नई दिल्ली: प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ावा देने और दूर-दराज के इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कर्मियों को तत्काल ऊर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से, केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अपने परिसरों में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का उपयोग करने के लिए एक कदम शुरू किया है.
इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने मंगलवार को नॉर्थ ब्लॉक में संबंधित अधिकारियों की बैठक ली और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए एक मॉड्यूल तैयार करने को कहा. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए एक पावरपॉइंट प्रस्तुति भी दी.
बैठक में सीएपीएफ, एआर, एनएसजी, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन, आयुष मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. सूत्रों ने बताया कि बैठक में सीएपीएफ, एआर और एनएसजी के लिए योग की विशिष्ट आवश्यकताओं पर भी चर्चा हुई. रणनीति के अनुसार, सीएपीएफ, असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को वैज्ञानिक तरीकों से मधुमक्खियों को संरक्षित करने के तरीकों के बारे में प्रोत्साहित और जागरूक किया जाएगा.
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अर्धसैनिक बल के जवानों को मधुमक्खी पालन मिशन में शामिल करने की गृह मंत्रालय की पहल पर विस्तृत चर्चा हुई. इस मुद्दे पर बात करते हुए आयुष वैज्ञानिक डॉ. वीके शाही ने कहा, 'शुद्ध शहद का सेवन उन जवानों के लिए बहुत फायदेमंद होगा जो दूरदराज और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात हैं. यह प्रतिरक्षा बनाने में मदद करेगा.'