नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डॉ. फर्नांड डी वारेन्स (Dr Fernand de Varennes) की आलोचना करते हुए जम्मू-कश्मीर पर उनके बयान को निराधार और अनुचित आरोप बताया (India rejects UN special rapporteur’s remarks). सरकार ने कहा, 'जी20 अध्यक्ष के रूप में, देश के किसी भी हिस्से में अपनी बैठकों की मेजबानी करना भारत का विशेषाधिकार है.'
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Holding a #g20 meeting in #jammuandkashmir while massive #humanrights violations are ongoing is lending support to attemps by #India to normalize the brutal & repressive denial of democratic & other rights of #kashmiri #Muslims and #minorities. pic.twitter.com/fjLSjovfKX
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— UN Special Rapporteur on Minority Issues (@fernanddev) May 15, 2023
यह प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत द्वारा एक बयान जिसमें कहा गया है कि 'जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के दौरान जी20 बैठक आयोजित करना भारत द्वारा कश्मीरी मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक और अन्य अधिकारों के क्रूर और दमनकारी इनकार को सामान्य करने का एक प्रयास है.' उनका यह बयान श्रीनगर में जी20 की बैठक से एक सप्ताह पहले आया है.
जिनेवा में भारतीय मिशन ने मंगलवार को ट्वीट किया, ' हम @IndiaUNGeneva अल्पसंख्यक मुद्दों पर SR द्वारा जारी किए गए बयान @fernanddev और इसमें निराधार और अनुचित आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हैं. G20 अध्यक्ष के रूप में, देश के किसी भी हिस्से में अपनी बैठकों की मेजबानी करना भारत का विशेषाधिकार है.'
दूतावास ने ट्वीट किया, 'हम इस बात से सहमत हैं कि @fernanddev ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए गैर-जिम्मेदाराना तरीके से काम किया है और SR के लिए आचार संहिता के घोर उल्लंघन में अपने अनुमानित और पूर्वाग्रही निष्कर्षों को सोशल मीडिया पर प्रचारित करने के लिए SR के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है.'
अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ ने बयान में आगे कहा कि '2019 के बाद से भारतीय प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, जब भारत सरकार ने इस क्षेत्र की विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था.'
फर्नांड डी वारेन्स ने कहा कि 'भारत सरकार 22-24 मई को टूरिज्म पर वर्किंग ग्रुप की G20 मीटिंग को साधन बनाकर और अनुमोदन की एक अंतरराष्ट्रीय मुहर को चित्रित करके सैन्य कब्जे के रूप में वर्णित कुछ लोगों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रही है.'
बयान को खारिज करते हुए भारत ने कहा कि वारेन ने आचार संहिता का घोर उल्लंघन कर अनुमानित निष्कर्ष फैलाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. स्वतंत्र विशेषज्ञ ने कहा कि इस क्षेत्र के बाहर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के इस क्षेत्र में आने की खबरें हैं, इसलिए जम्मू और कश्मीर में नाटकीय जनसांख्यिकीय परिवर्तन चल रहे हैं ताकि मूल कश्मीरियों को उनकी भूमि में अभिभूत किया जा सके.
उन्होंने कहा कि 'अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों और मानवाधिकारों की संयुक्त राष्ट्र घोषणा को अभी भी G20 जैसे संगठनों द्वारा बरकरार रखा जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'जम्मू और कश्मीर की स्थिति की निंदा की जानी चाहिए, न कि इस बैठक के आयोजन के साथ दबाव डाला जाए और इसे नजरअंदाज किया जाए.'
फर्नांड डी वारेन्स ने ट्विटर पर कहा, 'जम्मू और कश्मीर में एक जी20 बैठक आयोजित करना, जबकि बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है, भारत द्वारा कश्मीरी मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक और अन्य अधिकारों के क्रूर और दमनकारी इनकार को सामान्य करने के प्रयासों का समर्थन कर रहा है.'
पाकिस्तान ने भी भारत द्वारा कश्मीर क्षेत्र में G20 बैठक आयोजित करने का विरोध किया है, इसे एक गैर-जिम्मेदाराना कदम बताया है. हालांकि, भारत ने जम्मू-कश्मीर में जी20 बैठक पर पाक की आपत्ति को खारिज कर दिया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पहले कहा था, 'ये G20 कार्यक्रम और बैठकें पूरे भारत में, भारत के हर क्षेत्र में आयोजित की जा रही हैं. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ऐसी बैठकें करना बहुत स्वाभाविक है क्योंकि वे भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं.'
भारत 22 से 24 मई के बीच जम्मू-कश्मीर में G20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है. अगस्त 2019 के बाद से इस क्षेत्र में होने वाला यह पहला ऐसा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होगा, जब भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया था.