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भारतीय फलों की बढ़ती मांग, ड्रैगन फ्रूट्स की पहली खेप दुबई भेजी

विदेशी प्रजातियों वाले फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए फाइबर और खनिज से भरपूर ड्रैगन फ्रूट, जिसे कमलम भी कहा जाता है, की एक खेप दुबई को निर्यात की गई है. निर्यात के लिए ड्रैगन फ्रूट की एक खेप महाराष्ट्र के सांगली जिले के तडासर गांव के किसानों से मंगाई गई थी. इसे एपीडा से मान्यता प्राप्त निर्यातक-मेसर्स केबी में प्रसंस्कृत और पैक्ड किया गया था. ईटीवी भारत के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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Published : Jun 26, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Jun 26, 2021, 9:13 PM IST

नई दिल्ली : ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है. ड्रैगन फूट प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में पैदा किया जाता है. ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन भारत में 1990 के दशक की शुरुआत में हुआ और इसे घरेलू उद्यानों के रूप में उगाया जाने लगा. विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा खेती के लिए ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल बढ़ने से उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है.

वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पैदा किया जाता है. इसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. ड्रैगन फ्रूट की तीन मुख्य किस्में हैं. सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल, लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल और सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2020 में ऑल इंडिया रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क कच्छ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था. उन्होंने उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए कच्छ के किसानों को ड्रैगन फूट की खेती के लिए बधाई दी थी. ड्रैगन फूट में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसकी यह खासियत किसी व्यक्ति की तनाव से क्षतिग्रस्त होने वाली कोशिकाओं की मरम्मत और शरीर में आई सूजन को कम करने और पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होती है. चूंकि फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे कमलम भी कहा जाता है.

एपीडा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, आधारभूत संरचनाओं का विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार के विकास पर जोर देता है. इसके अलावा वाणिज्य विभाग विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी ढांचा, बाजार पहुंच पहल आदि के माध्यम से निर्यात का भी समर्थन करता है.

ड्रैगन फ्रूट्स की पहली खेप दुबई भेजी गई
ड्रैगन फ्रूट्स की पहली खेप दुबई भेजी गई

भारतीय फलों की बढ़ती मांग

इस महीने महाराष्ट्र के जलगांव के किसानों ने दुबई को भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित केले की खेप का निर्यात किया. वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों में भारत ने 619 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 1.91 लाख टन केले का निर्यात किया.

14 जून को भारत ने बिहार में उगाए गए जीआई प्रमाणित जरदालु आम की पहली खेप यूनाइटेड किंगडम को भी भेज दी. इस साल मई में बिहार से शाही लीची की सीजन की पहली खेप यूनाइटेड किंगडम को निर्यात की गई थी. जबकि ऑर्गेनिक रूप से प्रमाणित और ग्लूटेन मुक्त कटहल पाउडर और रिटॉर्ट पैक्ड कटहल क्यूब्स की पहली खेप भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु से जर्मनी को निर्यात की गई थी. उसी महीने त्रिपुरा के किसानों ने ताजा जैविक कटहल भी लंदन भेज दिया.

$41 बिलियन का कृषि निर्यात

किसान की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने दिसंबर 2018 में देश की पहली कृषि निर्यात नीति की घोषणा की. जिसका उद्देश्य 2022 तक कृषि निर्यात को 60 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है. इस महीने की शुरुआत में जारी नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का कृषि निर्यात $41.25 बिलियन था. जो पिछले वित्त वर्ष में कृषि शिपमेंट की तुलना में 17% से अधिक की वृद्धि थी.

यह भी पढ़ें-टीकाकरण व कोविड प्रोटोकॉल से तीसरी लहर का खतरा कम : आईजीआईबी

अगले साल तक 60 अरब डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे रहा है. एपीडा विभिन्न घटकों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार विकास के तहत निर्यातकों को सहायता प्रदान करता है. इसके अलावा वाणिज्य विभाग निर्यात योजनाओं के लिए व्यापार बुनियादी ढांचे और बाजार पहुंच पहल जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निर्यात का भी समर्थन करता है.

नई दिल्ली : ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है. ड्रैगन फूट प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में पैदा किया जाता है. ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन भारत में 1990 के दशक की शुरुआत में हुआ और इसे घरेलू उद्यानों के रूप में उगाया जाने लगा. विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा खेती के लिए ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल बढ़ने से उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है.

वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पैदा किया जाता है. इसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. ड्रैगन फ्रूट की तीन मुख्य किस्में हैं. सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल, लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल और सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2020 में ऑल इंडिया रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क कच्छ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था. उन्होंने उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए कच्छ के किसानों को ड्रैगन फूट की खेती के लिए बधाई दी थी. ड्रैगन फूट में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसकी यह खासियत किसी व्यक्ति की तनाव से क्षतिग्रस्त होने वाली कोशिकाओं की मरम्मत और शरीर में आई सूजन को कम करने और पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होती है. चूंकि फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे कमलम भी कहा जाता है.

एपीडा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, आधारभूत संरचनाओं का विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार के विकास पर जोर देता है. इसके अलावा वाणिज्य विभाग विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी ढांचा, बाजार पहुंच पहल आदि के माध्यम से निर्यात का भी समर्थन करता है.

ड्रैगन फ्रूट्स की पहली खेप दुबई भेजी गई
ड्रैगन फ्रूट्स की पहली खेप दुबई भेजी गई

भारतीय फलों की बढ़ती मांग

इस महीने महाराष्ट्र के जलगांव के किसानों ने दुबई को भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित केले की खेप का निर्यात किया. वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों में भारत ने 619 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 1.91 लाख टन केले का निर्यात किया.

14 जून को भारत ने बिहार में उगाए गए जीआई प्रमाणित जरदालु आम की पहली खेप यूनाइटेड किंगडम को भी भेज दी. इस साल मई में बिहार से शाही लीची की सीजन की पहली खेप यूनाइटेड किंगडम को निर्यात की गई थी. जबकि ऑर्गेनिक रूप से प्रमाणित और ग्लूटेन मुक्त कटहल पाउडर और रिटॉर्ट पैक्ड कटहल क्यूब्स की पहली खेप भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु से जर्मनी को निर्यात की गई थी. उसी महीने त्रिपुरा के किसानों ने ताजा जैविक कटहल भी लंदन भेज दिया.

$41 बिलियन का कृषि निर्यात

किसान की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने दिसंबर 2018 में देश की पहली कृषि निर्यात नीति की घोषणा की. जिसका उद्देश्य 2022 तक कृषि निर्यात को 60 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है. इस महीने की शुरुआत में जारी नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का कृषि निर्यात $41.25 बिलियन था. जो पिछले वित्त वर्ष में कृषि शिपमेंट की तुलना में 17% से अधिक की वृद्धि थी.

यह भी पढ़ें-टीकाकरण व कोविड प्रोटोकॉल से तीसरी लहर का खतरा कम : आईजीआईबी

अगले साल तक 60 अरब डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे रहा है. एपीडा विभिन्न घटकों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार विकास के तहत निर्यातकों को सहायता प्रदान करता है. इसके अलावा वाणिज्य विभाग निर्यात योजनाओं के लिए व्यापार बुनियादी ढांचे और बाजार पहुंच पहल जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निर्यात का भी समर्थन करता है.

Last Updated : Jun 26, 2021, 9:13 PM IST
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