श्रीनगर : ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (All Parties Hurriyat Conference) ने कहा कि हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में कश्मीरियों की हत्याओं में बढ़ोतरी हुई है. इस पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है. हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा कि भारत- पाकिस्तान के संघर्ष विराम समझौते से एलओसी के पास रहने वाले लोगों को बहुत राहत मिली है. इस पहल को दो पड़ोसियों देशों के जुड़ाव और बातचीत के अग्रदूत माना जा रहा है.
हुर्रियत कांफ्रेंस का कहना है कि जम्मू-कश्मीर की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए न तो विकास हुआ है, न ही यहां की स्थिति में कोई सुधार हुआ है, बल्कि जमीनी स्तर पर दमनकारी स्थिति बेरोकटोक जारी है.
हुर्रियत कांफ्रेंस का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के सैंकड़ों नेता और युवा जेल या घरों बंद हैं. उनमें से कई की स्वास्थ्य स्थिति लगातार चिंता का विषय बनी हुई है. हार्ट के मरीज यासीन मलिक के हार्ट वॉल्ब को तुरंत बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि उनका हार्ट वॉल्ब 25 साल पुराना हो चुका है. यह जानकारी परिवारिक सूत्रों से पता चली है. वहीं जेल में शब्बीर शाह की तबीयत खराब हो गई है. बता दें कि शब्बीर शाह कई बीमारियों से पीड़ित हैं.
हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा कि समाज के सभी वर्गों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से बार-बार नेताओं और युवाओं रिहा करने की अपील की है. इसके बाद भी उन्हें अब तक रिहा नहीं किया गया है, यहां तक मानवीय आधार पर कोरोना महामारी के दौरान भी इन्हें रिहा नहीं किया गया है. एपीएचसी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी सरकार ने सख्त रुख अपनाए गए और संस्थागत उत्पीड़न जारी रहा.
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में बांट दिया गया था.
हुर्रियत कांफ्रेंस सरकार के इस एकतरफा फैसले के चलते लोगों में लोगों में भय व्याप्त हो गया है. हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा कि अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद यहां पर किसी भी प्रकार का विकास नहीं हुआ है. यहां पर न तो लोगों को रोजगार मिले हैं. इसके बजाय भूमि अधिकार और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ है. इसके परिणामस्वरूप लोगों में मनोवैज्ञानिक बीमारियों में जबरदस्त वृद्धि हुई है और आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.
दूसरी ओर, आम नागरिकों की हत्याएं, पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों की हत्या, हिरासत में हत्याएं और युवाओं की हत्याएं हो रही है. यह सभी काश्मीर संघर्ष का सामाधान न होने के चलते हो रहा है. इसके अलावा यहां के नेताओं और युवाओं को रिहा करना चाहिए.
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APHC ने कहा कि उसने हमेशा घाटी के सभी लोगों के लिए शांति और विकास की वकालत की है. APHC का कहना है कि भारत और पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच बातचीत के माध्यम से कश्मीर संघर्ष का समाधान किया जा सकता है. लेकिन इसे पहले केंद्र सरकार को फिर से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देना होगा. बता दें कि APHC अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक भी नजरबंद है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं के साथ 24 जून की बैठक के दौरान कहा था कि परिसीमन कार्य को शीघ्रता से करना होगा ताकि एक निर्वाचित सरकार गठित करने के लिए चुनाव हो सके. ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि चुनाव अगले छह से नौ महीनों में हो सकते है.