कलबुर्गी: हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि सोमलिंगेश्वर मंदिर कलबुर्गी के प्रसिद्ध बहमनी किले में मिला है. हिंदू समूहों ने एक मंदिर के विकास की मांग की जो कलबुर्गी में प्रसिद्ध बहमनी किले में है. हिंदू संगठन के नेताओं ने तर्क दिया है कि किले के उत्तर-पूर्व में सोमलिंगेश्वर का मंदिर है. बहमनी किले का निर्माण बहमनी सल्तनत के शासक हसन गंगू शाह ने करवाया था. हिंदू नेताओं के अनुसार किले के अंदर लगभग 70 एकड़ में सोमलिंगेश्वर मंदिर पाया गया है.
सोमलिंगेश्वर मंदिर 12वीं शताब्दी के कल्याणी चालुक्यों के दौरान बनाया गया था. बाद में मंदिर पर बहमनी सुल्तानों द्वारा हमला किया गया और नष्ट कर दिया गया. सैकड़ों मुस्लिम परिवार अभी भी वहां रहते हैं. सैकड़ों वर्षों का इतिहास रखने वाले सोमेश्वर मंदिर की पुरातत्व विभाग द्वारा उपेक्षा की गई है. सरकार को तुरंत मंदिर का जीर्णोद्धार करना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो संगठन आंदोलन शुरू करेगा.
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बहमनी सल्तनत : दक्कन की पहली इंडिपेंडेंट सुन्नी मुस्लिम सल्तनत ‘बहमनी’ मूलरूप से पर्शियन थी. 1347में अलाउद्दीन खिलजी के एक दरबारी के भतीजे जफर खान ने इसकी नींव गुलबर्गा (जो आज कलबुर्गी कहलाता है) में रखी थी. जफर का असली नाम अलाउद्दीन बहमन शाह था जिसे हसन गंगू के नाम से भी जाना जाता है. ये सल्तनत ज्यादातर अपने उन युद्धों को लेकर फेमस रही जो विजयनगर एम्पायर के हिन्दू राजाओं के साथ लड़े गए. साल1347 से1517 तक बहमनी सल्तनत ने दक्कन में खूब मनमानी की. लूट-खसोट, मार-काट. लेकिन साल1509 में स्थितियां तब बदलीं जब कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के राजा बने. 1518में हुए युद्ध में कृष्णदेव राय ने बहमनी सल्तनत को बुरी तरह हराया. बहमनी सल्तनत बिखर गई. और बिखर कर पांच छोटी सल्तनतें बनीं- अहमदनगर, गोलकुंडा, हैदराबाद, बीदर और बीजापुर. विजयनगर साम्राज्य पर कृष्णदेव राय का शासन बहुत छोटा रहा, केवल 20 वर्ष का. लेकिन विजयनगर साम्राज्य के लिए ये काफी महत्वपूर्ण रहा.