शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं. एक कारोबारी ने डीजीपी से अपने परिवार और खुद की जान को खतरा बताते हुए हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस को मेल भेजा था. इस मामले में अब तक FIR ना होने पर हाइकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुलिस को निर्देश दिए हैं कि डीजीपी के खिलाफ FIR हो और कारोबारी के परिवार को सुरक्षा दी जाए. मामले की अगली सुनवाई बुधवार 22 नवंबर को होगी और उस दिन मामले से जुड़ी नई स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी.
हाईकोर्ट ने क्या कहा- हिमाचल प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने बताया कि "हाईकोर्ट ने निशांत शर्मा मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई थी. कांगड़ा और शिमला एसपी की ओर से स्टेटस रिपोर्ट हाइकोर्ट के सामने पेश की गई. जिसके बाद हाइकोर्ट ने पूछा कि क्या इस मामले में FIR दर्ज की गई है. हमने न्यायालय को बताया कि शिकायत के तथ्यों के आधार पर छानबीन करने पर स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रख रहे हैं".
"न्यायालय का मत था कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब भी कोई व्यक्ति शिकायत करता है तो तुरंत FIR दर्ज करके जांच और आगामी कार्रवाई होनी चाहिए. जिसके बाद हमने हाइकोर्ट को आश्वस्त किया कि बुधवार तक कांगड़ा में इस मामले की एफआईआर दर्ज की जाएगी और कोर्ट के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाएगी. इस मामले की सुनवाई अब 22 नवंबर को होगी" - अनूप रतन, एडवोकेट जनरल, हिमाचल प्रदेश
मामला क्या है- दरअसल हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के निशांत शर्मा नाम के कारोबारी ने डीजीपी से जान का खतरा बताया है. निशांत के मुताबिक संपत्ति से जुड़े एक मामले में उन पर हमला किया गया था और उन्हें बार-बार हिमाचल पुलिस मुख्यालय से फोन किया जा रहा था. निशांत का आरोप है कि डीजीपी उसे मिलने के लिए शिमला बुला रहे थे.
निशांत शर्मा के मुताबिक उन्होंने डीजीपी को मेल करके पूछा कि शिमला क्यों बुलाया जा रहा है. मेल मिलने के बाद डीजीपी संजय कुंडू ने निशांत शर्मा के खिलाफ छोटा शिमला थाने में मामला दर्ज करवा दिया था. डीजीपी के मुताबिक निशांत शर्मा उनकी छवि खराब करने के लिए मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं. गौरतलब है कि मामला सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी जांच की बात कही थी.
कारोबारी ने हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस को किया था मेल- खुद के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद कारोबारी निशांत शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस तक को एक मेल भेजा. निशांत ने इस मेल में डीजीपी से अपने और परिवार की जान को खतरा बताते हुए मामले में संज्ञान लेने का आग्रह किया था. जिस पर हाइकोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए 16 नवंबर को मामले की तारीख सुनवाई के लिए तय की थी और एसपी कांगड़ा और शिमला से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी.
कारोबारी का डीजीपी पर आरोप- निशांत शर्मा के मुताबिक उस पर हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ था. उस मामले की जांच हरियाणा पुलिस द्वारा की जा रही है. निशांत के मुताबिक गुरुग्राम में हुए हमले में दर्ज कराई शिकायत को वापस लेने के लिए उन्हें धमकाया गया. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के भगसूनाग में कुछ लोगों ने उसका रास्ता रोककर धमकी दी थी. जिसकी सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने रिकॉर्ड में ली है. जिसके बाद डीएसपी और एसएचओ पालमपुर ने डीजीपी से मिलने के लिए फोन किए. निशांत के मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से एक ही दिन में 14 फोन आए और डीजीपी से मिलने के लिए शिमला बुलाया गया.
हाइकोर्ट ने दिए सुरक्षा के आदेश- कारोबारी निशांत शर्मा की ओर से खुद की जान को खतरा बताया गया है. जिसपर हाइकोर्ट ने मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश के साथ-साथ सुरक्षा के भी आदेश दिए हैं. एडवोकेट जनरल ने बताया मामला कांगड़ा जिले से जुड़ा है इसलिये कांगड़ा में ही एफआईआर दर्ज की जाएगी.
"हमने कोर्ट को बताया कि कारोबारी को सुरक्षा दी गई है. एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा उनके संपर्क में है. निशांत शर्मा ने कहा है कि जब भी सुरक्षा की जरूरत होगी तो वो एसपी कांगड़ा को बताएंगे. लेकिन कोर्ट के कारोबारी को सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं जिसके बाद हम उन्हें तुरंत सुरक्षा मुहैया करवाएंगे." - अनूप रतन, एडवोकेट जनरल, हिमाचल प्रदेश
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