औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड अंतर्गत कर्मडीड़ गांव में 'हॉप शूट्स' की खेती की जा रही है. इसी गांव के रहने वाले अमरेश सिंह ने ट्रायल के तौर पर 5 कट्ठे जमीन पर इसकी खेती शुरू की है. विदेशों में इसकी काफी मांग की है. यह एक हजार यूरो यानी 82 हजार रुपये प्रति किलो के भाव में बिकती है.
बीयर बनाने के साथ और भी कई प्रयोग
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में लोग इसे काफी पसंद करते हैं. इसका फूल बीयर बनाने के काम आता है, जिसे 'हॉप कोन्स' कहते हैं और इसकी टहनियों को कई तरह से खाया जा सकता है. इसको कच्चा भी खाया जा सकता है, लेकिन काफी कड़वा होता है.
हॉप की टहनियों का इस्तेमाल प्याज की तरह सलाद में भी किया जा सकता है. इसको आप ग्रिल करके भी खा सकते हैं या फिर इसका आचार बना सकते हैं. बसंत का मौसम इसकी खेती के लिए काफी मुफीद माना जाता है.
प्रयोग तौर पर आजमा रहा
अमरेश ने कहा कि मैंने हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती का गुर सीखा है और प्रयोग तौर पर आजमा रहा हूं. विदेशों में इसकी काफी मांग है. उम्मीद है ऐसी खेती किसानों के भाग्य खोल देगी और जैसे ही किसानों तक इस खेती की जानकारी होगी, वे पारम्परिक खेती छोड़कर इस खेती को आजमाएंगे.
अमरेश ने वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. लाल की देखरेख में 5 कट्ठे जमीन पर इसकी खेती की शुरुआत की है. उन्होंने 2 महीने पहले इसका पौधा लगाया गया था, जो अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है.
गर्मी में होती है इसकी खेती
ठंडी के मौसम को इसके लिए ठीक नहीं माना जाता है. मार्च से लेकर जून तक इसकी खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है. इसके लिए नमी और सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है. इस माहौल में इसका पौधा तेजी से बढ़ता है और एक दिन में इसकी टहनियां 6 ईंच तक बढ़ जाती हैं. शुरुआत में इसकी टहनियां बैंगनी रंग की होती हैं, लेकिन बाद में हरी हो जाती हैं.