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लैंड जिहाद पर 'हल्ला', अवैध खनन पर 'चुप्पी', उत्तराखंड में कुछ ऐसी है नेचुरल रिसोर्सेज पर 'दोहरी' नीति

अवैध खनन मामले में कैग के खुलासे के बाद भी धामी सरकार 'सुन्न' पड़ी हुई है. यहां खनन माफिया शासन, सिस्टम को ठेंगा दिखाते हुए नदियों की छाती पर नाच रहे हैं. कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अकेले देहरादून में 4 साल में 37 लाख टन अवैध खनन हुआ है, जिससे राज्य को ₹45 करोड़ का घाटा हुआ है.

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उत्तराखंड खनन समाचार
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Published : May 17, 2023, 12:22 PM IST

Updated : May 17, 2023, 4:04 PM IST

लैंड जिहाद पर हल्ला, अवैध खनन पर चुप्पी

देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड में इन दिनों लैंड जिहाद पर हल्ला मचा हुआ है. धाकड़ धामी इस मामले में फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे हैं. वहीं, जमीन से जुड़े दूसरे संवेदनशील मामले पर यही धामी सरकार सुन्न पड़ी दिखती है. ये दूसरा मामला नदियों में हो रहे अवैध खनन से जुड़ा है. जिस पर सरकार, शासन चुप्पी साधे हुए हैं.

उत्तराखंड में खनन को हमेशा से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी माना जाता रहा है. उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही रीजन्स में रेत बजरी, खनन का कारोबार धड़ल्ले से होता है. बीते एक हफ्ते से राजधानी देहरादून में हो रहा खनन चर्चा का विषय बना हुआ है. राजधानी देहरादून के विकासनगर से बीते एक हफ्ते से कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आये हैं जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां खनन माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्य के राजस्व में खनन बड़ा योगदान देता है. मगर इसी योगदान में अगर कोई डाका डाले, तो आप सोच सकते हैं कि डाका डालने वाले की पहुंच कहां तक होगी.

लुटती नदियां, राजस्व का नुकसान, क्यों हैं सब खामोश? राजधानी देहरादून के पछुवादून में इन दिनों सुबह और रात के अंधेरे में ट्रकों की बड़ी बड़ी लाइन नदी किनारे लगनी शुरू हो जाती है. ऐसा नहीं है कि यह खनन पूरी तरह से अवैध है. सरकार ने लगभग 3 से 4 लोगों को पट्टे चलाने की परमिशन दी है. मगर यहां खनन माफिया बिना रोक-टोक अवैध खनन करने में लगे हुए हैं. सिस्टम किस तरह से पछुवादून में फेल हुआ, इसका नजारा विकासनगर में देखा जा सकता है. यमुना नदी पर अवैध खनन के खिलाफ लगातार ग्रामीण आवाज उठा रहे हैं. मजाल है कि कोई अफसर कार्रवाई करने पहुंच जाये. यहां कार्रवाई के नाम पर कुछ गाड़ियों को रोककर ही प्रशासन इतिश्री कर रहा है. ग्रामीण लगातार विकासनगर में खनन पट्टे की आड़ में अवैध खनन सामग्री ना केवल उत्तराखंड बल्कि हिमाचल से भी लाने का आरोप लगा रहे हैं.
पढ़ें- कभी भी ढह सकता है ₹12 करोड़ का ब्रिज, खनन माफियाओं ने खोद डाला कोटद्वार सुखरौ पुल का पिलर

हिमाचल और उत्तराखंड से लाई जा रही अवैध खनन सामग्री कोई एक-दो वाहनों में नहीं बल्कि सैकड़ों वाहन की लंबी-लंबी कतारों के साथ देहरादून के अलग-अलग क्षेत्रों में दाखिल हो रही है. ग्रामीणों का आरोप है कि एक आवेदन रवन्ना पर कई कई गाड़ियां निकाली जा रही हैं. गढ़वाल मंडल विकास निगम ने विकास नगर क्षेत्र में एक व्यक्ति के नाम से मांजरी में खनन पट्टा अलॉट किया है. जिसका संचालन फरीदाबाद का एक व्यापारी कर रहा है. इतना ही नहीं खनन पट्टा धारक हिमाचल प्रदेश से 12 किलोमीटर पहले खनन सामग्री उठाकर इस पट्टे पर लगातार डाल रहा है. इससे राज्य सरकार को लाखों करोड़ों रुपए की जीएसटी और रॉयल्टी का नुकसान सीधे तौर पर हो रहा है.
पढ़ें- देहरादून में खनन और ओवरलोडिंग का खेल जारी, पुलिस और प्रशासन बेपरवाह!

