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पंजाब की इस महिला ऑटोचालक के हौसले को सलाम

महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और अपनी अलग पहचान बना रही हैं. बठिंडा (पंजाब) की रहने वाली छिंदर पाल कौर (Chhinder Pal Kaur) इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. जिस पेशे में महिलाएं आने से कतराती हैं, उसी को उन्होंने परिवार पालने का जरिया बनाया है. महिलाओं का हौसला बढ़ाने वाली ये खास रिपोर्ट.

महिला ऑटोचालक
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Published : Jun 25, 2021, 1:28 PM IST

चंडीगढ़ : बठिंडा के बंगीनगर की रहने वाली छिंदर पाल कौर (Chhinder Pal Kaur) उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो परिवार की खातिर मेहनत करने से पीछे नहीं हटतीं. छिंदर पाल कौर को अक्सर बठिंडा शहर में कुर्ता, पायजामा और पगड़ी पहने ऑटो रिक्शा चलाते देखा जा सकता है.

छिंदर कौर का कहना है कि 'शादी के बाद पति पीटते थे इसलिए उन्हें तलाक दे दिया और 8 महीने की बेटी के साथ लौट आई. मेरे 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. 12-13 साल मैंने दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया, फिर एक ढाबा चलाया, जूस बेचा लेकिन मेरी उंगली कट गई. मैं 2 साल बेरोजगार रही. घर में कमाने वाली मैं अकेली सदस्य हूं.'

महिला ऑटोचालक

उनका कहना है कि वापस मायके आने के बाद आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. नतीजतन परिवार का सहयोग करने और अपनी बीमार मां के इलाज के लिए कड़ी मेहनत की. उन्होंने बताया कि किश्तों पर ऑटो लिया लेकिन लॉकडाउन के कारण भुगतान करने में असमर्थ रही.

पुरुषों के कपड़े पहनने की ये बताई वजह

छिंदर कौर को अक्सर पुरुषों के कपड़े, कुर्ता, पजामा और पगड़ी पहने देखा जा सकता है. आमतौर पर महिलाएं ऑटो रिक्शा नहीं चलाती हैं, लेकिन वह महिला होते हुए भी ऐसा कर रही हैं. पुरुषों के कपड़े अपनाने के बारे में उनका कहना है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधिक माहौल को देखते हुए उन्होंने पुरुषों के पहनावे को अपनाया है.

उनका कहना है कि पुरुष पोशाक को इसलिए अपनाया क्योंकि समय सही नहीं है. रात में कहीं पैसेंजर के साथ जाना होता है, लोग मजाक उड़ाते हैं. जब सूट पहनकर ड्राइव करती हूं तो महिलाएं भी साथ यात्रा नहीं करतीं, ज्यादातर पुरुषों का भी नजरिया सही नहीं होता. यही वजह है कि पुरुषों के कपड़े धारण किए. उनका कहना है कि सरकार और अन्य लोगों अगर मदद को आगे आएं तो और ज्यादा कमा सकती हूं.

पढ़ें- SC ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट: केजरीवाल सरकार ने जरूरत से 4 गुना ज्यादा मांगी ऑक्सीजन

गरीबी और आर्थिक तंगी के बावजूद छिंदर पाल कौर लोगों को साहस के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं.

चंडीगढ़ : बठिंडा के बंगीनगर की रहने वाली छिंदर पाल कौर (Chhinder Pal Kaur) उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो परिवार की खातिर मेहनत करने से पीछे नहीं हटतीं. छिंदर पाल कौर को अक्सर बठिंडा शहर में कुर्ता, पायजामा और पगड़ी पहने ऑटो रिक्शा चलाते देखा जा सकता है.

छिंदर कौर का कहना है कि 'शादी के बाद पति पीटते थे इसलिए उन्हें तलाक दे दिया और 8 महीने की बेटी के साथ लौट आई. मेरे 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. 12-13 साल मैंने दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया, फिर एक ढाबा चलाया, जूस बेचा लेकिन मेरी उंगली कट गई. मैं 2 साल बेरोजगार रही. घर में कमाने वाली मैं अकेली सदस्य हूं.'

महिला ऑटोचालक

उनका कहना है कि वापस मायके आने के बाद आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. नतीजतन परिवार का सहयोग करने और अपनी बीमार मां के इलाज के लिए कड़ी मेहनत की. उन्होंने बताया कि किश्तों पर ऑटो लिया लेकिन लॉकडाउन के कारण भुगतान करने में असमर्थ रही.

पुरुषों के कपड़े पहनने की ये बताई वजह

छिंदर कौर को अक्सर पुरुषों के कपड़े, कुर्ता, पजामा और पगड़ी पहने देखा जा सकता है. आमतौर पर महिलाएं ऑटो रिक्शा नहीं चलाती हैं, लेकिन वह महिला होते हुए भी ऐसा कर रही हैं. पुरुषों के कपड़े अपनाने के बारे में उनका कहना है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधिक माहौल को देखते हुए उन्होंने पुरुषों के पहनावे को अपनाया है.

उनका कहना है कि पुरुष पोशाक को इसलिए अपनाया क्योंकि समय सही नहीं है. रात में कहीं पैसेंजर के साथ जाना होता है, लोग मजाक उड़ाते हैं. जब सूट पहनकर ड्राइव करती हूं तो महिलाएं भी साथ यात्रा नहीं करतीं, ज्यादातर पुरुषों का भी नजरिया सही नहीं होता. यही वजह है कि पुरुषों के कपड़े धारण किए. उनका कहना है कि सरकार और अन्य लोगों अगर मदद को आगे आएं तो और ज्यादा कमा सकती हूं.

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गरीबी और आर्थिक तंगी के बावजूद छिंदर पाल कौर लोगों को साहस के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं.

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