नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बताया है कि वर्ष 2012 के दौरान भारतीय एयरलाइनों का कार्बन उत्सर्जन 11,560 हजार टन था जो 2019 तक बढ़ कर 18,900 हजार टन हो गया. यानी साल 2012 से 2019 के बीच कार्बन उत्सर्जन 63.5 फीसदी बढ़ा है. इसके अलावा नागर विमानन राज्य मंत्री वी के सिंह ने संसद में बताया है कि देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर करीब 100 ऐसे विमान खड़े हैं जिनका विमानन कंपनी बंद हो जाने सहित विभिन्न कारणों से उपयोग नहीं हो पा रहा है.
संसद के मानसून सत्र (Parliament monsoon session) के 12वें दिन नागर विमानन राज्य मंत्री वी के सिंह (Minister of State for Civil Aviation) ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि देश भर के विभिन्न हवाई अड्डों पर कुल 94 अनुपयोगी विमान विभिन्न कारणों जैसे विमानन कंपनी का परिचालन बंद होना, रखरखाव, विमान के स्वामित्व में बदलाव, न्यायिक मुकदमा, 'डीजीसीए' प्रतिबंध आदि वजहों से परिचालन में नहीं हैं.
सिंह ने कहा कि संबंधित हवाई अड्डा परिचालकों द्वारा आवश्यक शुल्क व प्रभार लिया जाता है तथा सामान्यतः बकाया राशि के निपटान के बाद ही विमानों को उड़ान भरने की अनुमति दी जाती है.
वीके सिंह ने राज्य सभा में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया 'आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय एयरलाइनों के कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हुई है.' सिंह ने बताया कि वर्ष 2012 के दौरान भारतीय एयरलाइनों का कार्बन उत्सर्जन 11,560 हजार टन था जो 2019 तक बढ़ कर 18,900 हजार टन हो गया. उन्होंने बताया कि नागर विमानन निदेशालय ने अधिसूचित भारतीय एयरलाइनों से मिली जानकारी के आधार पर कार्बन उत्सर्जन संबंधी आंकड़ों का संकलन एवं विश्लेषण किया.
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उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में भारतीय एयरलाइनों की घरेलू उड़ानों से 11,843 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ वहीं उनकी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से 7,057 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई. सिंह ने बताया कि 2012 में भारतीय एयरलाइनों की घरेलू उड़ानों से 6,135 हजार टन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से 5,425 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ.
वीके सिंह ने बताया कि भारतीय एयरलाइनों के कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें अवांछित वजन में कमी, विमानों को नमी से बचाना, धूल न जमने देना, समुचित गति आदि शामिल हैं.
(पीटीआई-भाषा)