भिवानी : हरियाणा के भिवानी के रहने वाले एक परिवार का दर्द आज 7 साल बाद भी कम नहीं हो पाया है. दरअसल भिवानी की रहने वाली लेफ्टिनेंट दीपिका श्योराण ने आज से 7 साल पहले IAF के एएन 32 से उड़ान भरी लेकिन उसके बाद वो आज तक लौटकर नहीं आ सकी. सरकार ने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया लेकिन आज तक वो वादा पूरा नहीं हो सका.
अंडमान के लिए निकली थीं दीपिका : दरअसल भिवानी के चोखानी इस्टेट निवासी लेफ्टिनेंट दीपिका श्योराण ने 22 जुलाई 2016 को इंडियन एयरफोर्स के AN 32 एयरक्राफ्ट के जरिए चेनई से पोर्ट ब्लेयर के लिए सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर उड़ान भरी थी. उन्हें सुबह 11.30 बजे अंडमान निकोबार पहुंचना था, लेकिन बीच रास्ते में ही रडार से अचानक एयरक्राफ्ट गायब हो गया. उसके बाद से भारत सरकार ने 7 साल तक प्लेन को ढूंढने की तमाम कोशिशें की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हो सकी.
सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन : 22 जुलाई को जब प्लेन रडार से गायब हो गया तो उसी दिन विमान की तलाश और रेस्क्यू के लिए इंडियन नेवी और कोस्टगार्ड ने ज्वाइंट ऑपरेशन स्टार्ट किया जो अब तक का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन बताया जाता है. इस मिशन में एक जहाज, सबमरीन और 5 एयरक्राफ्ट शामिल थे जिनका मकसद AN 32 को ढूंढ निकालना था. लेकिन इसके बावजूद अगले 3 दिनों तक कोई कामयाबी हासिल नहीं हो सकी. ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने बंगाल की खाड़ी से 16 जहाज और 6 एयरक्राफ्ट के बेड़े को AN 32 की तलाश में भेजा. लेकिन फिर भी सफलता हासिल नहीं हुई.
7 साल बाद मिला मलबा : इस बीच एएन 32 को ढूंढते-ढूंढते 50 दिन से ज्यादा हो गए. फिर आखिरकार 15 सितंबर को ये सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया. इसके बाद सरकार ने मान लिया कि एयरक्राफ्ट में सवार भिवानी की लेफ्टिनेंट दीपिका श्योराण समेत सभी 29 लोगों की मौत हो गई है.उनके परिवारों को भी ये जानकारी दे दी गई. लेकिन पिछले दिनों रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में एएन 32 का मलबा मिल गया है. चेन्नई के तट से करीब 310 किलोमीटर दूर साढ़े 3 किलोमीटर की गहराई पर एक क्रैश हुए विमान का मलबा मिला जिसकी जांच पर पता चला कि ये एएन 32 का ही मलबा है.
शूल की तरह चुभता दर्द : इसके बाद लेफ्टिनेंट दीपिका श्योराण के पिता को भी ये खबर मिली. दीपिका श्योराण के पिता दलीप श्योराण जनस्वास्थ्य विभाग से कार्यकारी अभियंता की पोस्ट से रिटायर्ड हुए हैं. दीपिका के माता-पिता ने बताया कि दीपिका शुरू से ही पढ़ाई में काफी दिलचस्पी रखती थी और उसका सपना लेफ्टिनेंट बनकर देश की सेवा करने का था. लेकिन इसी दौरान वो एएन 32 के साथ हमेशा के लिए गुम हो गई. दीपिका के परिजनों का आज भी ये दर्द किसी कांटे की तरह चुभता रहता है.
वादा है, वादों का क्या ? : इस बीच उसकी मां प्रेमलता ने बताया कि दीपिका के जाने के बाद उसके परिवार के एक मेंबर को सरकारी नौकरी दिए जाने का वादा भी किया गया लेकिन कोई सरकारी नौकरी अभी तक नहीं मिली. अपना दर्द बताते हुए दीपिका की मां कहती है कि ये कहकर पूरे मामले को टाल दिया गया कि दीपिका पर कोई आश्रित नहीं था, क्योंकि नौकरी किसी आश्रित को ही दी जाती है. दीपिका की मौत के बाद मिलने वाली सरकारी मदद अब तक परिवार को मयस्सर नहीं हो पाई है. दीपिका की मां आंसू पोछते हुए बताती है कि पिछले 3 सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ मिला नहीं, ऐसे में दिल दुखता है.वहीं उनके पिता दलीप कहते हैं कि भले ही एयरक्राफ्ट का मलबा मिल गया हो लेकिन इस हादसे की वजह क्या रही, ये आज भी एक रहस्य से कम नहीं है.
नींद से कब जागेगा सरकारी सिस्टम ? : दीपिका तो अब वापस नहीं आ सकती लेकिन आज उसके परिवार पर जो बीत रही है, उसके लिए कौन जिम्मेदार है?. देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने वालों के परिवारों से सरकारें वादा तो कर देती है लेकिन उन वादों का क्या होता है, आज दीपिका के परिवार की कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. सवाल है कि आखिर क्यों दीपिका के परिवार को आज भी वो मदद नहीं मिल पाई जो उनका हक था. सवाल है कि आज भी आखिर क्यों उसके परिवार को मदद के लिए सरकारी ऑफिसों के धक्के खाने पड़ रहे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि सर्दी के बीच चद्दर डालकर सो रहे सिस्टम की आंखें जल्द खुलेंगी.
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