ETV Bharat / bharat

हिमाचल में अब ड्रग तस्करों पर आकाश से रखेंगे नजर, खरीदे जाएंगे ड्रोन कैमरे - ड्रग्स तस्करों पर एनसीबी की नकेल

हिमाचल में अब ड्रोन कैमरों के जरिये नशे का नाश होगा. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने तीन ड्रोन कैमरे खरीदने को स्वीकृति दे दी है. ड्रोन के माध्यम से भांग और अफीम की दुर्गम इलाकों में फसलों की तस्वीरें खींची जा सकेंगी. इनके आधार पर राज्य पुलिस नशे को नष्ट करने का ऑपरेशन चलाएगी.

ड्रोन कैमरे
ड्रोन कैमरे
author img

By

Published : Nov 3, 2021, 7:47 PM IST

शिमला: हिमाचल को उड़ता पंजाब बनने से बचाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार कई बिंदुओं पर काम कर रही है. पुलिस विभाग की अनुशंसा के बाद नशीले पदार्थों की खेती पर आकाश से नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन ड्रोन कैमरे खरीदने को स्वीकृति दे दी है. जल्द ही धनराशि राज्य पुलिस के पास आ जाएगी. उसके बाद ड्रोन की खरीद होगी, जिनके माध्यम से भांग और अफीम की दुर्गम इलाकों में फसलों की तस्वीरें खींची जा सकेंगी. इनके आधार पर राज्य पुलिस नशे को नष्ट करने का ऑपरेशन चलाएगी. खासतौर पर कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर के ऐसे इलाकों पर नजर रहेगी. इसके अलावा इंटरनेशनल ड्रग स्मगलर्स पर भी पैनी नजर रखी जाएगी.

हिमाचल में नाइजीरिया मूल के कई नागरिक जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, ड्रग तस्करी में पकड़े गए हैं. ऐसे में पुलिस तस्करों की कमर तोड़ने के लिए उनके आर्थिक साम्राज्य पर भी चोट कर रही है. हाल ही में ईडी ने शिमला के कुख्यात ड्रग तस्कर दीप राम ठाकुर की करोड़ों की संपत्ति जब्त की है. नशा तश्करों के खिलाफ अभियान की समीक्षा बैठकों के दौरान पुलिस ने यह पाया कि हिमाचल के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में भांग और अफीम चोरी छिपे उगाई जा रही है. इन इलाकों पर गश्त के जरिए नजर रखना संभव नहीं है.

आलम यह है कि कई बार तो घने जंगलों के बीच कई बीघा जमीन पर अफीम उगाई जाती है, जिसका स्थानीय प्रशासन तो दूर की बात पंचायत स्तर पर भी खबर नहीं लगती है. ऐसे में स्थानीय ड्रग तस्कर अफीम से चरस तैयार करके बेच देते हैं. पुलिस प्रशासन ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि रिमोट एरिया में नशीले पदार्थों की खेती पर नजर रखने के लिए ड्रोन की जरूरत है. उसके बाद राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा. केंद्र की मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही इस प्रोजेक्ट में पुलिस को धनराशि भी मिल जाएगी.

हाई कोर्ट ने दिए हैं सख्त निर्देश
उल्लेखनीय है कि समय-समय पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ड्रग तस्करों के खिलाफ सख्त आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे बड़ी मच्छलियों पर हाथ डालें और केस को इस कदर मजबूत बनाएं कि अदालत में आरोप साबित हो सके. जिससे तस्करों को 25 साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सके. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच अधिकारी के पास दिए गए बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए. हिमाचल हाईकोर्ट ने 9 ड्रग तस्करों को 15 से 25 साल तक की सजा सुनाई है. इसमें एक दोषी तो 70 साल का बुजुर्ग भी है.

दस साल में 6261 मामले दर्ज
हिमाचल प्रदेश में 2009 से 2019 की अवधि में 6261 मामले दर्ज किए गए. तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चला है कि इनमें हर साल इजाफा ही हो रहा है. तस्करी में भारतीयों के अलावा विदेशी मूल के नागरिक भी पहाड़ी राज्य में बड़ी तादाद में सक्रिय हैं. एक दशक के भीतर तस्करी के आरोप में 6175 भारतीय और 124 विदेशी पकड़े गए. कुल दर्ज मामलों में से 35 में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की. वहीं, 347 मामले ऐसे रहे, जिनमें पेंडिंग इंवेस्टीगेशन रही. 5563 केस अदालतों में भेजे गए. इनमें आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. 744 केसों में आरोपितों को सजा हुई.

