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भारत-पाक के बीच बातचीत में 'तीसरे पक्ष' की मध्यस्थता भारत को स्वीकार नहीं : विशेषज्ञ

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि वे दोनों पड़ोसियों के बीच जारी तनाव को कम करने में दखल देने के लिए किसी और की, यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की भी सराहना करेंगे. हालांकि इस मसले पर भारत के पूर्व राजदूत और उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत नहीं चाहता है कि बातचीत में किसी तीसरे की मध्यस्थता हो.

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Published : Apr 19, 2021, 8:20 PM IST

नई दिल्ली : भारत-पाक को वार्ता की मेज पर लाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के प्रयास पर टिप्पणी करते हुए पार्थसारथी ने कहा कि हर देश को विदेश नीति में अच्छा नाम प्राप्त करना पसंद है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तुर्की और मलेशिया द्वारा शुरू किए गए प्रस्ताव से इस्लामी समूह में शामिल होने में दिलचस्पी ली.

जिसके बाद अरब के अधिकांश देशों ने पारंपरिक रूप से ओआईसी का नेतृत्व किया. क्योंकि यूएई और सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंध बहुत खराब हैं. तब पाकिस्तान को हर तरह का संशोधन करना पड़ा क्योंकि वह संयुक्त अरब अमीरात के प्रेषण पर बहुत निर्भर है. काफी समय के बाद UAE पाकिस्तान के साथ सामान्य होने के लिए सहमत हो गया और यह लगभग दो वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया है.

पार्थसारथी ने कहा कि इस मामले का तथ्य यह है कि यूएई के भारत के साथ इतने अच्छे संबंध हैं कि उन्होंने हमें अपमानित नहीं किया. यह पूछे जाने पर कि क्या जल्द ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक संवाद की उम्मीद की जा सकती है. पार्थसारथी ने कहा कि भारत-पाक बातचीत का चैनल और गुप्त होना चाहिए अन्यथा यह निरर्थक है. हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि वार्ता प्रारंभिक स्तर पर है और मुझे संदेह नहीं है कि बैक चैनल चल रहा है जो उन्होंने शुरू किया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने यूएई के स्थानीय मीडिया को बताया कि आखिरकार दक्षिण एशिया के लोगों को बैठना है और यह तय करना है कि वे अपने लिए किस तरह के भविष्य की कल्पना करते हैं. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनकी यात्रा के दौरान उनके एजेंडे में भारत से संबंधित कोई बातचीत नहीं है. कुरैशी इस समय अबू धाबी की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं.

कुरैशी ने कहा कि मैं द्विपक्षीय यात्रा के लिए यहां हूं. मैं यहां भारत के विशिष्ट एजेंडा के लिए नहीं हूं. मेरा एजेंडा यूएई- पाकिस्तान है न कि भारत-पाकिस्तान. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद को निपटाने के लिए पाकिस्तान थर्ड पार्टी सुविधा का स्वागत करता है और भारत हमेशा उसी पर झिझकता रहा है.

दूसरी ओर भारत ने चुप रहना पसंद किया है क्योंकि उसने हमेशा यह कहा है कि बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए और कश्मीर मुद्दे पर बाहरी हस्तक्षेप से इनकार किया जाना चाहिए. सबसे दिलचस्प बात यह है कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर रविवार को अबू धाबी पहुंचे. उनकी यात्रा का फोकस आर्थिक सहयोग, द्विपक्षीय संबंधों और सामुदायिक कल्याण को मजबूत करना है.

ईएएम जयशंकर ने अपने यूएई समकक्ष शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान के साथ उत्पादक बातचीत की. जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों ​​पर चर्चा की. विशेष रूप से कोविड के बाद आर्थिक सुधार पर मजबूती से फोकस किया है. हालांकि अटकलें हैं कि दोनों विदेश मंत्री संयुक्त अरब अमीरात में बातचीत कर सकते हैं. पहले की रिपोर्ट्स बता रही हैं कि यूएई भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का दौर शुरू कर रहा है.

दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों ने पुलवामा हमले के बाद से बदसूरत मोड़ ले लिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन को नहीं भूलना चाहिए जो दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ले गया था. इसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस हद तक खींचा कि सभी प्रमुख शक्तियों ने शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया था.

क्योंकि दुनिया के देशों को दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच एक युद्ध के कारण होने वाली वीरानी का संदेह होने लगा था. कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि जब तक भारत धारा 370 के निरसन पर अपने फैसले को वापस नहीं लेता है, तब तक पाकिस्तान और भारत के बीच कोई सामान्य संबंध नहीं हो सकता.

