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Karnataka Halal Meat Boycott: हिंदुत्ववादी समूहों ने शुरू किया हलाल मीट के बहिष्कार का अभियान

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Published : Mar 29, 2022, 8:56 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 9:01 PM IST

कर्नाटक में शुरू हुए हिजाब विवाद (Hijab controversy started in Karnataka) ने कई विवादों को जन्म दे दिया है. कुछ मुसलमानों ने हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया और पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया. वहीं, अब हिंदूवादी संगठन भी नये-नये फरमान जारी कर रहे हैं. जिसमें ताजा आह्वान कर्नाटक में हलाल मीट (Halal Meat in Karnataka) न खरीदने का किया गया है.

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बेंगलुरु: कर्नाटक हिजाब विवाद (Hijab controversy Karnataka) पर मुसलमानों द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करने के बाद हिंदुओं ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है. पहले हिंदू मेलों में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की बात सामने आई. बाद में शिमोगा शहर के प्रसिद्ध मरिकंबा मेले में भी मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई. अब यह प्रतिबंध पूरे राज्य में फैल रहा है. कई मेलों, त्योहारों और मंदिरों के सामने मुस्लिमों को व्यापार से प्रतिबंधित किया जा रहा है. कर्नाटक राज्य में अब हलाल मीट के बहिष्कार का अभियान भी शुरू हो गया है.

भाजपा नेता सीटी रवि: हलाल मीट एक तरह का आर्थिक जिहाद है. इस आर्थिक जिहाद का मतलब है कि मुसलमानों को दूसरों के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए. हलाल मीट का इस्तेमाल न करने की बात कहने में क्या गलत है? हमें यह कहने का अधिकार है कि हलाल मांस का उपयोग नहीं करना चाहिए. हलाल, मुसलमानों का एक धार्मिक कृत्य है. वही उन्हें प्रिय है. सद्भाव एक तरफा नहीं, दोतरफा होना चाहिए.

हलाल के खिलाफ ऋषिकुमार स्वामीजी का अभियान: ऋषिकुमार स्वामी ने मंगलवार को हलाल मीट के खिलाफ अभियान शुरू किया. उनका कहना है कि मैं आज से हलाल मीट के खिलाफ अभियान शुरू करूंगा. उनका कहना है कि यह अपराध की तरह है कि हमारे धार्मिक लोग हलाल मीट खरीदते हैं और भगवान को चढ़ाते हैं. यह अन्य धार्मिक लोगों द्वारा तैयार किया गया होता है. मुस्लिमों द्वारा तैयार किया जा रहा हलाल न खरीदने की मांग को लेकर ऋषिकुमार स्वामी ने यह अभियान शुरू किया है.

हलाल की दुकान से मांस न खरीदें: श्रीराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि हिंदुओं को किसी भी कारण से मुस्लिम की हलाल की दुकान पर मांस नहीं खरीदना चाहिए. हलाल की दुकान पर मीट खरीदने से हिंदू विरोधियों को मजबूती मिलेगी. यह देश के साथ विश्वासघात जैसा है. उन्होंने कहा कि वे हलाल के खिलाफ हिंदू संगठनों का स्वागत करते हैं. हलाल का हिंदुओं से कोई लेना-देना नहीं है. हलाल मांस केवल मुसलमानों में श्रेष्ठ है लेकिन हिंदुओं के लिए यह बचा हुआ बन गया है.

प्रमोद मुतालिक ने दो साल पहले क्या कहा था?: श्रीराम सेना के नेता प्रमोद मुतालिक ने दो साल पहले मांग की थी कि केंद्र सरकार देश को हलाल मुक्त करे. उन्होंने दावा किया कि विदेशों में हलाल ब्रांड के नाम से मीट बेचकर खूब पैसा कमाया गया. कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल इस्लामिक समुदाय के विकास के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि इससे इस्लामिक अर्थव्यवस्था बढ़ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इससे जुटाया गया पैसा आतंकियों के पास गया.

क्या है हलाल मीट: यह जानवरों या मुर्गे को मारने का एक इस्लामी रूप है. भेड़ में गले की नस, कैरोटिड धमनी और श्वासनली को काटकर मारने की प्रथा है. हलाल करने वालों को मुस्लिम ही होना चाहिए. हलाल सर्टिफिकेट, जमीयत उलमा हिंद हलाल ट्रस्ट द्वारा जारी किया जाता है. इसे पाने के लिए शुल्क भी देना पड़ता है. बताया जाता है कि हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए 30 हजार से 50 हजार तक का भुगतान करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- फसलों को नुकसान पहुंचा रही है अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की खपत : स्टडी

हिंदुत्व समूह, हिंदू जनजागृति समिति ने कर्नाटक में उगादी समारोह के दौरान हलाल मांस उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया. उगादी के दौरान टोडाकू अनुष्ठान बेंगलुरू, रामनगर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, कोलार और ग्रामीण इलाकों में मीट की खूब खरीदारी होती है. चूंकि इस वक्त हलाल मीट की खपत ज्यादा होती है, इसलिए हिंदू जनजागृति समिति ने इस समय ही हलाल मांस नहीं खरीदने का आह्वान किया है. इस्लाम के अनुसार हलाल मांस पहले अल्लाह को चढ़ाया जाता है और वही हिंदू देवताओं को नहीं चढ़ाया जा सकता. हलाल करते हुए शरीयत की आयत कही जाती है. इसलिए हिंदू जनजागृति समिति ने हलाल मांस की खरीद बंद करने का आह्वान किया है.