अवैध खनन पर कैग ने भी किया था बड़ा खुलासा: उत्तराखंड में अवैध खनन का कारोबार किस तरह से धड़ल्ले से चल रहा है, सरकारी आंकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं. यह बात आप ऐसे समझ सकते हैं कि साल 2017 और साल 2018 के साथ साथ साल 2020 और साल 2021 की कैग रिपोर्ट यह कहती है कि देहरादून में लगभग 37 लाख टन अवैध खनन हुआ है. इससे ₹45 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह नुकसान सिर्फ और सिर्फ राजधानी देहरादून से ही हुआ है. अवैध खनन की पुष्टि कैग रिपोर्ट में रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञों के साथ सेटेलाइट अध्ययन के बाद सामने आई थी. कैग ने खुलकर यह बात कही है कि कैसे पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे यह पूरा कारोबार चल रहा है.
पढ़ें- अवैध खनन का खेल रोकने में पुलिस नाकाम, सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना

कैग रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे देहरादून के सौंग, ढकरानी और कुल्हाल जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 महीने से खनन बंद होने के बावजूद भी धड़ल्ले से खनन हो रहा है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में देहरादून के कई बड़े अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किये थे. साथ ही कुछ सुझाव दिए थे. जिसमें कहा गया था कि खनन मंत्रालय और भारतीय खनन ब्यूरो की ओर से विकसित की गई खनन निगरानी प्रणाली को अपनाया जाये. उपग्रह आधारित इस प्रणाली में अवैध खनन की निगरानी संभव है. निर्माण एजेंसियां ठेकेदार को भुगतान से पहले खनन सामग्री के पास की सत्यता की पुख्ता जांच कर लें. निर्माण एजेंसी, जिला प्रशासन व अन्य विभाग आपस में तालमेल बनाएं. जीएसटी विभाग से भी सहयोग लिया जाए. ड्रोन के माध्यम से खनन क्षेत्रों की निगरानी कराई जाए, लेकिन ऐसा लगता है कि सब कुछ जानते हुए भी इस मामले में कोई कुछ करने के लिए राजी नहीं है.
पढ़ें- Haridwar Encroachment: हरिद्वार में व्यापारियों ने प्रशासन पर लगाए दोहरा व्यवहार करने का आरोप

एनजीटी ने इस इलाके में खनन पर लगाई है रोक: अवैध खनन लगातार यमुना नदी में हो रहा है. खास बात यह है कि कुछ समय पहले सरकार के दो खनन अलॉट्स पर एनजीटी ने पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इसकी वजह यह थी कि यहां मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही थी. साथ ही पर्यावरण के लिहाज से भी इस जगह को खनन के लिए एनजीटी ने सही नहीं माना. एनजीटी ने तत्काल प्रभाव से पछुवादून के खनन पर रोक लगाई थी. बता दें राजधानी देहरादून के साथ-साथ हरिद्वार में भी खनन पर पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाई हुई है. बावजूद इसके राजधानी देहरादून के समीप से रोजाना खनन के सैकड़ों ट्रक और बड़े बड़े ट्राले निकल रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ओवरलोड ट्रक मुख्य सड़क से होते हुए अलग-अलग जगहों पर जा रहे हैं. इसके बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. अब राजधानी में चल रहे अवैध खनन के धंधे पर विपक्ष की नजर पड़ी है. जिसके बाद विपक्ष ने इस पर हल्ला बोल दिया है.

