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लोहे की कील पर कुचिपुड़ी नृत्य करती है लिखिता, खाते में है 10 वर्ल्ड रिकॉर्ड - Likhita dances Kuchipudi on an iron nail

आपने बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों में देखा होगा कि विलेन कई बार एक्ट्रेस को लोहे की कील पर डांस करने के लिए मजबूर करता है. मगर हैदराबाद में रहने वाली विशाखापत्तनम की पीसापति लिखिता खुशी-खुशी लोहे की कील पर नंगे पांव कुचिपुड़ी नृत्य करती है. इस डांस के जरिये वह 10 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकी है.

hyderabad girl peesapati Likhita
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Published : Mar 31, 2022, 6:18 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 7:55 PM IST

हैदराबाद : विशाखापत्तनम की पीसापति लिखिता ने कुचिपुड़ी नृत्य के जरिये वह मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने के लिए अक्सर कलाकार लालायित रहते हैं. उन्होंने नंगे पांव कील पर डांस करके 10 विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं. उन्होंने पहली बार 9,999 तेजधार वाली लोहे की कीलों पर 9 मिनट में माता दुर्गा की स्तुति करते हुए 9 छंदों में लयबद्ध कुचिपुड़ी नृत्य पेश कर वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया था. इसके बाद से वह इस कला के जरिये ताबड़तोड़ रिकॉर्ड बना रही हैं.

पीसापति का रेकॉर्ड मेकिंग परफॉरमेंस.

एक पारंपरिक परिवार में पैदा हुई पीसापति लिखिता ने बताया कि वह बचपन से ही कुचिपुड़ी सीखना चाहती थीं. पैसे की तंगी और पैर में लगी चोटों के कारण घर के लोगों ने इसका विरोध किया, मगर इस शास्त्रीय कला के प्रति उनका प्रेम बना रहा. हैदराबाद में पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को चकित कर दिया था. लिखिता के दृढ़ संकल्प को देखकर पिता ने भी साथ दिया. फिर अथक रियाज ने इस काबिल बना दिया कि अब वह कीलों पर आसानी से नृत्य करती हैं.

लिखिता ने बताया कि बचपन में उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस के दौरान गिर गई थी. उनके दाहिने टखने में काफी चोट आई थी. इसके बाद वह लंबे समय तक डांस नहीं कर सकी थीं. आर्थिक तंगी के चलते उन्हें ट्यूशन के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इससे भी पैर की प्रॉब्लम बढ़ गई. हालांकि उनका मन नृत्य में रमा रहा. वह वापस ट्रैक पर आने के लिए दर्द के बावजूद रियाज करती रहीं.

कील पर नंगे पांव कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस करती पीसापति लिखिता.

विशाखापट्टनम से पोस्ट ग्रैजुएशन करने के बाद जब वह रोजगार की तलाश में हैदराबाद आईं तो उनके सपनों के पंख लग गए. एक डिग्री कॉलेज में लेक्चरर की जॉब मिलने के बाद उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस शुरू की. पहले उन्हें कीलों पर डांस करने में डर लगता था, मगर प्रैक्टिस की बदौलत लिखिता ने इस कैटिगरी में नया आयाम रच दिया. वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने के लिए वह तीन महीनों तक लगातार प्रैक्टिस करती रहीं. हालांकि पुरानी चोट के कारण डॉक्टरों ने उन्हें चेतावनी भी दी, मगर उनका जुनून कायम रहा. फिर ऐसा हुआ कि कील पर नृत्य कर वह वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने लगीं. इस मुकाम को हासिल करने में उनके डांस टीचर ने काफी मदद की. लिखिथा आज भी डिग्री कॉलेज में पढ़ाती हैं मगर उनका इरादा कुचिपुड़ी के माध्यम से भारतीय महाकाव्यों और किंवदंतियों को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का है.

पढ़ें : आंध्र प्रदेश HC ने 8 आईएएस को हॉस्टल में सेवा करने की दी अनोखी सजा, जानें क्यों

हैदराबाद : विशाखापत्तनम की पीसापति लिखिता ने कुचिपुड़ी नृत्य के जरिये वह मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने के लिए अक्सर कलाकार लालायित रहते हैं. उन्होंने नंगे पांव कील पर डांस करके 10 विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं. उन्होंने पहली बार 9,999 तेजधार वाली लोहे की कीलों पर 9 मिनट में माता दुर्गा की स्तुति करते हुए 9 छंदों में लयबद्ध कुचिपुड़ी नृत्य पेश कर वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया था. इसके बाद से वह इस कला के जरिये ताबड़तोड़ रिकॉर्ड बना रही हैं.

पीसापति का रेकॉर्ड मेकिंग परफॉरमेंस.

एक पारंपरिक परिवार में पैदा हुई पीसापति लिखिता ने बताया कि वह बचपन से ही कुचिपुड़ी सीखना चाहती थीं. पैसे की तंगी और पैर में लगी चोटों के कारण घर के लोगों ने इसका विरोध किया, मगर इस शास्त्रीय कला के प्रति उनका प्रेम बना रहा. हैदराबाद में पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को चकित कर दिया था. लिखिता के दृढ़ संकल्प को देखकर पिता ने भी साथ दिया. फिर अथक रियाज ने इस काबिल बना दिया कि अब वह कीलों पर आसानी से नृत्य करती हैं.

लिखिता ने बताया कि बचपन में उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस के दौरान गिर गई थी. उनके दाहिने टखने में काफी चोट आई थी. इसके बाद वह लंबे समय तक डांस नहीं कर सकी थीं. आर्थिक तंगी के चलते उन्हें ट्यूशन के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इससे भी पैर की प्रॉब्लम बढ़ गई. हालांकि उनका मन नृत्य में रमा रहा. वह वापस ट्रैक पर आने के लिए दर्द के बावजूद रियाज करती रहीं.

कील पर नंगे पांव कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस करती पीसापति लिखिता.

विशाखापट्टनम से पोस्ट ग्रैजुएशन करने के बाद जब वह रोजगार की तलाश में हैदराबाद आईं तो उनके सपनों के पंख लग गए. एक डिग्री कॉलेज में लेक्चरर की जॉब मिलने के बाद उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य की प्रैक्टिस शुरू की. पहले उन्हें कीलों पर डांस करने में डर लगता था, मगर प्रैक्टिस की बदौलत लिखिता ने इस कैटिगरी में नया आयाम रच दिया. वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने के लिए वह तीन महीनों तक लगातार प्रैक्टिस करती रहीं. हालांकि पुरानी चोट के कारण डॉक्टरों ने उन्हें चेतावनी भी दी, मगर उनका जुनून कायम रहा. फिर ऐसा हुआ कि कील पर नृत्य कर वह वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने लगीं. इस मुकाम को हासिल करने में उनके डांस टीचर ने काफी मदद की. लिखिथा आज भी डिग्री कॉलेज में पढ़ाती हैं मगर उनका इरादा कुचिपुड़ी के माध्यम से भारतीय महाकाव्यों और किंवदंतियों को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का है.

पढ़ें : आंध्र प्रदेश HC ने 8 आईएएस को हॉस्टल में सेवा करने की दी अनोखी सजा, जानें क्यों

Last Updated : Mar 31, 2022, 7:55 PM IST
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