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PM बनने की चाह में बिहारियों के भविष्य से खेल रहे नीतीश, JSSU ने कहा- राज्य की नौकरी पर वहां के युवाओं का पहला हक, झामुमो बोली- अंदरूनी मामला - बिहार राज्य अध्यापक नियुक्ति

बिहार सरकार ने राज्य में चल रही शिक्षक बहाली प्रक्रिया में पूरे देश के प्रतिभागियों को मौका देने का निर्णय लिया है. बिहार की नजर से देखें तो जो लोग भी बिहार में नौकरी करने के लिए फार्म भरेंगे उनके लिए बिहारी और बिहारियत कहलाना नाज की बात होगी. देश स्तर पर मोदी विरोधी महागठबंधन की गोलबंदी में जुटे बिहार ने पूरे देश के लिए अपने आंचल को बड़ा किया है. बिहारी स्मिता की लड़ाई नीतीश कुमार का मुद्दा था अब देश को रोजगार देने का अवसर भी बिहार कर रहा है. सियासत की यह चाल बिहार के लोगों के लिए निश्चित तौर पर परेशान करेगी. झारखंड के छात्र भी इसे बिहारी युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बता रहे हैं और नीतीश कुमार के इस कदम को पीएम की दावेदारी की महत्वाकांक्षा.

IMPACT OF BIHAR DOMICILE POLITICS IN JHARKHAND
नीतीश कुमार
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Published : Jun 28, 2023, 5:41 PM IST

Updated : Jun 28, 2023, 9:25 PM IST

रांची: बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली में स्थानीय निवासी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. इस फैसले के बाद बिहार में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च कक्षाओं के लिए 1.78 लाख पदों पर होने जा रही बहाली में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी शामिल हो सकेंगे. रिजर्वेशन के 60 प्रतिशत पद को छोड़ दें तो 1.78 लाख पद में से करीब 68 हजार पद पर दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी मेरिट के आधार पर शिक्षक बन सकेंगे. नीतीश कैबिनेट ने बिहार राज्य अध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई सेवा शर्त नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है. नीतीश सरकार के इस फैसले से बिहार के अलावा झारखंड में भी राजनीति शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें- Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध

बिहारी करें आंदोलन,जेएसएसयू झारखंड देगा साथ: झारखंड में 60 40 नाय चलतो के नारे के साथ लगातार आंदोलन कर रहे झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन यानी जेएसएसयू के देवेंद्र कुमार महतो ने कहा कि इससे बिहार के स्थानीय गरीब छात्रों की हकमारी होगी. इसे हम अवसर के रूप में नहीं देखेंगे. ढोल बाजा नहीं बजाएंगे. बिहार के थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी पर बिहारियों का हक है. उन्होंने कहा कि बिहार के छात्रों को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए. हमलोग बिहार के छात्रों का साथ देंगे. उन्होंने कहा कि पूर्व में बिहार की नौकरी बिहारियों के लिए क्यों रिजर्व थी.

पीएम बनने का ख्वाब देख रहे है नीतीश :जेएसएसयू के देवेंद्र कुमार महतो ने कहा कि यह एक राजनीतिक फैसला है. सब कुर्सी का खेल है. नीतीश कुमार पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं. विपक्षी जुटान में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी मिल चुके हैं. वह खुद को नेशनल लीडर के रूप में प्रोजेक्ट करना चाह रहे हैं. इसी वजह से ऐसा फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में हो रहे डैमेज को कंट्रोल करने के लिए नीतीश कुमार ने हेमंत सोरेन के पक्ष में ऐसा फैसला लिया है. उनसे कहा गया कि नीतीश कुमार की पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि नीतीश कुमार विपक्ष की तरफ से पीएम उम्मीदवार का चेहरा बनेंगे. फिर इस फैसले को राजनीति के चश्मे से कैसे देख सकते हैं. इसके जवाब में देवेंद्र महतो ने कहा कि राजनीतिज्ञों का कोई स्टैंड नहीं होता. ये लोग मौकापरस्त होते हैं. इनके बहकावे में झारखंड के युवा नहीं आएंगे. झारखंड में 60 40 नाय चलतो की लड़ाई जारी रहेगी.