पढ़ें- उत्तराखंड में लागू होगा 'वन स्टेट वन रॉयल्टी' नीति, वन निगम तैयार कर रहा प्रस्ताव

लैंड जिहाद पर हल्ला, अवैध खनन पर चुप्पी: कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती हैं कि, राज्य सरकार लैंड जिहाद, मजार तोड़कर और अन्य मुद्दों में लोगों को उलझा कर अपना उल्लू सीधा कर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण राजधानी देहरादून के विकासनगर में धड़ल्ले से दिन और रात हो रहा अवैध खनन है. यहां कार्रवाई के नाम पर एक दो गाड़ियां पकड़ ली जाती हैं. रोजाना 700 से 1000 गाड़ियां किस तरह से अवैध खनन और सिस्टम को मुंह चिढ़ाते हुए शहर में दाखिल हो रही हैं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

गरिमा दसौनी ने कहा खनन माफियाओं को किसका संरक्षण है यह किसी से कहने की या पूछने की जरूरत नहीं है. राज्य में ऊपर से नीचे तक किस तरह से खनन का खेल खेला जा रहा है, यह बच्चा बच्चा जानता है. उन्होंने कहा आज उत्तराखंड की नदियों को खोदा जा रहा है. इस सब पर सरकार, शासन और सिस्टम सब मौन हैं. गरिमा दसौनी ने कहा कांग्रेस इस मुद्दे पर रणनीति बनाकर सड़कों पर उतरेगी.

गलत को छोड़ेंगे नहीं: वहीं, मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हरिद्वार, यूएस नगर में जो भी अवैध खनन में पकड़े गये उन पर कठोर कार्रवाई की गई. हमारी मशीनरी पूरी तरह से एक्टिव है. ये कहना सरसर गलत है कि सरकार इसमें मिली हुई है, बल्कि सरकार पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है. अवैध काम करना वाला कितना भी बड़ा व्यक्ति हो उसे बख्शा नहीं जाएगा. गणेश जोशी ने कहा कि, धामी सरकार का संकल्प है कि सही को छेड़ेंगे नहीं और गलत को हम छोड़ेंगे नहीं.

पढ़ें- उत्तराखंड में अवैध खनन राजनीतिक दलों के लिए बना हथियार, माफिया ने उठाया फायदा

क्या कहते हैं अधिकारी: उधर, इस मामले को लेकर हमारी टीम ने देहरादून जिला अधिकारी सोनिका सिंह से बात करने की कोशिश की. उन्हें इसके लिए कई बार फोन किया गया, मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया. इसके बाद विकासनगर एसडीएम विनोद कुमार से फोन पर बात की गई. एसडीएम विनोद कुमार ने कहा कि जैसे ही सूचना मिलती है, तुरंत कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा ये पट्टे गढ़वाल मंडल के चल रहे हैं इसलिए अधिक जानकारी वही दे सकते हैं. इतना जरूर है कि अवैध खनन में लगे वाहनों को लगातार पकड़ा जा रहा है.

लैंड जिहाद पर हल्ला, अवैध खनन पर चुप्पी

देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड में इन दिनों लैंड जिहाद पर हल्ला मचा हुआ है. धाकड़ धामी इस मामले में फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे हैं. वहीं, जमीन से जुड़े दूसरे संवेदनशील मामले पर यही धामी सरकार सुन्न पड़ी दिखती है. ये दूसरा मामला नदियों में हो रहे अवैध खनन से जुड़ा है. जिस पर सरकार, शासन चुप्पी साधे हुए हैं.

उत्तराखंड में खनन को हमेशा से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी माना जाता रहा है. उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही रीजन्स में रेत बजरी, खनन का कारोबार धड़ल्ले से होता है. बीते एक हफ्ते से राजधानी देहरादून में हो रहा खनन चर्चा का विषय बना हुआ है. राजधानी देहरादून के विकासनगर से बीते एक हफ्ते से कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आये हैं जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां खनन माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्य के राजस्व में खनन बड़ा योगदान देता है. मगर इसी योगदान में अगर कोई डाका डाले, तो आप सोच सकते हैं कि डाका डालने वाले की पहुंच कहां तक होगी.

