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Hindi Divas special फाग गाते निराला, पशुओं को दुलारती महादेवी, दुर्लभ तस्वीरों में देखें साहित्यकारों के अलहदा अंदाज

अगर हिंदी के तमाम नामचीन साहित्यकारों का अलहदा अंदाज आपको अजर आ जाए तो क्या कहेंगे. कुछ ऐसी ही कोशिश की भोपाल के छायाकार जगदीश कौशल ने. जगदीश संभवत, देश के इकलौते ऐसे छायाकार हैं जिनके पास भारत के तमाम नामचीन साहित्यकारों सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा ऐसे दुर्लभ छायाचित्र हैं. हम आपको वही तस्वीरें दिखा रहे हैं जो दुर्लभ हैं और निराली भी. Hindi Divas special, unique style of famous writers, famous writers pictures

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Published : Sep 14, 2022, 10:05 AM IST

भोपाल. हिंदीं के महान कवि कथाकारों को कितना जानते हैं आप. 'मैं नीर भरी दुख की बदली' लिखने वाली महादेवी वर्मा जितनी गहरी कविताएँ लिखती थी. रंग और कैनवास से भी उनका उतना ही गहरा जुड़ाव था. हिंदी के पाठ्यक्रम में आपने जिनकी कविताएं पढ़ीं हैं वे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जब मूड में होते तो फाग गाते थे. सरकार की नाकामियों पर सवाल उठाती शरद जोशी की लेखनी की आंच जब उनकी अपनी सरकारी नौकरी पर आने लगी तो उन्होने कलम का सिपाही बनना ज्यादा बेहतर समझा और नौकरी छोड़ दी.ये तो हुई इनकी कलम और लेखनी की बात, अगर हिंदी के इन तमाम नामचीन साहित्यकारों का अलहदा रूप आपको दिखाई दे जाए तो क्या कहेंगे आप. कुछ ऐसी ही कोशिश की भोपाल के छायाकार जगदीश कौशल ने. जगदीश संभवत, देश के इकलौते ऐसे छायाकार हैं जिनके पास भारत के तमाम नामचीन साहित्यकारों के दुर्लभ छायाचित्र हैं. हम आपको वही तस्वीरें दिखाते हैं निराली हैं.

unique style of famous writers
साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

मनमौजी निराला और फाग गाती तस्वीर: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए जगदीश कौशल बताते हैं. निराला मनमौजी स्वभाव के थे. एकदम फक्क़ड़ तबीयत. मेरा मन था कि आने वाली पीढ़ी को निराला का वही रुप दिखाऊं. बहुत इंतज़ार किया बड़ी मेहनत लगी, लेकिन वो फोटो आखिर मुझे मिल ही गई. आप कल्पना भी नहीं कर सकते होंगे कि निराला फाग भी गाते थे. वो भी पक्के सुरों में. कभी महफिल जमती तो भोजपुरी गीतों से समां बांध दिया करते थे. फाग गाते निराला जी की ये तस्वीर दुर्लभ है.

unique style of famous writers
साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

हिंदी दिवसः दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा के सम्मान का दिन, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

महादेवी नहीं उन्हें सब देवी कहते थे: जगदीश कौशल की इन तस्वीरों को उतारने के पीछे यही कोशिश थी कि ये तस्वीरें आने वाली पीढियों के लिए इन नामचीन हस्तियों को जानने का झरोखा बन जाएं. वे बताते हैं महादेवी वर्मा जी. जिन्हें सब देवी जी कहते थे. उन्हें पालतू पशुओं का काफी शौक था. तो मैने उन्हीं पालतू पशुओं के साथ उनकी तस्वीर ली थी.

unique style of famous writers
साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

सरकारी मकान में शरद जोशी की क्लिक: कहानीकार और व्यंगकार शरद जोशी से जगदीश का दोस्ताना था. सूचना प्रकाशन विभाग में दोनों साथ ही काम करते थे. भोपाल के नार्थ टीटी नगर इलाके में उनका घर था. मैने उसी घर में उनकी तस्वीरें लीं. ये कैंनडिड फोटोग्राफी नहीं है. बाकायदा पोज़ के साथ ये तस्वीरें ली गई हैं. हांलाकि शरद जोशी बहुत दिन सरकारी नौकरी में नहीं रहे. उनका सरकार के खिलाफ लिखना जब उनकी नौकरी पर संकट बनने लगा तो उन्होने एक झटके में नौकरी छोड़ दी थी.

unique style of famous writers
साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

89 की उम्र में भी जारी है फोटोग्राफी का जुनून: जगदीश कौशल के हाथ में कैमरा अब भी है. जुनून भी वैसा ही. बस उनके लैंस के उस पार की दुनिया बदल गई है. वो कहते हैं लेकिन मुझे फिर भी तसल्ली है कि मैने जिस मकसद से हिंदी की सेवा करने वाले लेखकों, कवियों साहित्यकारों को उनके अलहदा अंदाज में अपने कैमरे में कैद किया, उसका मेरा मकसद पूरा हो गया. ये तस्वीरें आने वाली पीढ़ियों को हिंदी के इन सेवादारों के भावों से परिचित कराती रहेंगी. जगदीश बताते हैं कि मेरा शुरुआत से ये मानना है कि विदेशों में साहित्यकारों के डॉक्यूमेंटेशन को लेकर जितना काम होता है, भारत में उसका आधा भी नहीं होता. देश के नामचीन साहित्यकारों और संगीतकारों की ये तस्वीरे लेकर मैने इस धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश की है.