ये भी पढ़ें: कौल सिंह ठाकुर बोले: मेरी बात चुनावी जुमला थी, नहीं लूंगा संन्यास

शिमला: हिमाचल को उड़ता पंजाब बनने से बचाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार कई बिंदुओं पर काम कर रही है. पुलिस विभाग की अनुशंसा के बाद नशीले पदार्थों की खेती पर आकाश से नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन ड्रोन कैमरे खरीदने को स्वीकृति दे दी है. जल्द ही धनराशि राज्य पुलिस के पास आ जाएगी. उसके बाद ड्रोन की खरीद होगी, जिनके माध्यम से भांग और अफीम की दुर्गम इलाकों में फसलों की तस्वीरें खींची जा सकेंगी. इनके आधार पर राज्य पुलिस नशे को नष्ट करने का ऑपरेशन चलाएगी. खासतौर पर कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर के ऐसे इलाकों पर नजर रहेगी. इसके अलावा इंटरनेशनल ड्रग स्मगलर्स पर भी पैनी नजर रखी जाएगी.

हिमाचल में नाइजीरिया मूल के कई नागरिक जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, ड्रग तस्करी में पकड़े गए हैं. ऐसे में पुलिस तस्करों की कमर तोड़ने के लिए उनके आर्थिक साम्राज्य पर भी चोट कर रही है. हाल ही में ईडी ने शिमला के कुख्यात ड्रग तस्कर दीप राम ठाकुर की करोड़ों की संपत्ति जब्त की है. नशा तश्करों के खिलाफ अभियान की समीक्षा बैठकों के दौरान पुलिस ने यह पाया कि हिमाचल के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में भांग और अफीम चोरी छिपे उगाई जा रही है. इन इलाकों पर गश्त के जरिए नजर रखना संभव नहीं है.

आलम यह है कि कई बार तो घने जंगलों के बीच कई बीघा जमीन पर अफीम उगाई जाती है, जिसका स्थानीय प्रशासन तो दूर की बात पंचायत स्तर पर भी खबर नहीं लगती है. ऐसे में स्थानीय ड्रग तस्कर अफीम से चरस तैयार करके बेच देते हैं. पुलिस प्रशासन ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि रिमोट एरिया में नशीले पदार्थों की खेती पर नजर रखने के लिए ड्रोन की जरूरत है. उसके बाद राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा. केंद्र की मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही इस प्रोजेक्ट में पुलिस को धनराशि भी मिल जाएगी.

हाई कोर्ट ने दिए हैं सख्त निर्देश
उल्लेखनीय है कि समय-समय पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ड्रग तस्करों के खिलाफ सख्त आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे बड़ी मच्छलियों पर हाथ डालें और केस को इस कदर मजबूत बनाएं कि अदालत में आरोप साबित हो सके. जिससे तस्करों को 25 साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सके. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच अधिकारी के पास दिए गए बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए. हिमाचल हाईकोर्ट ने 9 ड्रग तस्करों को 15 से 25 साल तक की सजा सुनाई है. इसमें एक दोषी तो 70 साल का बुजुर्ग भी है.

दस साल में 6261 मामले दर्ज
हिमाचल प्रदेश में 2009 से 2019 की अवधि में 6261 मामले दर्ज किए गए. तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चला है कि इनमें हर साल इजाफा ही हो रहा है. तस्करी में भारतीयों के अलावा विदेशी मूल के नागरिक भी पहाड़ी राज्य में बड़ी तादाद में सक्रिय हैं. एक दशक के भीतर तस्करी के आरोप में 6175 भारतीय और 124 विदेशी पकड़े गए. कुल दर्ज मामलों में से 35 में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की. वहीं, 347 मामले ऐसे रहे, जिनमें पेंडिंग इंवेस्टीगेशन रही. 5563 केस अदालतों में भेजे गए. इनमें आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. 744 केसों में आरोपितों को सजा हुई.

ये भी पढ़ें: कौल सिंह ठाकुर बोले: मेरी बात चुनावी जुमला थी, नहीं लूंगा संन्यास

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.