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वीआईपी की सुरक्षा वापस लेने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा रिव्यू करे पंजाब सरकार - हाई कोर्ट ने कहा रिव्यू करे सरकार

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अति विशिष्ट (वीआइपी) लोगों की सुरक्षा को कम करने के मामले में पंजाब सरकार को नए सिरे से खतरे का आंकलन कर सुरक्षा दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. मई माह में पंजाब सरकार द्वारा 424 वीआइपी लोगों की सुरक्षा कम या पूरी तरह से खत्म कर दी थी.

वीआईपी की सुरक्षा वापस लेने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा रिव्यू करे सरकार
वीआईपी की सुरक्षा वापस लेने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा रिव्यू करे सरकार
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Published : Aug 24, 2022, 6:50 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अति विशिष्ट (वीआइपी) लोगों की सुरक्षा को कम करने के मामले में पंजाब सरकार को नए सिरे से खतरे का आंकलन कर सुरक्षा दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. मई माह में पंजाब सरकार द्वारा 424 वीआइपी लोगों की सुरक्षा कम या पूरी तरह से खत्म कर दी थी. मंगलवार को हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को उन सभी पर नए सिरे से खतरे का आंकलन कर सुरक्षा दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों से सलाह मशविरा करने के बाद ही ऐसा फैसला लेने को कहा है. हाई कोर्ट ने सुरक्षा लीक पर भी चिंता जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक की जा रही जानकारी कई लोगों को जोखिम में डाल सकती है. शरारती तत्व इसका फायदा उठा सकते हैं.

पढ़ें: हाई कोर्ट ने कहा- लाउडस्पीकर पर अजान से लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता

हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं कि जब तक नए सिरे से आंकलन नहीं हो जाता है तब तक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था जारी रहेगी. लेकिन जिनकी सुरक्षा पूरी वापस ले ली गई थी, उनकी सुरक्षा में एक-एक सुरक्षाकर्मी तैनात करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस राज मोहन सिंह ने इस मामले को लेकर 45 याचिकाओं का निपटारा करते हुए पंजाब सरकार को यह आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं है और न ही रुतबे और स्टेटस के लिए सुरक्षा दी जा सकती है. सुरक्षा खतरे का आंकलन करने के बाद उन्हें ही दी जाए, जिनकी सुरक्षा को वास्तविक खतरा है.

पंजाब के 424 वीआइपी सुरक्षा वापस लिए जाने या कम किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी. नेताओं ने कहा था कि पंजाब सरकार ने उनकी सुरक्षा वापिस लेकर उन पर खतरे को और भी बढ़ा दिया है. इतना ही नहीं सुरक्षा वापस लिए जाने के आदेशों को सार्वजनिक कर दिया गया, जिससे हर किसी को पता चल गया कि किसकी कितनी सुरक्षा वापस ली जा चुकी है या कम की गई है. इससे उन पर और भी खतरा बढ़ गया है.

पढ़ें: एनडीटीवी में हिस्सेदारी खरीदेगा अडाणी समूह, NDTV ने किया इनकार

इसके जवाब में पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि 6 जून को घल्लूघारा दिवस के चलते यह सुरक्षा वापस ली गई थी और 7 जून से पुरानी सुरक्षा बहाल कर दी गई. जहां तक इस सूची के सार्वजनिक होने का मामला है उसकी जांच की जा रही है. सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी सहित बलबीर सिंह सिद्धू, गुरचरण सिंह बोपाराय, सुखविंदर सिंह, कृष्ण कुमार, देश राज दुग्गा, गुलजार सिंह रणिके, सुच्चा सिंह छोटेपुर सहित 45 ने भी याचिकाएं दायर की थी. सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद मामले ने तूल पकड़ा था.

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अति विशिष्ट (वीआइपी) लोगों की सुरक्षा को कम करने के मामले में पंजाब सरकार को नए सिरे से खतरे का आंकलन कर सुरक्षा दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. मई माह में पंजाब सरकार द्वारा 424 वीआइपी लोगों की सुरक्षा कम या पूरी तरह से खत्म कर दी थी. मंगलवार को हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को उन सभी पर नए सिरे से खतरे का आंकलन कर सुरक्षा दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों से सलाह मशविरा करने के बाद ही ऐसा फैसला लेने को कहा है. हाई कोर्ट ने सुरक्षा लीक पर भी चिंता जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक की जा रही जानकारी कई लोगों को जोखिम में डाल सकती है. शरारती तत्व इसका फायदा उठा सकते हैं.

पढ़ें: हाई कोर्ट ने कहा- लाउडस्पीकर पर अजान से लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता

हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं कि जब तक नए सिरे से आंकलन नहीं हो जाता है तब तक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था जारी रहेगी. लेकिन जिनकी सुरक्षा पूरी वापस ले ली गई थी, उनकी सुरक्षा में एक-एक सुरक्षाकर्मी तैनात करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस राज मोहन सिंह ने इस मामले को लेकर 45 याचिकाओं का निपटारा करते हुए पंजाब सरकार को यह आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं है और न ही रुतबे और स्टेटस के लिए सुरक्षा दी जा सकती है. सुरक्षा खतरे का आंकलन करने के बाद उन्हें ही दी जाए, जिनकी सुरक्षा को वास्तविक खतरा है.

पंजाब के 424 वीआइपी सुरक्षा वापस लिए जाने या कम किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी. नेताओं ने कहा था कि पंजाब सरकार ने उनकी सुरक्षा वापिस लेकर उन पर खतरे को और भी बढ़ा दिया है. इतना ही नहीं सुरक्षा वापस लिए जाने के आदेशों को सार्वजनिक कर दिया गया, जिससे हर किसी को पता चल गया कि किसकी कितनी सुरक्षा वापस ली जा चुकी है या कम की गई है. इससे उन पर और भी खतरा बढ़ गया है.

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इसके जवाब में पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि 6 जून को घल्लूघारा दिवस के चलते यह सुरक्षा वापस ली गई थी और 7 जून से पुरानी सुरक्षा बहाल कर दी गई. जहां तक इस सूची के सार्वजनिक होने का मामला है उसकी जांच की जा रही है. सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी सहित बलबीर सिंह सिद्धू, गुरचरण सिंह बोपाराय, सुखविंदर सिंह, कृष्ण कुमार, देश राज दुग्गा, गुलजार सिंह रणिके, सुच्चा सिंह छोटेपुर सहित 45 ने भी याचिकाएं दायर की थी. सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद मामले ने तूल पकड़ा था.

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