यह भी पढ़ें-पश्चिम बंगाल : भाजपा की रैलियां बनीं मुद्दा, पार्टी ने कहा जिम्मेदारी चुनाव आयोग की

भारत के पास समय है और वह फिर से आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध पर कायम है.

नई दिल्ली : भारत-पाक को वार्ता की मेज पर लाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के प्रयास पर टिप्पणी करते हुए पार्थसारथी ने कहा कि हर देश को विदेश नीति में अच्छा नाम प्राप्त करना पसंद है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तुर्की और मलेशिया द्वारा शुरू किए गए प्रस्ताव से इस्लामी समूह में शामिल होने में दिलचस्पी ली.

जिसके बाद अरब के अधिकांश देशों ने पारंपरिक रूप से ओआईसी का नेतृत्व किया. क्योंकि यूएई और सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंध बहुत खराब हैं. तब पाकिस्तान को हर तरह का संशोधन करना पड़ा क्योंकि वह संयुक्त अरब अमीरात के प्रेषण पर बहुत निर्भर है. काफी समय के बाद UAE पाकिस्तान के साथ सामान्य होने के लिए सहमत हो गया और यह लगभग दो वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया है.

पार्थसारथी ने कहा कि इस मामले का तथ्य यह है कि यूएई के भारत के साथ इतने अच्छे संबंध हैं कि उन्होंने हमें अपमानित नहीं किया. यह पूछे जाने पर कि क्या जल्द ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक संवाद की उम्मीद की जा सकती है. पार्थसारथी ने कहा कि भारत-पाक बातचीत का चैनल और गुप्त होना चाहिए अन्यथा यह निरर्थक है. हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि वार्ता प्रारंभिक स्तर पर है और मुझे संदेह नहीं है कि बैक चैनल चल रहा है जो उन्होंने शुरू किया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने यूएई के स्थानीय मीडिया को बताया कि आखिरकार दक्षिण एशिया के लोगों को बैठना है और यह तय करना है कि वे अपने लिए किस तरह के भविष्य की कल्पना करते हैं. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनकी यात्रा के दौरान उनके एजेंडे में भारत से संबंधित कोई बातचीत नहीं है. कुरैशी इस समय अबू धाबी की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं.

कुरैशी ने कहा कि मैं द्विपक्षीय यात्रा के लिए यहां हूं. मैं यहां भारत के विशिष्ट एजेंडा के लिए नहीं हूं. मेरा एजेंडा यूएई- पाकिस्तान है न कि भारत-पाकिस्तान. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद को निपटाने के लिए पाकिस्तान थर्ड पार्टी सुविधा का स्वागत करता है और भारत हमेशा उसी पर झिझकता रहा है.

दूसरी ओर भारत ने चुप रहना पसंद किया है क्योंकि उसने हमेशा यह कहा है कि बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए और कश्मीर मुद्दे पर बाहरी हस्तक्षेप से इनकार किया जाना चाहिए. सबसे दिलचस्प बात यह है कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर रविवार को अबू धाबी पहुंचे. उनकी यात्रा का फोकस आर्थिक सहयोग, द्विपक्षीय संबंधों और सामुदायिक कल्याण को मजबूत करना है.

ईएएम जयशंकर ने अपने यूएई समकक्ष शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान के साथ उत्पादक बातचीत की. जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों ​​पर चर्चा की. विशेष रूप से कोविड के बाद आर्थिक सुधार पर मजबूती से फोकस किया है. हालांकि अटकलें हैं कि दोनों विदेश मंत्री संयुक्त अरब अमीरात में बातचीत कर सकते हैं. पहले की रिपोर्ट्स बता रही हैं कि यूएई भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का दौर शुरू कर रहा है.

दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों ने पुलवामा हमले के बाद से बदसूरत मोड़ ले लिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन को नहीं भूलना चाहिए जो दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ले गया था. इसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस हद तक खींचा कि सभी प्रमुख शक्तियों ने शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया था.

क्योंकि दुनिया के देशों को दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच एक युद्ध के कारण होने वाली वीरानी का संदेह होने लगा था. कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि जब तक भारत धारा 370 के निरसन पर अपने फैसले को वापस नहीं लेता है, तब तक पाकिस्तान और भारत के बीच कोई सामान्य संबंध नहीं हो सकता.

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भारत के पास समय है और वह फिर से आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध पर कायम है.

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