मसूरी: गुरू नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) पूरे देश के साथ-साथ मसूरी में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सिख धर्म में कई धार्मिक त्योहारों में से गुरू पर्व भी एक है, जो पहले सिख गुरू और सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव के जन्म और दर्शन को याद कर मनाया जाता है. गुरू नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
मसूरी के गांधी चौक और लंढौर बाजार स्थित दोनों गुरुद्वारा को गुरू पर्व को लेकर सजाया गया है. इस मौके पर 48 घंटे लगातार गुरू ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया. मसूरी के मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने भी संपूर्ण देशवासियों को गुरू नानक की जयंती की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा उनके पूर्वजों ने गुरू नानक जी की जन्म कुंडली बनाई थी, जो आज भी उनके पास मौजूद है.
गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पूर्वज और पिता ने भारत के कई राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों की जन्म कुंडली बनाई है. इन सब की असल प्रतिलिपि आज भी उनके पास मौजूद है. उन्होंने कहा वह पूरे देशवासियों को गुरू नानक जी की जन्म कुंडली को समर्पित करते हैं और आने वाले समय पर गुरू नानक जी की जन्म कुंडली मसूरी गुरुद्वारा समिति को उपहार स्वरूप देंगे.
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उन्होंने कहा सरकार की अनदेखी के कारण उनके पास मौजूद मसूरी और अन्य जगहों के इतिहास को संरक्षित नहीं किया जा सका है. उन्होंने कई बार सरकार और मसूरी नगर पालिका से म्यूजियम बनाने की मांग की, लेकिन ना तो सरकार और ना ही नगर पालिका ने इस ओर ध्यान दिया.
उन्होंने कहा उनके पास मसूरी और अन्य जगहों के साथ कई बड़े नामचीन लोगों के महत्वपूर्ण इतिहास आज भी मौजूद हैं. जिनको संरक्षित किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा उनकी उम्र बढ़ रही है. ऐसे में वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द सरकार उनके पास रखी सभी ऐतिहासिक चीजों को लेकर उसे संरक्षित करें और एक म्यूजियम में संरक्षित कर दें. ताकि मसूरी आने वाले लोगों को यहां के इतिहास के बारे में पता चले. साथ ही सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज और सामानों का भी दीदार कर सकें.