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लैंगिक समता में भारत विश्व में 135वें स्थान पर : WEF की रिपोर्ट

विश्व आर्थिक मंच की ओर से जिनेवा में इस साल की वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट में विश्व में भारत को लैंगिक समता के मामले में 135वां स्थान मिला है. वहीं, आइसलैंड लैंगिक रूप से सर्वाधिक समता वाले देश के रूप में शीर्ष पर है.

विश्व आर्थिक मंच
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Published : Jul 13, 2022, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट में भारत को लैंगिक समता के मामले में विश्व में 135वें स्थान पर रखा गया है. हालांकि, यह पिछले साल से आर्थिक भागीदारी एवं अवसर के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पांच पायदान ऊपर चढ़ा है. WEF की जिनेवा में जारी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, आइसलैंड विश्व के लैंगिक रूप से सर्वाधिक समता वाले देश के रूप में शीर्ष पर काबिज है, जिसके बाद फिनलैंड, नार्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन का स्थान है. कुल 146 देशों के सूचकांक में सिर्फ 11 देश ही भारत से नीचे हैं. वहीं, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कांगो, ईरान और चाड सूची में सबसे निचले पायदान वाले पांच देशों में शामिल हैं.

विश्व आर्थिक मंच ने चेतावनी दी है कि जीवनयापन के संकट से विश्व में महिलाओं के सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना है. श्रम बल में लैंगिक अंतराल बढ़ने से लैंगिक अंतराल को पाटने में और 132 साल (2021 के 136 साल की तुलना में) लगेंगे. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कोविड-19 ने लैंगिक समता को एक पीढ़ी पीछे कर दिया है और इससे उबरने की कमजोर दर इसे वैश्विक रूप से और प्रभावित कर रही है.

WEF ने भारत पर कहा कि इसका लैंगिक अंतराल अंक (स्कोर) पिछले 16 वर्षों में इसके सातवें सर्वोच्च स्तर पर दर्ज किया गया है, लेकिन यह विभिन्न मानदंडों पर सर्वाधिक खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है. पिछले साल से भारत ने आर्थिक साझेदारी और अवसर पर अपने प्रदर्शन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक बदलाव दर्ज किया है. लेकिन श्रम बल भागीदारी 2021 से पुरूषों और महिलाओं, दोनों की कम हो गई है.

महिला सांसदों/विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों की हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत से बढ़ कर 17.6 प्रतिशत हो गई है तथा पेशेवर एवं तकनीकी श्रमिकों के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.2 प्रतिशत से बढ़ कर 32.9 प्रतिशत हो गई है. अनुमानित अर्जित आय के मामले में लैंगिक समता अंक बेहतर हुआ है, जबकि पुरूषों और महिलाओं के लिए इसके मूल्य में कमी आई है. वहीं, इस संदर्भ में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक कमी आई है.

राजनीतिक सशक्तिकरण के उप सूचकांक में अंक का घटना इसलिए प्रदर्शित हुआ है कि पिछले 50 वर्षों में राष्ट्र प्रमुख के तौर पर महिलाओं की भागीदारी के वर्षों में कमी आई है. हालांकि, भारत इस उप सूचकांक में 48वें स्थान पर है जो अपेक्षाकृत अधिक है. स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा सूचकांक में भारत का रैंक 146वां है और यह उन पांच देशों में शुमार है, जहां का लैंगिक अंतराल पांच प्रतिशत से अधिक है. अन्य चार देश-कतर, पाकिस्तान, अजरबैजान और चीन हैं.

हालांकि, प्राथमिक शिक्षा में दाखिले के लिए लैंगिक समता के मामले में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है. WEF की प्रबंध निदेशक सादिया जहीदी ने कहा, "महामारी के दौरान श्रम बाजार को नुकसान पहुंचने के बाद जीवनयापन की लागत पर आये संकट ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट में भारत को लैंगिक समता के मामले में विश्व में 135वें स्थान पर रखा गया है. हालांकि, यह पिछले साल से आर्थिक भागीदारी एवं अवसर के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पांच पायदान ऊपर चढ़ा है. WEF की जिनेवा में जारी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, आइसलैंड विश्व के लैंगिक रूप से सर्वाधिक समता वाले देश के रूप में शीर्ष पर काबिज है, जिसके बाद फिनलैंड, नार्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन का स्थान है. कुल 146 देशों के सूचकांक में सिर्फ 11 देश ही भारत से नीचे हैं. वहीं, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कांगो, ईरान और चाड सूची में सबसे निचले पायदान वाले पांच देशों में शामिल हैं.

विश्व आर्थिक मंच ने चेतावनी दी है कि जीवनयापन के संकट से विश्व में महिलाओं के सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना है. श्रम बल में लैंगिक अंतराल बढ़ने से लैंगिक अंतराल को पाटने में और 132 साल (2021 के 136 साल की तुलना में) लगेंगे. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कोविड-19 ने लैंगिक समता को एक पीढ़ी पीछे कर दिया है और इससे उबरने की कमजोर दर इसे वैश्विक रूप से और प्रभावित कर रही है.

WEF ने भारत पर कहा कि इसका लैंगिक अंतराल अंक (स्कोर) पिछले 16 वर्षों में इसके सातवें सर्वोच्च स्तर पर दर्ज किया गया है, लेकिन यह विभिन्न मानदंडों पर सर्वाधिक खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है. पिछले साल से भारत ने आर्थिक साझेदारी और अवसर पर अपने प्रदर्शन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक बदलाव दर्ज किया है. लेकिन श्रम बल भागीदारी 2021 से पुरूषों और महिलाओं, दोनों की कम हो गई है.

महिला सांसदों/विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों की हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत से बढ़ कर 17.6 प्रतिशत हो गई है तथा पेशेवर एवं तकनीकी श्रमिकों के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.2 प्रतिशत से बढ़ कर 32.9 प्रतिशत हो गई है. अनुमानित अर्जित आय के मामले में लैंगिक समता अंक बेहतर हुआ है, जबकि पुरूषों और महिलाओं के लिए इसके मूल्य में कमी आई है. वहीं, इस संदर्भ में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक कमी आई है.

राजनीतिक सशक्तिकरण के उप सूचकांक में अंक का घटना इसलिए प्रदर्शित हुआ है कि पिछले 50 वर्षों में राष्ट्र प्रमुख के तौर पर महिलाओं की भागीदारी के वर्षों में कमी आई है. हालांकि, भारत इस उप सूचकांक में 48वें स्थान पर है जो अपेक्षाकृत अधिक है. स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा सूचकांक में भारत का रैंक 146वां है और यह उन पांच देशों में शुमार है, जहां का लैंगिक अंतराल पांच प्रतिशत से अधिक है. अन्य चार देश-कतर, पाकिस्तान, अजरबैजान और चीन हैं.

हालांकि, प्राथमिक शिक्षा में दाखिले के लिए लैंगिक समता के मामले में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है. WEF की प्रबंध निदेशक सादिया जहीदी ने कहा, "महामारी के दौरान श्रम बाजार को नुकसान पहुंचने के बाद जीवनयापन की लागत पर आये संकट ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है."

(पीटीआई-भाषा)

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