नई दिल्ली: भारत और भूटान दोनों ही देश गैर-पनबिजली नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन के साथ-साथ ई-गतिशीलता के लिए हरित पहल के क्षेत्र में ऊर्जा साझेदारी का विस्तार करने को लेकर सहमत हुए हैं. वहीं भारतीय पक्ष ने इन क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता का भी आश्वासन दिया है. उक्त बयान भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (King of Bhutan Jigme Khesar Namgyel Wangchuck) की तीन से पांच अप्रैल तक भारत की आधिकारिक यात्रा के समापन पर आया है. भूटान नरेश के साथ उनके विदेश और विदेश व्यापार मंत्री ल्योंपो डॉ. टांडी दोरजी और भूटान की शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी थे.
यात्रा के दौरान, भूटान के राजा ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) से मुलाकात करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ बातचीत की. इसी क्रम में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और वरिष्ठ अधिकारियों ने भूटान नरेश से मुलाकात की. बता दें कि भारत और भूटान सभी स्तरों पर विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ, दोस्ती के मजबूत बंधन और लोगों से लोगों के करीबी संपर्कों की विशेषता वाले एक अनुकरणीय द्विपक्षीय संबंध को साझा करते हैं. यात्रा के दौरान, भूटान नरेश और भारत के प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं और आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. दोनों नेताओं ने कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत और भूटान द्वारा एक-दूसरे की मदद करने के तरीके पर संतोष जताया. दोनों ही देश क्षेत्र में प्रगति और विकास के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए क्योंकि अर्थव्यवस्था महामारी से उबर रही है.
वहीं महत्वपूर्ण बैठक के बाद भारत-भूटान के संयुक्त बयान में कहा है कि जलविद्युत सहयोग भारत-भूटान द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी की आधारशिला रहा है. यह दोनों देशों के लिए एक उत्पादक व्यवस्था रही है जिससे भूटान को संयुक्त रूप से विकसित किए गए जलविद्युत संयंत्रों से बिजली की बिक्री से राजस्व की आय प्राप्त होती है और भारत ऊर्जा की सुनिश्चित आपूर्ति से लाभान्वित होता है.
इस संदर्भ में कोविड-19 के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान भूटानी अर्थव्यवस्था की मदद करने में जलविद्युत परियोजनाओं की भूमिका का भी जिक्र किया गया. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय जलविद्युत सहयोग के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की और इस बात पर संतोष जताया कि संयुक्त रूप से स्थापित कुल 2136 मेगावाट की परियोजनाएं अच्छी तरह से काम कर रही हैं. दोनों पक्षों ने हाल ही में भूटान को 720 मेगावाट की मंगदेछु जलविद्युत परियोजना सौंपे जाने का भी स्वागत किया. साथ ही चल रही परियोजनाओं के संदर्भ में, दोनों पक्षों ने पुनातसांग्चू-I एचईपी के लिए तकनीकी रूप से मजबूत और लागत प्रभावी तरीका खोजने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
इसके अलावा नेताओं ने 1020 मेगावाट पुनातसांग्चू-II एचईपी के निर्माण में प्रगति पर संतोष जताया और इसके 2024 के प्रारंभ में चालू हो जाने की उम्मीद की. दोनों पक्षों ने इन परियोजनाओं को लेकर चर्चा की और इसके जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर सहमति जताई. दूसरी तरफ भूटानी पक्ष ने सर्दियों के महीनों के दौरान भूटान के ऊर्जा घाटे को पूरा करने के लिए भारत से बिजली के आयात को सक्षम करने को लेकर भारत का धन्यवाद किया. वहीं भारतीय पक्ष 64 मेगावाट बसोचू एचईपी से भारतीय ऊर्जा विनिमय में बिजली की बिक्री के लिए भूटान के अनुरोध पर विचार करने पर सहमत हुआ. साथ ही दोनों पक्षों ने जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग के महत्व और संकोश एचईपी सहित नई परियोजनाओं के तौर-तरीकों की समीक्षा करने और उन्हें अंतिम रूप देने की तत्काल आवश्यकता की बात दोहराई.
भारतीय पक्ष ने भूटान में नई और आगामी जलविद्युत परियोजनाओं के लिए बिजली की बिक्री के लिए वित्तपोषण और बाजार तक पहुंच के भूटान के अनुरोध पर विचार करने का भी आश्वासन दिया. इसके अलावा सौर और पवन जैसे गैर-जल विद्युत नवीकरणीय क्षेत्रों के साथ-साथ ई-गतिशीलता के लिए हरित पहलों के क्षेत्र में भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी का विस्तार करने पर भी सहमति हुई. भारतीय पक्ष ने इन क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता का भी आश्वासन दिया.
भूटान के राजा ने अपनी यात्रा के दौरान भूटान में चल रही महत्वपूर्ण सुधार प्रक्रिया पर मूल्यवान दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि साझा की. उन्होंने भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता की सराहना की. उन्होंने भारत के साथ भूटान की बढ़ती साझेदारी पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें अंतरिक्ष, स्टार्ट अप और एसटीईएम शिक्षा के नए मोर्चे शामिल हैं.
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