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Odisha Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे में जीवित बचीं नबाश्री ने कहा- लंबे समय तक ट्रेन से लगेगा डर - बंगाल की महिला ट्रेन हादसे में बची

पहले, मैं फिल्मों में या टेलीविजन पर देखती थी कि ट्रेन दुर्घटनाएं कितनी भयानक होती हैं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे साथ भी ऐसा होगा, और जिस ट्रेन में मैं यात्रा कर रही हूं, वह दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगी. अब मुझे ट्रेन में भी चढ़ने से डर लगता है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 7, 2023, 7:37 PM IST

Updated : Jun 7, 2023, 7:50 PM IST

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली एक युवती जो ओडिशा के हादसे में बच गईं थीं, उन्होंने कहा कि उस सदमे से रुह काँप जाती है. उन्होंने कहा कि रात में उनके सपनों में भी कोरोमंडल एक्सप्रेस की भयावहता की याद ताजा हो जाती है. युवती इतनी भयभीत हैं कि वह उस अभिशप्त दिन को याद भी नहीं करना चाहती हैं. हादसे के बाद लगातार दो दिनों तक उन्होंने किसी से भी बात नहीं की. सिलीगुड़ी के चोयमपारा निवासी नबाश्री साहा चौधरी ओडिशा हादसे के उस नारकीय तस्वीर को याद करने पर सन्न रह जाती हैं.

नबाश्री बैंगलोर के एक निजी संस्थान में नर्सिंग का कोर्स पूरा करने के बाद अपना पास सर्टिफिकेट लेने गई थीं और रास्ते में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो इस तरह के हादसे का शिकार हो जाएंगी. वह यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस में नर्सिंग सर्टिफिकेट लेकर अकेले लौट रही थीं और उनकी ट्रेन भी बालासोर के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसका कोच पटरी से उतरकर पलट गया. नबाश्री ने दुर्घटना के कुछ दिनों बाद ईटीवी भारत को बताया 'भारी टक्कर के कारण पूरा डिब्बा टूट गया और मुड़ गया. ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद मेरा कोच कुछ दूरी तक घिसटा फिर रुक गया.'

नबाश्री को बेंगलुरु से फ्लाइट से आना था. लेकिन फ्लाइट टिकट रद्द होने के कारण उन्हें यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस का टिकट खरीदना पड़ा. वह उस ट्रेन से घर लौट रही थीं और उनके पिता उनका स्वागत करने के लिए हावड़ा स्टेशन पर इंतज़ार कर रहे थे. नबाश्री ट्रेन में अपने कोच की खिड़की के पास बैठकर अपना मोबाइल चार्ज कर रही थीं, तभी यह दुर्घटना हुई. इससे पहले कि वह कुछ समझ पातीं कोच पलट गया और कुछ दूर उड़कर धड़ाम से जमीन पर गिरा. गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने किसी तरह बैग को हाथ के करीब खींच लिया और ट्रेन के डिब्बे से बाहर निकल गईं. स्थानीय लोगों की मदद से नबाश्री एक्सप्रेस हाइवे से होते हुए बाबूघाट आ गईं, फिर वह घर लौट आईं.

नबाश्री ने कहा "ट्रेन पहले से ही चार घंटे लेट चल रही थी और उसकी वजह से, मैं समझ सकती थी कि ट्रेन तेज गति से चल रही थी. मैं खिड़की से अपना मोबाइल चार्ज कर रही थी."

नबाश्री ने कहा मुझे साइड में रेड सिग्नल भी दिख रहा था लेकिन ट्रेन इतनी तेज चल रही थी कि इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते हमारा कोच पलट गया. पीछे के कोच में आग लग गई और वह टूट कर गिर गया. चारों ओर चीख-पुकार मच गई. नबाश्री ने आगे कहा कि जब मैं बाहर आई, तब भी मुझे नहीं पता था कि इतना बड़ा हादसा हो गया है. मुझे लगा कि शायद हमारी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. बाद में मैंने सुना कि कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक अन्य मालगाड़ी एक ही स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और इतने लोगों की जान चली गई है. यह दृश्य इतना भयानक था कि इसका वर्णन करने में भी कलेजा कांप जाता है. पैसे और बैग सब खत्म हो गए. लेकिन उसके दिमाग में बस एक ही बात थी। किसी भी तरह उसे अपने पिता के पास लौट जाना चाहिए.

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नबाश्री बैंगलोर के एक निजी संस्थान में नर्सिंग का कोर्स पूरा करने के बाद अपना पास सर्टिफिकेट लेने गई थीं और रास्ते में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो इस तरह के हादसे का शिकार हो जाएंगी. वह यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस में नर्सिंग सर्टिफिकेट लेकर अकेले लौट रही थीं और उनकी ट्रेन भी बालासोर के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसका कोच पटरी से उतरकर पलट गया. नबाश्री ने दुर्घटना के कुछ दिनों बाद ईटीवी भारत को बताया 'भारी टक्कर के कारण पूरा डिब्बा टूट गया और मुड़ गया. ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद मेरा कोच कुछ दूरी तक घिसटा फिर रुक गया.'

नबाश्री को बेंगलुरु से फ्लाइट से आना था. लेकिन फ्लाइट टिकट रद्द होने के कारण उन्हें यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस का टिकट खरीदना पड़ा. वह उस ट्रेन से घर लौट रही थीं और उनके पिता उनका स्वागत करने के लिए हावड़ा स्टेशन पर इंतज़ार कर रहे थे. नबाश्री ट्रेन में अपने कोच की खिड़की के पास बैठकर अपना मोबाइल चार्ज कर रही थीं, तभी यह दुर्घटना हुई. इससे पहले कि वह कुछ समझ पातीं कोच पलट गया और कुछ दूर उड़कर धड़ाम से जमीन पर गिरा. गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने किसी तरह बैग को हाथ के करीब खींच लिया और ट्रेन के डिब्बे से बाहर निकल गईं. स्थानीय लोगों की मदद से नबाश्री एक्सप्रेस हाइवे से होते हुए बाबूघाट आ गईं, फिर वह घर लौट आईं.

नबाश्री ने कहा "ट्रेन पहले से ही चार घंटे लेट चल रही थी और उसकी वजह से, मैं समझ सकती थी कि ट्रेन तेज गति से चल रही थी. मैं खिड़की से अपना मोबाइल चार्ज कर रही थी."

नबाश्री ने कहा मुझे साइड में रेड सिग्नल भी दिख रहा था लेकिन ट्रेन इतनी तेज चल रही थी कि इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते हमारा कोच पलट गया. पीछे के कोच में आग लग गई और वह टूट कर गिर गया. चारों ओर चीख-पुकार मच गई. नबाश्री ने आगे कहा कि जब मैं बाहर आई, तब भी मुझे नहीं पता था कि इतना बड़ा हादसा हो गया है. मुझे लगा कि शायद हमारी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. बाद में मैंने सुना कि कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक अन्य मालगाड़ी एक ही स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और इतने लोगों की जान चली गई है. यह दृश्य इतना भयानक था कि इसका वर्णन करने में भी कलेजा कांप जाता है. पैसे और बैग सब खत्म हो गए. लेकिन उसके दिमाग में बस एक ही बात थी। किसी भी तरह उसे अपने पिता के पास लौट जाना चाहिए.

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Last Updated : Jun 7, 2023, 7:50 PM IST
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