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चीन सीमा के पास बसा दर गांव इतिहास के पन्नों में हो जाएगा दर्ज? जानिए क्या है मामला

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Published : Nov 28, 2021, 6:19 PM IST

चीन सीमा के पास बसा दर गांव (china border dar village) इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा. दारमा घाटी के दर गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. साथ ही यहां भू-धसाव के कारण अब 35 मकान जमींदोज हो चुके हैं. लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.

dar village of pithoragarh etv bharat
dar village of pithoragarh etv bharat

पिथौरागढ़ : चीन सीमा के पास बसा दर गांव (Dar village of Pithoragarh) कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. दर गांव (china border dar village) में करीब 145 परिवार रहते हैं, जिन पर हर समय खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. आलम ये है कि बिना बरसात के भी गांव में जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते यहां 35 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं, जबकि कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गयी हैं. गांव में हो रहे लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी (Darma Valley of Pithoragarh District) में पड़ने वाला पहला गांव दर (china border dar village) पिछले चार दशकों से खतरे की जद में है. 1974 में यहां के कई परिवारों को सितारगंज में विस्थापित किया गया था, मगर अब धीरे धीरे पूरा गांव खतरे की जद में आ गया है. भूवैज्ञानिकों की टीम ने बीते दिनों दारमा घाटी का दौरा भी किया था.

लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.

टीम के लीडर प्रदीप कुमार का कहना है कि दर गांव पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा हुआ है. वहीं, सोबला-ढाकर रोड की कटिंग होने से यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा है. गांव के नीचे भूमिगत जलस्त्रोत है. जिनसे लगातार पानी रिसता है. जिसका नतीजा है कि पूरा गांव धीरे-धीरे खिसक रहा है. टीम लीडर प्रदीप कुमार ने बताया कि गांव के 35 परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है.

वहीं, आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर ने बताया कि 1974 में गांव के प्रभावित परिवारों का सितारगंज में विस्थापन किया गया था, मगर अधिकांश प्रभावित परिवार गांव में ही लौट आये. उन्होंने आस-पास सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है.

बता दें इस साल अक्टूबर माह में हुई भारी बारिश के दौरान भी दर गांव में भारी लैंडस्लाइड हुआ था. जिसके बाद कई मकान खतरे की जद में आ गए थे, लेकिन अब बिना बारिश के भी गांव में लगातार भू-धसाव हो रहा है. जिससे ग्रामीणों की परेशानियां दिनों-दिन बढ़ रही हैं.

पढ़ेंः Patanjali university convocation : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेधावी विद्यार्थियों को किया सम्मानित

पिथौरागढ़ : चीन सीमा के पास बसा दर गांव (Dar village of Pithoragarh) कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. दर गांव (china border dar village) में करीब 145 परिवार रहते हैं, जिन पर हर समय खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. आलम ये है कि बिना बरसात के भी गांव में जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते यहां 35 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं, जबकि कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गयी हैं. गांव में हो रहे लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी (Darma Valley of Pithoragarh District) में पड़ने वाला पहला गांव दर (china border dar village) पिछले चार दशकों से खतरे की जद में है. 1974 में यहां के कई परिवारों को सितारगंज में विस्थापित किया गया था, मगर अब धीरे धीरे पूरा गांव खतरे की जद में आ गया है. भूवैज्ञानिकों की टीम ने बीते दिनों दारमा घाटी का दौरा भी किया था.

लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.

टीम के लीडर प्रदीप कुमार का कहना है कि दर गांव पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा हुआ है. वहीं, सोबला-ढाकर रोड की कटिंग होने से यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा है. गांव के नीचे भूमिगत जलस्त्रोत है. जिनसे लगातार पानी रिसता है. जिसका नतीजा है कि पूरा गांव धीरे-धीरे खिसक रहा है. टीम लीडर प्रदीप कुमार ने बताया कि गांव के 35 परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है.

वहीं, आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर ने बताया कि 1974 में गांव के प्रभावित परिवारों का सितारगंज में विस्थापन किया गया था, मगर अधिकांश प्रभावित परिवार गांव में ही लौट आये. उन्होंने आस-पास सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है.

बता दें इस साल अक्टूबर माह में हुई भारी बारिश के दौरान भी दर गांव में भारी लैंडस्लाइड हुआ था. जिसके बाद कई मकान खतरे की जद में आ गए थे, लेकिन अब बिना बारिश के भी गांव में लगातार भू-धसाव हो रहा है. जिससे ग्रामीणों की परेशानियां दिनों-दिन बढ़ रही हैं.

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