नई दिल्ली : 2020 में कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण भारतीय सेना के अन्य देशों के साथ होने वाले सैन्य अभ्यासों को रद्द कर दिया गया था. उन अभ्यासों को 2021 में पूरा करने की योजना बनाई जा रही है. इन अभ्यासों में मध्य एशियाई देशों का प्रमुख योगदान होगा.
इसकी शुरुआत हो चुकी है. सोमवार को उजबेकिस्तान के सैनिकों से भरा एक सी207 सर्विस विमान राजधानी दिल्ली में उतरा. सैनिकों का दल Dustlik II सैन्य अभ्यास में भाग लेने आया है. इस दल का नेतृत्व दो कर्नल कर रहे हैं और एक मेजर जनरल प्रेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे. भारत में उज्बेक राजदूत भी इसमें भाग ले सकते हैं.
उत्तराखंड के रानीखेत के पास 6,000 फीट ऊंचे हिल स्टेशन चौबटिया में 10-19 मार्च के बीच अभ्यास आयोजित किया जाएगा.
भारतीय सेना की तरफ से भाग लेने वाली इकाई 13 कुमाऊंनी है, जो स्ट्राइक कोर का एक हिस्सा है. इसे सबसे ज्यादा शौर्य पदकों से नवाजा गया है.
यह सैन्य इकाई पूर्वी लद्दाख के महत्वपूर्ण पर्वतीय दर्रे रेजांग ला पर 1962 के आक्रमण के दौरान चीनियों के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रसिद्ध है.
Dustlik II तो 2021 की शुरुआत है. मंगोलिया, किर्गिजस्तान और कजाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास पहले से ही निर्धारित है.
दिलचस्प बात यह है कि मंगोलिया, किर्गिजस्तान और कजाकिस्तान चीन के साथ सीमाएं साझा करते हैं.
चीन और भारत के बीच मई 2020 से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. हालांकि विभिन्न सैन्य, राजनयिक, नौकरशाही और राजनीतिक स्तरों पर इस कम करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है.
इन देशों के साथ अभ्यास भारतीय सेना की सैन्य-राजनयिक रिश्तों को गरहाई देने की योजना का हिस्सा है, जो मध्य एशिया और अफगानिस्तान में भारत की स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा.
विशेष रूप से, अभ्यास का पांच उद्देश्य हैं:-
- सबसे पहले, इन देशों के साथ सुरक्षा और कनेक्टिविटी के मौजूदा संबंधों को स्थापित करना और सुधारना.
- दूसरा, मध्य एशिया क्षेत्र में पहुंच बनाना और अफगानिस्तान में भारतीय प्रभाव को बहाल करना, जहां तालिबान अफगान सरकार के साथ वर्चस्व की लड़ाई में लगा हुआ है. भारत ने अतीत में उत्तरी गठबंधन का समर्थन किया था और हथियारों और अन्य सेवाओं के साथ उसका समर्थन किया था.
- तीसरा, ईरान के साथ संबंधों में सुधार की संभावनाओं को तलाशना. ईरान पारंपरिक रूप से भारत के करीबियों में गिना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में संबंध खराब हो गए थे.
- चौथा, क्षेत्र में बढ़ते चीनी वर्चस्व को कम करना और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का मुकाबला करना.
- पांचवां, मध्य एशियाई देशों के साथ अच्छे संबंध तेल, गैस और खनिजों में समृद्ध क्षेत्र के संसाधनों तक भारतीय पहुंच को आसान बनाएंगे.