नई दिल्ली : भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ के सहयोग से मंगलवार को सीकिंग 42बी हेलीकॉप्टर से पहली स्वदेशी नौसेना एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अपने आधिकारिक हैंडल से एक्स पर एक पोस्ट में नौसेना ने कहा कि यह फायरिंग और मार्गदर्शन प्रौद्योगिकियों सहित विशिष्ट मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस मिसाइल का पहली बार परीक्षण मई 2022 में किया गया था. पहली उड़ान परीक्षण के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मिसाइल में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. इसमें हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्चर भी शामिल है. मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली शामिल हैं.
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#WATCH | Indian Navy and DRDO successfully undertook Guided Flight Trials of the first indigenously developed Naval Anti-Ship Missile from Seaking 42B helicopter today. This firing is a significant step towards achieving self-reliance in niche missile technology, including seeker… pic.twitter.com/CkTi3aXFr4
— ANI (@ANI) November 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) November 21, 2023#WATCH | Indian Navy and DRDO successfully undertook Guided Flight Trials of the first indigenously developed Naval Anti-Ship Missile from Seaking 42B helicopter today. This firing is a significant step towards achieving self-reliance in niche missile technology, including seeker… pic.twitter.com/CkTi3aXFr4
— ANI (@ANI) November 21, 2023
बता दें कि इससे पहले भारतीय नौसेना ने इस परीक्षण में मिसाइला की सीकर और गाइडेंस तकनीक का भी प्रयोग किया गया. कोई भी मिसाइल कितनी प्रभावी है इसके बारे में उसकी गाइडेंस तकनीक पर निर्भर करता है. इसको लेकर नौसेना ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें दिख रहा है कि महासागर के ऊपर उड़ रहे नौसेना के हेलीकॉप्टर ने एंटी शिप मिसाइल फायर की और उसने सफलतापूर्वक अपने टॉरगेट को भेद दिया. गौरतलब है कि बीते साल मई में भी नौसेना ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.
केंद्र सरकार का प्रयास है कि रक्षा उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए. इसी क्रम में डीआरडीओ के अलावा डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड प्रमुख भूमिका में हैं. हालांकि अभी हथियारों की आपूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भर हैं लेकिन सरकार हथियारों के आयात को रोकने के लिए भारत में ही हथियारों को बनाने और उसकी तकनीक के हस्तांतरण के लिए समझौते कर रही है.
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