किन्नौर/हिमाचल प्रदेश: देश के प्रथम मतदाता श्याम शरण नेगी(shyam saran negi) 104 साल के हो गए हैं. कोविड संक्रमण के चलते उनके परिवार ने कोरोना प्रोटोकॉल(corona protocol) के तहत उनके जन्मदिन को सामान्य तरीके से मनाया. श्याम शरण नेगी का जन्म 1 जुलाई 1917 को किन्नौर के कल्पा में हुआ था.
जन्मदिन के मौके पर देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम शरण नेगी ने ईटीवी से खास बातचीत में कहा कि उन्हें 104 वर्ष की उम्र में प्रवेश करने के बाद भी शारीरिक रूप से बहुत अधिक पीड़ा महसूस नहीं होती है, लेकिन कहीं न कहीं बढ़ती उम्र के साथ शरीर के कुछ अंग काम करने बन्द कर रहे हैं. इस बार कोविड के चलते उनके जन्मदिवस पर प्रशासन की ओर से कोई भी उनके घर नहीं आया और उनका जन्मदिन बिल्कुल सामान्य रूप से घर परिवार के मध्य ही मनाया गया है. उन्होंने कहा कि 104 वर्षों में उन्होंने देश-प्रदेश में बड़े बदलाव देखे हैं. 60 -70 के दशक में हम बहुत पीछे थे, लेकिन आज देश तेज रफ्तार से विकास की ओर बढ़ रहा है. पुराने जमाने में कुछ कामों को करने में कई दिन लग जाते थे, लेकिन अब नई तकनीक के जरिए ये काम कुछ घंटों में पूरे हो जाते हैं.
- मंडी उपचुनाव में भी करेंगे मतदान
वहीं, देश के प्रथम मतदाता से जब ईटीवी भारत ने आगामी मंडी लोकसभा उपचुनाव में मतदान करने के बारे में पूछा तो उन्होंने इस बात पर बड़े जोश भरी आवाज से कहा कि उपचुनावों में वे मतदान जरूर करेंगे चाहे उन्हें किसी की पीठ पर ही मतदान केंद्र तक क्यों ना जाना पड़े.
- इस तरह देश के पहले वोटर बने थे श्याम शरण
श्याम शरण नेगी के देश के पहले मतदाता(india first voter) बनने वाली कहानी बेहद रोचक है. ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव हुए थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था.
देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में श्याम शरण नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. उस समय सुविधाओं और संसाधनों की कमी थी. साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मत-पेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम शरण नेगी ने टीन के कनस्तर को मत-पेटी का रूप दिया.
- लोगों को समझाया था वोट का महत्व
अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी व्यक्ति मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम शरण नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर, 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरण नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया. उनके इस प्रयास को देश भर में सराहना मिली थी.
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- चुनाव आयोग ने तैयार की डॉक्यूमेंट्री
भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम शरण के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है. 1951 में पहली बार लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डाले उन्हें 70 साल से अधिक का समय बीत चुका है. इतन सालों में एक भी ऐसा चुनाव नहीं गया जिसमें मास्टर श्याम शरण नेगी ने वोट डालना मिस किया हो. उन्हें लोकतंत्र का लिविंग लीजेंड माना जाता है.
- सनम रे फिल्म में किया काम
104 की उम्र उनकी आंखों में दिखना कम और घुटने दुखते जरूर हैं, लेकिन उनका हौसला किसी नौजवान से कम नहीं है. ईटीवी भारत की टीम जब उनके निवास स्थान कल्पा पहुंची तो ये देखकर अचंभित रह गई कि नेगी जी आज भी अपने अधिकतर कार्य खुद करते हैं. समाज को लेकर सोच आश्चर्यचकित कर देने वाली है. कुछ समय पहले मीडिया में उनकी चर्चा उस समय भी हुई थी जब फिल्म 'सनम रे' में उन्होंने एक बहुत छोटा सा किरदार निभाया था.