बेंगलुरु: कर्नाटक हिजाब विवाद (Hijab controversy Karnataka) पर मुसलमानों द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करने के बाद हिंदुओं ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है. पहले हिंदू मेलों में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की बात सामने आई. बाद में शिमोगा शहर के प्रसिद्ध मरिकंबा मेले में भी मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई. अब यह प्रतिबंध पूरे राज्य में फैल रहा है. कई मेलों, त्योहारों और मंदिरों के सामने मुस्लिमों को व्यापार से प्रतिबंधित किया जा रहा है. कर्नाटक राज्य में अब हलाल मीट के बहिष्कार का अभियान भी शुरू हो गया है.

भाजपा नेता सीटी रवि: हलाल मीट एक तरह का आर्थिक जिहाद है. इस आर्थिक जिहाद का मतलब है कि मुसलमानों को दूसरों के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए. हलाल मीट का इस्तेमाल न करने की बात कहने में क्या गलत है? हमें यह कहने का अधिकार है कि हलाल मांस का उपयोग नहीं करना चाहिए. हलाल, मुसलमानों का एक धार्मिक कृत्य है. वही उन्हें प्रिय है. सद्भाव एक तरफा नहीं, दोतरफा होना चाहिए.

हलाल के खिलाफ ऋषिकुमार स्वामीजी का अभियान: ऋषिकुमार स्वामी ने मंगलवार को हलाल मीट के खिलाफ अभियान शुरू किया. उनका कहना है कि मैं आज से हलाल मीट के खिलाफ अभियान शुरू करूंगा. उनका कहना है कि यह अपराध की तरह है कि हमारे धार्मिक लोग हलाल मीट खरीदते हैं और भगवान को चढ़ाते हैं. यह अन्य धार्मिक लोगों द्वारा तैयार किया गया होता है. मुस्लिमों द्वारा तैयार किया जा रहा हलाल न खरीदने की मांग को लेकर ऋषिकुमार स्वामी ने यह अभियान शुरू किया है.

हलाल की दुकान से मांस न खरीदें: श्रीराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि हिंदुओं को किसी भी कारण से मुस्लिम की हलाल की दुकान पर मांस नहीं खरीदना चाहिए. हलाल की दुकान पर मीट खरीदने से हिंदू विरोधियों को मजबूती मिलेगी. यह देश के साथ विश्वासघात जैसा है. उन्होंने कहा कि वे हलाल के खिलाफ हिंदू संगठनों का स्वागत करते हैं. हलाल का हिंदुओं से कोई लेना-देना नहीं है. हलाल मांस केवल मुसलमानों में श्रेष्ठ है लेकिन हिंदुओं के लिए यह बचा हुआ बन गया है.

प्रमोद मुतालिक ने दो साल पहले क्या कहा था?: श्रीराम सेना के नेता प्रमोद मुतालिक ने दो साल पहले मांग की थी कि केंद्र सरकार देश को हलाल मुक्त करे. उन्होंने दावा किया कि विदेशों में हलाल ब्रांड के नाम से मीट बेचकर खूब पैसा कमाया गया. कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल इस्लामिक समुदाय के विकास के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि इससे इस्लामिक अर्थव्यवस्था बढ़ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इससे जुटाया गया पैसा आतंकियों के पास गया.

क्या है हलाल मीट: यह जानवरों या मुर्गे को मारने का एक इस्लामी रूप है. भेड़ में गले की नस, कैरोटिड धमनी और श्वासनली को काटकर मारने की प्रथा है. हलाल करने वालों को मुस्लिम ही होना चाहिए. हलाल सर्टिफिकेट, जमीयत उलमा हिंद हलाल ट्रस्ट द्वारा जारी किया जाता है. इसे पाने के लिए शुल्क भी देना पड़ता है. बताया जाता है कि हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए 30 हजार से 50 हजार तक का भुगतान करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- फसलों को नुकसान पहुंचा रही है अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की खपत : स्टडी

हिंदुत्व समूह, हिंदू जनजागृति समिति ने कर्नाटक में उगादी समारोह के दौरान हलाल मांस उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया. उगादी के दौरान टोडाकू अनुष्ठान बेंगलुरू, रामनगर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, कोलार और ग्रामीण इलाकों में मीट की खूब खरीदारी होती है. चूंकि इस वक्त हलाल मीट की खपत ज्यादा होती है, इसलिए हिंदू जनजागृति समिति ने इस समय ही हलाल मांस नहीं खरीदने का आह्वान किया है. इस्लाम के अनुसार हलाल मांस पहले अल्लाह को चढ़ाया जाता है और वही हिंदू देवताओं को नहीं चढ़ाया जा सकता. हलाल करते हुए शरीयत की आयत कही जाती है. इसलिए हिंदू जनजागृति समिति ने हलाल मांस की खरीद बंद करने का आह्वान किया है.

Last Updated : Mar 29, 2022, 9:01 PM IST
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