बिहार का अंदरूनी मामला: बिहार सरकार के इस फैसले पर झामुमो नेता मनोज पांडेय ने भी प्रतिक्रिया दी है. ईटीवी भारत को उन्होंने फोन पर बताया कि यह बिहार का अंदरूनी मामला है. जहां तक झारखंड में 60 40 नाय चलतो वाली बात है तो यह कुछ भी नहीं है. इसके जरिए बीजेपी अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही है. यहां के युवाओं को दिग्भ्रमित कर रही है. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के समय 50 प्रतिशत सीटों पर खेल हो रहा था. हमारी सरकार यहां के स्थानीय के साथ है. इसी वजह से क्षेत्रीय भाषा में क्वालीफाइंग का बैरियर लगाकर बाहरियों को रोक रही है. लेकिन भाजपा उसपर राजनीति कर रही है. वहीं सत्ता में शामिल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार के इस फैसले पर पार्टी में मंथन चल रहा है. इसपर सही समय पर प्रतिक्रिया दी जाएगी. इस मसले पर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि झामुमो स्थानीयता मसले पर टालमटोल कर रही है. यहां भी स्थानीय पर फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली को लेकर क्या फैसला लिया है, उसकी उन्हें जानकारी नहीं है.

बिहार के अधिकारी-मंत्री नहीं उठा रहे फोन: खास बात है कि बिहार कैबिनेट के इस फैसले की वजह जानने के लिए बिहार के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के.पाठक. प्राइमरी शिक्षा निदेशक पंकज कुमार, माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव और उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी से कई बार फोन पर संपर्क करने के कोशिश की गई लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. इस मसले पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से भी संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनके पीए नवल ने बताया कि साहब अभी कहीं व्यस्त हैं.

बिहार शिक्षक संघ ने बनायी आंदोलन की रूपरेखा: दूसरी तरफ बिहार सरकार के इस फैसले के बाद बिहार के शिक्षा संघों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने कहा है कि दो दिन के भीतर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो चक्का जाम किया जाएगा. 29 जून को सीएम और डिप्टी सीएम का जिला मुख्यालय पर पुतला दहन होगा. 1 जुलाई को पूरे प्रदेश के शिक्षक और अभ्यर्थी पटना में चक्का जाम करेंगे. उन्होंने कहा कि यह एंटी यूथ फैसला है. इस बहाली के लिए बिहार के छात्र पिछले चार साल से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में नीतीश सरकार का यह फैसला युवाओं को मानसिक तनाव देने वाला है.

एक तरफ दूसरे राज्य बिहारियों के लिए सरकारी नौकरी का दरवाजा बंद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बिहार सरकार दरवाजा खोल रही है. बिहार सरकार को यह फैसला अविलंब वापस लेना होगा. यूपी में शिक्षक बनने के लिए कम से कम पांच साल वहां निवास का डॉक्यूमेंट चाहिए. झारखंड में वहां के बोर्ड से 10वीं और 12वीं पास होना चाहिए. असम में 100 प्रतिशत स्थानीयों के लिए रिजर्वेशन है. तेलंगाना में 95 प्रतिशत स्थानीय को शिक्षक की नौकरी मिलती है.

राजस्थान में 100 फीसदी रिजर्वेशन स्थानीयों के लिए हैं. हरियाणा में भी बिहार के बच्चे शिक्षक नहीं बन सकते हैं. छत्तीसगढ़ में भी डोमिसाइल है. उनसे पूछा गया कि आखिर नीतीश सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार में हो रही सियासत की वजह से ऐसा हो रहा है. नीतीश कुमार इंडिया स्तर के लीडर बनना चाह रहे हैं. वह खुद को पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर बिहारी युवाओं का गला घोंट रहे हैं.