लुटती नदियां, राजस्व का नुकसान, क्यों हैं सब खामोश? राजधानी देहरादून के पछुवादून में इन दिनों सुबह और रात के अंधेरे में ट्रकों की बड़ी बड़ी लाइन नदी किनारे लगनी शुरू हो जाती है. ऐसा नहीं है कि यह खनन पूरी तरह से अवैध है. सरकार ने लगभग 3 से 4 लोगों को पट्टे चलाने की परमिशन दी है. मगर यहां खनन माफिया बिना रोक-टोक अवैध खनन करने में लगे हुए हैं. सिस्टम किस तरह से पछुवादून में फेल हुआ, इसका नजारा विकासनगर में देखा जा सकता है. यमुना नदी पर अवैध खनन के खिलाफ लगातार ग्रामीण आवाज उठा रहे हैं. मजाल है कि कोई अफसर कार्रवाई करने पहुंच जाये. यहां कार्रवाई के नाम पर कुछ गाड़ियों को रोककर ही प्रशासन इतिश्री कर रहा है. ग्रामीण लगातार विकासनगर में खनन पट्टे की आड़ में अवैध खनन सामग्री ना केवल उत्तराखंड बल्कि हिमाचल से भी लाने का आरोप लगा रहे हैं.
पढ़ें- कभी भी ढह सकता है ₹12 करोड़ का ब्रिज, खनन माफियाओं ने खोद डाला कोटद्वार सुखरौ पुल का पिलर

हिमाचल और उत्तराखंड से लाई जा रही अवैध खनन सामग्री कोई एक-दो वाहनों में नहीं बल्कि सैकड़ों वाहन की लंबी-लंबी कतारों के साथ देहरादून के अलग-अलग क्षेत्रों में दाखिल हो रही है. ग्रामीणों का आरोप है कि एक आवेदन रवन्ना पर कई कई गाड़ियां निकाली जा रही हैं. गढ़वाल मंडल विकास निगम ने विकास नगर क्षेत्र में एक व्यक्ति के नाम से मांजरी में खनन पट्टा अलॉट किया है. जिसका संचालन फरीदाबाद का एक व्यापारी कर रहा है. इतना ही नहीं खनन पट्टा धारक हिमाचल प्रदेश से 12 किलोमीटर पहले खनन सामग्री उठाकर इस पट्टे पर लगातार डाल रहा है. इससे राज्य सरकार को लाखों करोड़ों रुपए की जीएसटी और रॉयल्टी का नुकसान सीधे तौर पर हो रहा है.
पढ़ें- देहरादून में खनन और ओवरलोडिंग का खेल जारी, पुलिस और प्रशासन बेपरवाह!

अवैध खनन पर कैग ने भी किया था बड़ा खुलासा: उत्तराखंड में अवैध खनन का कारोबार किस तरह से धड़ल्ले से चल रहा है, सरकारी आंकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं. यह बात आप ऐसे समझ सकते हैं कि साल 2017 और साल 2018 के साथ साथ साल 2020 और साल 2021 की कैग रिपोर्ट यह कहती है कि देहरादून में लगभग 37 लाख टन अवैध खनन हुआ है. इससे ₹45 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह नुकसान सिर्फ और सिर्फ राजधानी देहरादून से ही हुआ है. अवैध खनन की पुष्टि कैग रिपोर्ट में रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञों के साथ सेटेलाइट अध्ययन के बाद सामने आई थी. कैग ने खुलकर यह बात कही है कि कैसे पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे यह पूरा कारोबार चल रहा है.
पढ़ें- अवैध खनन का खेल रोकने में पुलिस नाकाम, सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना

कैग रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे देहरादून के सौंग, ढकरानी और कुल्हाल जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 महीने से खनन बंद होने के बावजूद भी धड़ल्ले से खनन हो रहा है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में देहरादून के कई बड़े अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किये थे. साथ ही कुछ सुझाव दिए थे. जिसमें कहा गया था कि खनन मंत्रालय और भारतीय खनन ब्यूरो की ओर से विकसित की गई खनन निगरानी प्रणाली को अपनाया जाये. उपग्रह आधारित इस प्रणाली में अवैध खनन की निगरानी संभव है. निर्माण एजेंसियां ठेकेदार को भुगतान से पहले खनन सामग्री के पास की सत्यता की पुख्ता जांच कर लें. निर्माण एजेंसी, जिला प्रशासन व अन्य विभाग आपस में तालमेल बनाएं. जीएसटी विभाग से भी सहयोग लिया जाए. ड्रोन के माध्यम से खनन क्षेत्रों की निगरानी कराई जाए, लेकिन ऐसा लगता है कि सब कुछ जानते हुए भी इस मामले में कोई कुछ करने के लिए राजी नहीं है.
पढ़ें- Haridwar Encroachment: हरिद्वार में व्यापारियों ने प्रशासन पर लगाए दोहरा व्यवहार करने का आरोप