भोपाल. हिंदीं के महान कवि कथाकारों को कितना जानते हैं आप. 'मैं नीर भरी दुख की बदली' लिखने वाली महादेवी वर्मा जितनी गहरी कविताएँ लिखती थी. रंग और कैनवास से भी उनका उतना ही गहरा जुड़ाव था. हिंदी के पाठ्यक्रम में आपने जिनकी कविताएं पढ़ीं हैं वे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जब मूड में होते तो फाग गाते थे. सरकार की नाकामियों पर सवाल उठाती शरद जोशी की लेखनी की आंच जब उनकी अपनी सरकारी नौकरी पर आने लगी तो उन्होने कलम का सिपाही बनना ज्यादा बेहतर समझा और नौकरी छोड़ दी.ये तो हुई इनकी कलम और लेखनी की बात, अगर हिंदी के इन तमाम नामचीन साहित्यकारों का अलहदा रूप आपको दिखाई दे जाए तो क्या कहेंगे आप. कुछ ऐसी ही कोशिश की भोपाल के छायाकार जगदीश कौशल ने. जगदीश संभवत, देश के इकलौते ऐसे छायाकार हैं जिनके पास भारत के तमाम नामचीन साहित्यकारों के दुर्लभ छायाचित्र हैं. हम आपको वही तस्वीरें दिखाते हैं निराली हैं.

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साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

मनमौजी निराला और फाग गाती तस्वीर: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए जगदीश कौशल बताते हैं. निराला मनमौजी स्वभाव के थे. एकदम फक्क़ड़ तबीयत. मेरा मन था कि आने वाली पीढ़ी को निराला का वही रुप दिखाऊं. बहुत इंतज़ार किया बड़ी मेहनत लगी, लेकिन वो फोटो आखिर मुझे मिल ही गई. आप कल्पना भी नहीं कर सकते होंगे कि निराला फाग भी गाते थे. वो भी पक्के सुरों में. कभी महफिल जमती तो भोजपुरी गीतों से समां बांध दिया करते थे. फाग गाते निराला जी की ये तस्वीर दुर्लभ है.

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साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

हिंदी दिवसः दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा के सम्मान का दिन, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

महादेवी नहीं उन्हें सब देवी कहते थे: जगदीश कौशल की इन तस्वीरों को उतारने के पीछे यही कोशिश थी कि ये तस्वीरें आने वाली पीढियों के लिए इन नामचीन हस्तियों को जानने का झरोखा बन जाएं. वे बताते हैं महादेवी वर्मा जी. जिन्हें सब देवी जी कहते थे. उन्हें पालतू पशुओं का काफी शौक था. तो मैने उन्हीं पालतू पशुओं के साथ उनकी तस्वीर ली थी.

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साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

सरकारी मकान में शरद जोशी की क्लिक: कहानीकार और व्यंगकार शरद जोशी से जगदीश का दोस्ताना था. सूचना प्रकाशन विभाग में दोनों साथ ही काम करते थे. भोपाल के नार्थ टीटी नगर इलाके में उनका घर था. मैने उसी घर में उनकी तस्वीरें लीं. ये कैंनडिड फोटोग्राफी नहीं है. बाकायदा पोज़ के साथ ये तस्वीरें ली गई हैं. हांलाकि शरद जोशी बहुत दिन सरकारी नौकरी में नहीं रहे. उनका सरकार के खिलाफ लिखना जब उनकी नौकरी पर संकट बनने लगा तो उन्होने एक झटके में नौकरी छोड़ दी थी.

unique style of famous writers
साहित्यकारों की दुर्लभ तस्वीरें

89 की उम्र में भी जारी है फोटोग्राफी का जुनून: जगदीश कौशल के हाथ में कैमरा अब भी है. जुनून भी वैसा ही. बस उनके लैंस के उस पार की दुनिया बदल गई है. वो कहते हैं लेकिन मुझे फिर भी तसल्ली है कि मैने जिस मकसद से हिंदी की सेवा करने वाले लेखकों, कवियों साहित्यकारों को उनके अलहदा अंदाज में अपने कैमरे में कैद किया, उसका मेरा मकसद पूरा हो गया. ये तस्वीरें आने वाली पीढ़ियों को हिंदी के इन सेवादारों के भावों से परिचित कराती रहेंगी. जगदीश बताते हैं कि मेरा शुरुआत से ये मानना है कि विदेशों में साहित्यकारों के डॉक्यूमेंटेशन को लेकर जितना काम होता है, भारत में उसका आधा भी नहीं होता. देश के नामचीन साहित्यकारों और संगीतकारों की ये तस्वीरे लेकर मैने इस धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश की है.

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