आपको बता दें कि झारखंड में 60-40 के खिलाफ लगातार आंदोलन चल रहा है. 17 अप्रैल को सीएम आवास घेरने के लिए कूच किया गया था. सबसे पहले 18 अप्रैल को मशाल जुलूस निकाला गया था. फिर 19 अप्रैल को झारखंड बंद बुलाया गया था. बाद में 10 और 11 जून को दो दिवसीय झारखंड बंद बुलाया गया था. इस बीच बिहार सरकार के फैसले के बाद वहां भी आंदोलन की रूपरेखा तय हो चुकी है. अब देखना है कि आने वाले समय में बिहार सरकार का यह फैसला झारखंड को किस तरह से प्रभावित करता है.

रांची: बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली में स्थानीय निवासी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. इस फैसले के बाद बिहार में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च कक्षाओं के लिए 1.78 लाख पदों पर होने जा रही बहाली में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी शामिल हो सकेंगे. रिजर्वेशन के 60 प्रतिशत पद को छोड़ दें तो 1.78 लाख पद में से करीब 68 हजार पद पर दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी मेरिट के आधार पर शिक्षक बन सकेंगे. नीतीश कैबिनेट ने बिहार राज्य अध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई सेवा शर्त नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है. नीतीश सरकार के इस फैसले से बिहार के अलावा झारखंड में भी राजनीति शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें- Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध

बिहारी करें आंदोलन,जेएसएसयू झारखंड देगा साथ: झारखंड में 60 40 नाय चलतो के नारे के साथ लगातार आंदोलन कर रहे झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन यानी जेएसएसयू के देवेंद्र कुमार महतो ने कहा कि इससे बिहार के स्थानीय गरीब छात्रों की हकमारी होगी. इसे हम अवसर के रूप में नहीं देखेंगे. ढोल बाजा नहीं बजाएंगे. बिहार के थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी पर बिहारियों का हक है. उन्होंने कहा कि बिहार के छात्रों को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए. हमलोग बिहार के छात्रों का साथ देंगे. उन्होंने कहा कि पूर्व में बिहार की नौकरी बिहारियों के लिए क्यों रिजर्व थी.

पीएम बनने का ख्वाब देख रहे है नीतीश :जेएसएसयू के देवेंद्र कुमार महतो ने कहा कि यह एक राजनीतिक फैसला है. सब कुर्सी का खेल है. नीतीश कुमार पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं. विपक्षी जुटान में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी मिल चुके हैं. वह खुद को नेशनल लीडर के रूप में प्रोजेक्ट करना चाह रहे हैं. इसी वजह से ऐसा फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में हो रहे डैमेज को कंट्रोल करने के लिए नीतीश कुमार ने हेमंत सोरेन के पक्ष में ऐसा फैसला लिया है. उनसे कहा गया कि नीतीश कुमार की पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि नीतीश कुमार विपक्ष की तरफ से पीएम उम्मीदवार का चेहरा बनेंगे. फिर इस फैसले को राजनीति के चश्मे से कैसे देख सकते हैं. इसके जवाब में देवेंद्र महतो ने कहा कि राजनीतिज्ञों का कोई स्टैंड नहीं होता. ये लोग मौकापरस्त होते हैं. इनके बहकावे में झारखंड के युवा नहीं आएंगे. झारखंड में 60 40 नाय चलतो की लड़ाई जारी रहेगी.