एनजीटी ने इस इलाके में खनन पर लगाई है रोक: अवैध खनन लगातार यमुना नदी में हो रहा है. खास बात यह है कि कुछ समय पहले सरकार के दो खनन अलॉट्स पर एनजीटी ने पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इसकी वजह यह थी कि यहां मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही थी. साथ ही पर्यावरण के लिहाज से भी इस जगह को खनन के लिए एनजीटी ने सही नहीं माना. एनजीटी ने तत्काल प्रभाव से पछुवादून के खनन पर रोक लगाई थी. बता दें राजधानी देहरादून के साथ-साथ हरिद्वार में भी खनन पर पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाई हुई है. बावजूद इसके राजधानी देहरादून के समीप से रोजाना खनन के सैकड़ों ट्रक और बड़े बड़े ट्राले निकल रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ओवरलोड ट्रक मुख्य सड़क से होते हुए अलग-अलग जगहों पर जा रहे हैं. इसके बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. अब राजधानी में चल रहे अवैध खनन के धंधे पर विपक्ष की नजर पड़ी है. जिसके बाद विपक्ष ने इस पर हल्ला बोल दिया है.

पढ़ें- उत्तराखंड में लागू होगा 'वन स्टेट वन रॉयल्टी' नीति, वन निगम तैयार कर रहा प्रस्ताव

लैंड जिहाद पर हल्ला, अवैध खनन पर चुप्पी: कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती हैं कि, राज्य सरकार लैंड जिहाद, मजार तोड़कर और अन्य मुद्दों में लोगों को उलझा कर अपना उल्लू सीधा कर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण राजधानी देहरादून के विकासनगर में धड़ल्ले से दिन और रात हो रहा अवैध खनन है. यहां कार्रवाई के नाम पर एक दो गाड़ियां पकड़ ली जाती हैं. रोजाना 700 से 1000 गाड़ियां किस तरह से अवैध खनन और सिस्टम को मुंह चिढ़ाते हुए शहर में दाखिल हो रही हैं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

गरिमा दसौनी ने कहा खनन माफियाओं को किसका संरक्षण है यह किसी से कहने की या पूछने की जरूरत नहीं है. राज्य में ऊपर से नीचे तक किस तरह से खनन का खेल खेला जा रहा है, यह बच्चा बच्चा जानता है. उन्होंने कहा आज उत्तराखंड की नदियों को खोदा जा रहा है. इस सब पर सरकार, शासन और सिस्टम सब मौन हैं. गरिमा दसौनी ने कहा कांग्रेस इस मुद्दे पर रणनीति बनाकर सड़कों पर उतरेगी.

गलत को छोड़ेंगे नहीं: वहीं, मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हरिद्वार, यूएस नगर में जो भी अवैध खनन में पकड़े गये उन पर कठोर कार्रवाई की गई. हमारी मशीनरी पूरी तरह से एक्टिव है. ये कहना सरसर गलत है कि सरकार इसमें मिली हुई है, बल्कि सरकार पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है. अवैध काम करना वाला कितना भी बड़ा व्यक्ति हो उसे बख्शा नहीं जाएगा. गणेश जोशी ने कहा कि, धामी सरकार का संकल्प है कि सही को छेड़ेंगे नहीं और गलत को हम छोड़ेंगे नहीं.

पढ़ें- उत्तराखंड में अवैध खनन राजनीतिक दलों के लिए बना हथियार, माफिया ने उठाया फायदा

क्या कहते हैं अधिकारी: उधर, इस मामले को लेकर हमारी टीम ने देहरादून जिला अधिकारी सोनिका सिंह से बात करने की कोशिश की. उन्हें इसके लिए कई बार फोन किया गया, मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया. इसके बाद विकासनगर एसडीएम विनोद कुमार से फोन पर बात की गई. एसडीएम विनोद कुमार ने कहा कि जैसे ही सूचना मिलती है, तुरंत कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा ये पट्टे गढ़वाल मंडल के चल रहे हैं इसलिए अधिक जानकारी वही दे सकते हैं. इतना जरूर है कि अवैध खनन में लगे वाहनों को लगातार पकड़ा जा रहा है.

Last Updated : May 17, 2023, 4:04 PM IST
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