्सीडेंट हो चुके हैं. सबसे बड़ा हादसा डीपीएस स्कूल का है. जिसमें 5 मासूमों की मौत हुई थी. इसी हाईवे पर हादसे का शिकार प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मणसिंह गौड़ भी हो चुके हैं. इसके अलावा भी तमाम लोग हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं. जिनकी याद में उनके परिजनों ने हाईवे के किनारे छोटे छोटे चबूतरे और मंदिर नुमा संरचनाएं बना दी है. परिजन यहां उनकी याद में पूजा पाठ भी करने आते रहते हैं. आगरा-मुंबई हाइवे पर ऐसे स्ट्रक्चर मांगलिया से लेकर राउ तक के तकरीबन 30 किलोमीटर एरिया में 60 से 70 चबूतरे बने हुए हैं. (Accidents increased in Indore)