बिहार का अंदरूनी मामला: बिहार सरकार के इस फैसले पर झामुमो नेता मनोज पांडेय ने भी प्रतिक्रिया दी है. ईटीवी भारत को उन्होंने फोन पर बताया कि यह बिहार का अंदरूनी मामला है. जहां तक झारखंड में 60 40 नाय चलतो वाली बात है तो यह कुछ भी नहीं है. इसके जरिए बीजेपी अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही है. यहां के युवाओं को दिग्भ्रमित कर रही है. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के समय 50 प्रतिशत सीटों पर खेल हो रहा था. हमारी सरकार यहां के स्थानीय के साथ है. इसी वजह से क्षेत्रीय भाषा में क्वालीफाइंग का बैरियर लगाकर बाहरियों को रोक रही है. लेकिन भाजपा उसपर राजनीति कर रही है. वहीं सत्ता में शामिल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार के इस फैसले पर पार्टी में मंथन चल रहा है. इसपर सही समय पर प्रतिक्रिया दी जाएगी. इस मसले पर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि झामुमो स्थानीयता मसले पर टालमटोल कर रही है. यहां भी स्थानीय पर फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली को लेकर क्या फैसला लिया है, उसकी उन्हें जानकारी नहीं है.

बिहार के अधिकारी-मंत्री नहीं उठा रहे फोन: खास बात है कि बिहार कैबिनेट के इस फैसले की वजह जानने के लिए बिहार के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के.पाठक. प्राइमरी शिक्षा निदेशक पंकज कुमार, माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव और उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी से कई बार फोन पर संपर्क करने के कोशिश की गई लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. इस मसले पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से भी संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनके पीए नवल ने बताया कि साहब अभी कहीं व्यस्त हैं.

बिहार शिक्षक संघ ने बनायी आंदोलन की रूपरेखा: दूसरी तरफ बिहार सरकार के इस फैसले के बाद बिहार के शिक्षा संघों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने कहा है कि दो दिन के भीतर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो चक्का जाम किया जाएगा. 29 जून को सीएम और डिप्टी सीएम का जिला मुख्यालय पर पुतला दहन होगा. 1 जुलाई को पूरे प्रदेश के शिक्षक और अभ्यर्थी पटना में चक्का जाम करेंगे. उन्होंने कहा कि यह एंटी यूथ फैसला है. इस बहाली के लिए बिहार के छात्र पिछले चार साल से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में नीतीश सरकार का यह फैसला युवाओं को मानसिक तनाव देने वाला है.

एक तरफ दूसरे राज्य बिहारियों के लिए सरकारी नौकरी का दरवाजा बंद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बिहार सरकार दरवाजा खोल रही है. बिहार सरकार को यह फैसला अविलंब वापस लेना होगा. यूपी में शिक्षक बनने के लिए कम से कम पांच साल वहां निवास का डॉक्यूमेंट चाहिए. झारखंड में वहां के बोर्ड से 10वीं और 12वीं पास होना चाहिए. असम में 100 प्रतिशत स्थानीयों के लिए रिजर्वेशन है. तेलंगाना में 95 प्रतिशत स्थानीय को शिक्षक की नौकरी मिलती है.

राजस्थान में 100 फीसदी रिजर्वेशन स्थानीयों के लिए हैं. हरियाणा में भी बिहार के बच्चे शिक्षक नहीं बन सकते हैं. छत्तीसगढ़ में भी डोमिसाइल है. उनसे पूछा गया कि आखिर नीतीश सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार में हो रही सियासत की वजह से ऐसा हो रहा है. नीतीश कुमार इंडिया स्तर के लीडर बनना चाह रहे हैं. वह खुद को पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर बिहारी युवाओं का गला घोंट रहे हैं.

आपको बता दें कि झारखंड में 60-40 के खिलाफ लगातार आंदोलन चल रहा है. 17 अप्रैल को सीएम आवास घेरने के लिए कूच किया गया था. सबसे पहले 18 अप्रैल को मशाल जुलूस निकाला गया था. फिर 19 अप्रैल को झारखंड बंद बुलाया गया था. बाद में 10 और 11 जून को दो दिवसीय झारखंड बंद बुलाया गया था. इस बीच बिहार सरकार के फैसले के बाद वहां भी आंदोलन की रूपरेखा तय हो चुकी है. अब देखना है कि आने वाले समय में बिहार सरकार का यह फैसला झारखंड को किस तरह से प्रभावित करता है.

Last Updated : Jun 28, 2023, 9:25 PM IST
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