देहरादूनः उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में खासकर कुछ पहाड़ी जिलों में लगातार मानव तस्करी के मामले साल दर साल बढ़ते जा (human trafficking in uttarakhand) रहे हैं. गरीबी और तंगहाली की वजह से नाबालिग बच्चों से लेकर महिलाओं के सौदेबाजी की शिकायतें समय-समय पर पुलिस को मिलती रहती हैं. यही कारण रहा है कि साल 2020 में मानव तस्करी के 9 मामले पुलिस की एफआईआर में दर्ज हुए. 2021 में बढ़कर यह 16 और 2022 के अक्टूबर माह तक 10 मामले मुकदमों के रूप में दर्ज हो चुके हैं.
ऐसे में पिछले 3 सालों में 35 मुकदमे सघन जांच-पड़ताल के बाद मानव तस्करी के दर्ज हुए हैं. इस दौरान 21 नाबालिग किशोरियों का रेस्क्यू किया गया है. जबकि 29 महिलाओं और 1 बालक को रेस्क्यू किया गया. वहीं, इन 3 सालों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग में 62 पुरुष और 32 महिला अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. यही कारण है कि उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने 1 दिसंबर 2022 से अगले 2 माह तक मुख्यतः ड्रग्स तस्करी, इनामी अपराधी, भू -माफियाओं पर शिकंजा कसने के साथ मानव तस्करी में लिप्त गिरोह पर बेहद सख्ती से कनूनी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
डीजीपी के आदेश के मुताबिक स्पा, मसाज पार्लर, होटल, रिसॉर्ट व अन्य जगह पर अनैतिक कार्यों में नाबालिग और महिलाओं पर नजर रखने के आदेश दिए हैं. साथ ही अदालतों में भी ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त पैरवी कर मानव तस्करी पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने की कड़े निर्देश दिए है.
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मानव तस्करी पुलिस के लिए चुनौतीः जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के कुछ पहाड़ी जिलों से लगातार नाबालिग और महिलाओं की सौदेबाजी की खबरें आती रहती हैं. हालांकि, इसका कोई आधिकारिक पुख्ता प्रमाण सामने नहीं आया है. दूसरी तरफ पुलिस सूत्रों के अनुसार, जब इन पर्वतीय जिलों से ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकायतें मुकदमे के रूप में कोर्ट में जाती हैं, तो वहां आरोपी सहित दोनों पक्षों में समझौता हो जाता है. यानी पीड़ित पक्ष के स्वेच्छानुसार आरोपी पक्ष के साथ जाने का बयान कोर्ट के समक्ष देने की बात सामने आती है.
ऐसे में पुलिस के सामने इन मानव तस्करी की शिकायतों पर कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती का विषय है. हालांकि, इसके बावजूद मानव तस्करी के संबंध में एनफोर्समेंट की कार्रवाई पहले से कई गुना अधिक बढ़ाकर जागरूकता का अभियान भी पुलिस की तरफ से प्रदेश भर में चल रहा है.
स्पा सेंटर पर नजर बढ़ाना जरूरीः वहीं, जिस तरह से राजधानी देहरादून सहित कई जिलों में अवैध रूप से स्पा और मसाज सेंटर चल रहे हैं. वहां से भी नाबालिग लड़कियों की मानव तस्करी की शिकायतें मिल रही हैं. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन के मुताबिक ऐसे स्थानों पर भी विशेष तौर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस को नजर रखने की सख्त हिदायत दी गई है. इस तरह के मसाज सेंटर, रिसॉर्ट व होटल जैसे स्थानों में नाबालिग लड़कियों से काम कराने पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने के निर्देश हैं.
दूसरी तरफ पहाड़ों के कुछ दूरस्थ जिलों में बाहर से आकर शादी कराने वाले मानव तस्करी गैंग से जुड़े एजेंटों पर भी विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि समय रहते उन पर भी प्रभावी कार्रवाई की जा सके. ऐसा कई बार देखने में आता है कि पुलिस जब मानव तस्करी से जुड़े मामलों में कनूनी कार्रवाई करती है तो पीड़ित पक्ष अपनी आर्थिक माली हालत को देख आमदनी न होने के चलते आरोपी पक्ष से समझौते कर लेते हैं. अपनी स्वेच्छा से आरोपी पक्ष के साथ जाने की बात कहते हैं.
मानव तस्करी रोकने के लिए स्पेशल टीमें: प्रदेश में अपराध व कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी देख रहे ADG, LO डॉ. वी मुरुगेशन के मुताबिक, मानव तस्करी जैसे चिंताजनक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के हर जिले में एक विशेष इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग स्पेशल पुलिस टीमें गठित की गई हैं. इन टीमों में 200 से अधिक पुलिस सदस्य शामिल हैं. इतना ही नहीं सभी टीमों को बाकायदा मानव तस्करी रोकने के लिए हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक्ट के तहत विशेषज्ञों द्वारा विशेष तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है.
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मानव तस्करी रोकने के लिए जागरूकता जरूरीः उत्तराखंड में मानव तस्करी को लेकर जानकारों का कहना है कि यह अपराध वाकई ही में बेहद चिंताजनक हैं. महिलाएं कोई वस्तु नहीं हैं जिनकी सौदेबाजी की जाए. कई राज्य ऐसे हैं जहां पुरुषों के तुलना महिलाओं के लिंग अनुपात में कमी बढ़ती जा रही है. वहीं से कई ऐसे लोग हैं जो मानव तस्करी में जुड़े एजेंट और गैंग के जरिए उत्तराखंड में गरीबी हालत में रहने वाले नाबालिग और महिलाओं से शादी कराने और अनैतिक कार्य का जघन्य अपराध करने में तुले है. यह बेहद चिंता का विषय है.
इसको रोकना सिर्फ पुलिस का ही दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकार और राजनीतिक सहित हर जनपद में सक्रिय लोगों का भी है. लोगों को जागरूक रहकर मानव तस्करी का शिकार होने वाली गरीब बच्चियों या महिलाओं को बचाने के लिए पुलिस और महिला बाल विकास प्रशासन को सूचना देनी चाहिए. ताकि समाज की जागरूकता से मानव तस्करी पर नजर बनाकर इस चिंताजनक अपराध पर अंकुश लगाया जा सके.
साल 2020 से अक्टूबर 2022 तक मानव तस्करी में दर्ज मुकदमेः
- 2020 में 9 एफआईआर दर्ज
- 13 पीड़ित रेस्क्यू, जिसमें 8 बालिका व 5 महिलाएं
- 19 आरोपी गिरफ्तार. जिसमें 14 पुरुष व 5 महिलाएं.
- 2021 में 16 एफआईआर दर्ज
- 22 पीड़ित रेस्क्यू, जिसमें 9 बालिका व 13 महिलाएं.
- 39 आरोपी गिरफ्तार. जिसमें 29 पुरुष व 10 महिलाएं.
- 2022 में 10 एफआईआर दर्ज
- 16 पीड़ित रेस्क्यू, जिसमें 4 बालिका, 1 बालक व 11 महिलाएं.
- 36 आरोपी गिरफ्तार. जिसमें 19 पुरुष व 17 महिलाएं.
- नवंबर और दिसंबर माह के आंकड़े आना बाकी हैं.