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इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर नजर बनाए हुए भारत : विदेश मंत्रालय - विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

साप्ताहिक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हम इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर विकास का बारीकी से नजर बनाए हुए हैं.

अरिंदम बागची
अरिंदम बागची
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Published : May 20, 2021, 8:14 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित घटनाक्रम पर वह बारीकी से नजर रख रहा हुआ है, जिसमें अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है.

गुरुवार को यहां एक साप्ताहिक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हम इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर विकास का बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. यह मुद्दा फिर से सामने आता है, तो हम यूएनजीए (संयुक्त राष्ट्र महासभा) में भी एक बयान देने की उम्मीद करते हैं.

इससे पहले 16 मई को मध्य पूर्व की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक खुली बहस को संबोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि चल रही हिंसा के परिणामस्वरूप दर्जनों मौतें हुई हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों शामिल हैं,

उन्होंने आगे कहा कि भारत हिंसा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, जिसमें गाजा से अंधाधुंध रॉकेट फायरिंग और जवाबी हमले शामिल हैं.

तिरुमूर्ति ने कहा कि हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचने और पूर्वी यरुशलम और उसके पड़ोस सहित मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से परहेज करने का आग्रह करते हैं. राजदूत ने यह भी दोहराया कि भारत फिलीस्तीनियों के न्यायोचित कारण और दो राज्यों के समाधान का समर्थन करता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ अपनी टेलीफोन पर बातचीत के दौरान की. उन्हें युद्धविराम के रास्ते पर एक महत्वपूर्ण डी-एस्केलेशन की उम्मीद है. दोनों नेताओं ने गाजा में घटनाओं की स्थिति, हमास और अन्य आतंकवादी तत्वों की क्षमताओं को कम करने में इजरायल की प्रगति और क्षेत्रीय सरकारों और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चल रहे राजनयिक प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की.

वहीं, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए तथा सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है .

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस वर्ष शुरू की गयी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में 30 अप्रैल को अपने चीनी समकक्ष के साथ चर्चा की थी और यह बताया था कि यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है तथा यह जरूरी है कि इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए .

बागची ने कहा, ' इस संदर्भ में यह सहमति बनी कि वे जमीन पर स्थिरता बनाये रखेंगे और किसी नयी घटना से बचेंगे.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,' हमें उम्मीद है कि कोई भी पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगा, जो इस समझ के अनुरूप नहीं हो.'

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है.

पढ़ें - बार्ज पी-305 पर मौजूद लोगों में से 37 के शव बरामद, 49 अब भी लापता

उनसे पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध से जुड़ी ताजा स्थिति एवं सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के बारे में पूछा गया था .

सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के संबंध में बागची ने कहा, 'हमारे सेना प्रमुख (मनोज मुकुंद नरवणे) ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी है .'

नरवणे ने हाल में मीडिया से बातचीत में कहा था कि ऐसे किसी भी क्षेत्र में कोई हलचल नहीं हुई है, जहां से हम पीछे हटे हैं. पैंगोंग झील समझौते का दोनों पक्षों ने पूरा सम्मान रखा है.

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था. इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी. सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था.

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित घटनाक्रम पर वह बारीकी से नजर रख रहा हुआ है, जिसमें अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है.

गुरुवार को यहां एक साप्ताहिक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हम इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर विकास का बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. यह मुद्दा फिर से सामने आता है, तो हम यूएनजीए (संयुक्त राष्ट्र महासभा) में भी एक बयान देने की उम्मीद करते हैं.

इससे पहले 16 मई को मध्य पूर्व की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक खुली बहस को संबोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि चल रही हिंसा के परिणामस्वरूप दर्जनों मौतें हुई हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों शामिल हैं,

उन्होंने आगे कहा कि भारत हिंसा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, जिसमें गाजा से अंधाधुंध रॉकेट फायरिंग और जवाबी हमले शामिल हैं.

तिरुमूर्ति ने कहा कि हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचने और पूर्वी यरुशलम और उसके पड़ोस सहित मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से परहेज करने का आग्रह करते हैं. राजदूत ने यह भी दोहराया कि भारत फिलीस्तीनियों के न्यायोचित कारण और दो राज्यों के समाधान का समर्थन करता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ अपनी टेलीफोन पर बातचीत के दौरान की. उन्हें युद्धविराम के रास्ते पर एक महत्वपूर्ण डी-एस्केलेशन की उम्मीद है. दोनों नेताओं ने गाजा में घटनाओं की स्थिति, हमास और अन्य आतंकवादी तत्वों की क्षमताओं को कम करने में इजरायल की प्रगति और क्षेत्रीय सरकारों और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चल रहे राजनयिक प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की.

वहीं, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए तथा सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है .

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस वर्ष शुरू की गयी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में 30 अप्रैल को अपने चीनी समकक्ष के साथ चर्चा की थी और यह बताया था कि यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है तथा यह जरूरी है कि इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए .

बागची ने कहा, ' इस संदर्भ में यह सहमति बनी कि वे जमीन पर स्थिरता बनाये रखेंगे और किसी नयी घटना से बचेंगे.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,' हमें उम्मीद है कि कोई भी पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगा, जो इस समझ के अनुरूप नहीं हो.'

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है.

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उनसे पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध से जुड़ी ताजा स्थिति एवं सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के बारे में पूछा गया था .

सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के संबंध में बागची ने कहा, 'हमारे सेना प्रमुख (मनोज मुकुंद नरवणे) ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी है .'

नरवणे ने हाल में मीडिया से बातचीत में कहा था कि ऐसे किसी भी क्षेत्र में कोई हलचल नहीं हुई है, जहां से हम पीछे हटे हैं. पैंगोंग झील समझौते का दोनों पक्षों ने पूरा सम्मान रखा है.

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था. इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी. सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था.

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