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सभी 100 स्मार्ट शहरों में ICCC काम कर रहा है: हरदीप पुरी

सभी 100 स्मार्ट शहरों में इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स ने काम करना शुरू कर दिया है. उक्त बातें केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि सुलभ और समावेशी शहरी स्थल तैयार करने के लिए हमें इन रुझानों का लाभ उठाना चाहिए. पढ़िए पूरी खबर...

Hardeep Singh Puri
हरदीप सिंह पुरी
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Published : Sep 1, 2022, 9:12 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री (MoHUA) हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने गुरुवार को कहा कि यह देखना उत्साहजनक है कि स्थानीय उद्यमी इस स्मार्ट समाधान चुनौती के लिए समाधानों के विकास में स्वदेशी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, सभी 100 स्मार्ट शहरों में इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स (ICCC) शुरू हो गए हैं और शहरों के भीतर बेहतर समन्वय के लिए प्रौद्योगिकी के दोहन में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

पुरी ने उक्त बातें 'स्मार्ट समाधान चुनौती और समावेशी शहर पुरस्कार 2022' के अवसर पर कहीं. उन्होंने कहा कि हमारे शहरों को नागरिक केंद्रित और सहभागी समाधानों की आवश्यकता है, जिससे एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हो जहां भारतीय विकलांग व्यक्तियों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील हों. उन्होंने कहा कि सहायक प्रौद्योगिकी को, विशेष रूप से भारत में पहले से ही बाजार में व्यवहार्यता हासिल है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुलभ और समावेशी शहरी स्थल तैयार करने के लिए हमें इन रुझानों का लाभ उठाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इससे जहां दिव्यांगों के लिए मौलिक अधिकारों को मजबूत किया जा रहा है, वहीं मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर भी अधिक जोर दिया गया है और प्रधानमंत्री ने हाल में स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लिए 'पांच प्रण' की बात की थी तो उन्होंने हर भारतीय से यही मांग की थी. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने भारतीयों को जिम्मेदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन और भारतीयों की भलाई के लिए अपने भीतर एक संवेदनशीलता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने दिव्यांगों के अधिकारों के बाद मान्यता प्राप्त विकलांगताओं की सूची 7 से बढ़ाकर 21 कर दी है. उन्होंने कहा, इससे पता चलता है कि पहले के अनुमान की तुलना में ज्यादा संख्या में लोग किसी न किसी विकलांगता के साथ रह रहे हैं. पुरी ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) से पता चलता है कि मोदी सरकार यूएन के एसडीजी-2030 लागू करने से पहले ही इन पर काम शुरू कर चुकी थी. उन्होंने कहा, 'हम सर्वोदय से अंत्योदय की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे कोई भी पीछे न छूटे या सबसे पीछे के लोगों को पहले आगे लाया जा सके.' उन्होंने कहा कि एसडीजी को सफलता इसलिए मिलेगी क्योंकि वे भारत में सफल हुए हैं. एसडीजी की सफलता के लिए जरूरी है कि भारत इन लक्ष्यों पर अच्छा प्रदर्शन करे.

पुरी ने कहा, 'मैं नवाचार समाधानों की रचनात्मक क्षमता और उनकी दिव्यांगों, महिलाओं और बुजुर्गों के जीवन में बदलाव लाने की संभावनाओं को देखकर खासा प्रभावित हूं. सर्वश्रेष्ठ समाधान हमेशा ही सरल, विशेष समस्याओं को दूर करने वाले होते हैं और उनके स्पष्ट लाभ होते हैं. साथ ही उपयोगकर्ताओं के बीच उनकी व्यापक स्वीकार्यता होती है. ये समाधान एक समान डिजाइन को एकीकृत करने में सहायक होंगे, जिससे सभी कमजोर समुदायों के लिए सुरक्षित, समावेशी और सुलभ, हरित और सार्वजनिक स्थान प्रदान करने के एसडीजी लक्ष्य 11.7 को हासिल करने में सहायता मिलेगी.'

यह पुरस्कार भारत में शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान (NIUA) और संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक पहल है जिसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के सामने आने वाली शहर स्तर की पहुंच और समावेशन चुनौतियों का समाधान करना है. पुरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सहायक तकनीक की आवश्यकता वाले लगभग 70 प्रतिशत लोगों के पास ऐसी सुविधा नहीं थी. पुरी ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में लगभग 26.8 मिलियन लोग विकलांग रहते हैं.

