कासगंज : प्रयागराज में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पुलिस ने तीन शूटरों लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्या को गिरफ्तार किया था. इनमें से शूटर अरुण मौर्या कासगंज के सोरों इलाके के गांव कादरवाड़ी का रहने वाला है. सोमवार को ईटीवी भारत की टीम उसके गांव में पहुंची. हालांकि उसके घर पर कोई नहीं मिला. घर के बाहर पुलिस फोर्स तैनात मिली.
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में शामिल शूटर अरुण मौर्या मूल रूप से कासगंज के सोरों कोतवाली क्षेत्र के ग्राम कादरवाड़ी का रहने वाला है. अरूण मौर्या पुत्र दीपक वर्तमान में हरियाणा के पानीपत जिले के विकास नगर में रह रहा था. दरअसल, अरुण के दादा मथुरा प्रसाद परिवार सहित आर्थिक तंगी के चलते 1988 में कादरवाड़ी में अपना पुश्तैनी मकान छोड़ पानीपत जाकर बस गए थे. पानीपत में उन्होंने एक फैक्ट्री में नौकरी की. पानीपत में ही मथुरा प्रसाद के दो बेटे सुनील और दीपक ने जन्म लिया.
पानीपत में ही दीपक की शादी हुई और यहीं पर उनके बेटे अरुण मौर्या ने जन्म लिया. अरुण हाईस्कूल पास है. वह अपराधी प्रवृत्ति का है. पानीपत में उस पर आर्म्स एक्ट में पहले से दो मामले दर्ज हैं. 1995 में अरुण के दादा मथुरा प्रसाद ने अपना खुद का मकान पानीपत में खरीदा था. आठ वर्ष पूर्व अरुण के पिता दीपक पानीपत छोड़ कासगंज के ग्राम कादरवाड़ी में अपने पुश्तैनी मकान में रहने लगे. हालांकि अरुण कादरवाड़ी नहीं आया. वह पानीपत में ही रहा था. अरुण के पिता दीपक गांव में पानी-पूरी का ठेला लगाकर पत्नी और दो बच्चों का भरण-पोषण करने लगे.
ईटीवी भारत की टीम जब ग्राम कादरवाड़ी पहुंची तो अरुण के घर पर ताला लटका मिला. उसके माता-पिता और भाई-बहन घर छोड़कर बिना बताए कहीं चले गए. घर के दरवाजे पर खुले में आलू और गेहूं की बोरियां पड़ीं हुईं थीं. घर के बगल में ही गली में अरुण के पिता दीपक का ठेला खड़ा था. गांव के शिव कुमार और गायत्री ने बताया कि उन्होंने अरुण को गांव में कभी नहीं देखा.
कादरवाड़ी गांव के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रभात सक्सेना ने बताया कि अरुण के पिता दीपक और उसका भाई गांव में ही पानी-पूरी बेचते हैं. दीपक जिस घर में रहते हैं, उसमें मात्र एक ही कमरा है. अरुण को गांव में कभी नहीं देखा गया. पूरा परिवार गांव से गायब है. घर के बाहर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है.
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