ये भी पढ़ें - हरदीप पुरी ने 14 राज्यों में 166 सीएनजी स्टेशन समर्पित किए

नई दिल्ली : केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री (MoHUA) हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने गुरुवार को कहा कि यह देखना उत्साहजनक है कि स्थानीय उद्यमी इस स्मार्ट समाधान चुनौती के लिए समाधानों के विकास में स्वदेशी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, सभी 100 स्मार्ट शहरों में इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स (ICCC) शुरू हो गए हैं और शहरों के भीतर बेहतर समन्वय के लिए प्रौद्योगिकी के दोहन में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

पुरी ने उक्त बातें 'स्मार्ट समाधान चुनौती और समावेशी शहर पुरस्कार 2022' के अवसर पर कहीं. उन्होंने कहा कि हमारे शहरों को नागरिक केंद्रित और सहभागी समाधानों की आवश्यकता है, जिससे एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हो जहां भारतीय विकलांग व्यक्तियों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील हों. उन्होंने कहा कि सहायक प्रौद्योगिकी को, विशेष रूप से भारत में पहले से ही बाजार में व्यवहार्यता हासिल है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुलभ और समावेशी शहरी स्थल तैयार करने के लिए हमें इन रुझानों का लाभ उठाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इससे जहां दिव्यांगों के लिए मौलिक अधिकारों को मजबूत किया जा रहा है, वहीं मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर भी अधिक जोर दिया गया है और प्रधानमंत्री ने हाल में स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लिए 'पांच प्रण' की बात की थी तो उन्होंने हर भारतीय से यही मांग की थी. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने भारतीयों को जिम्मेदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन और भारतीयों की भलाई के लिए अपने भीतर एक संवेदनशीलता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने दिव्यांगों के अधिकारों के बाद मान्यता प्राप्त विकलांगताओं की सूची 7 से बढ़ाकर 21 कर दी है. उन्होंने कहा, इससे पता चलता है कि पहले के अनुमान की तुलना में ज्यादा संख्या में लोग किसी न किसी विकलांगता के साथ रह रहे हैं. पुरी ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) से पता चलता है कि मोदी सरकार यूएन के एसडीजी-2030 लागू करने से पहले ही इन पर काम शुरू कर चुकी थी. उन्होंने कहा, 'हम सर्वोदय से अंत्योदय की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे कोई भी पीछे न छूटे या सबसे पीछे के लोगों को पहले आगे लाया जा सके.' उन्होंने कहा कि एसडीजी को सफलता इसलिए मिलेगी क्योंकि वे भारत में सफल हुए हैं. एसडीजी की सफलता के लिए जरूरी है कि भारत इन लक्ष्यों पर अच्छा प्रदर्शन करे.

पुरी ने कहा, 'मैं नवाचार समाधानों की रचनात्मक क्षमता और उनकी दिव्यांगों, महिलाओं और बुजुर्गों के जीवन में बदलाव लाने की संभावनाओं को देखकर खासा प्रभावित हूं. सर्वश्रेष्ठ समाधान हमेशा ही सरल, विशेष समस्याओं को दूर करने वाले होते हैं और उनके स्पष्ट लाभ होते हैं. साथ ही उपयोगकर्ताओं के बीच उनकी व्यापक स्वीकार्यता होती है. ये समाधान एक समान डिजाइन को एकीकृत करने में सहायक होंगे, जिससे सभी कमजोर समुदायों के लिए सुरक्षित, समावेशी और सुलभ, हरित और सार्वजनिक स्थान प्रदान करने के एसडीजी लक्ष्य 11.7 को हासिल करने में सहायता मिलेगी.'

यह पुरस्कार भारत में शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान (NIUA) और संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक पहल है जिसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के सामने आने वाली शहर स्तर की पहुंच और समावेशन चुनौतियों का समाधान करना है. पुरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सहायक तकनीक की आवश्यकता वाले लगभग 70 प्रतिशत लोगों के पास ऐसी सुविधा नहीं थी. पुरी ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में लगभग 26.8 मिलियन लोग विकलांग रहते हैं.

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