शिमला/पणजी: हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर पिछले 3 दिन से दिल्ली दौरे पर थे. मंगलवार को उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है. बताया जा रहा है कि उन्होंने हिमाचल से जुड़े मुद्दों पर केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की है, लेकिन इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि गोवा में चल रही सियासी हलचल में भी उनका नाम आ रहा है.
गोवा की सत्ता का रास्ता शिमला से- 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोवा की जंग भी जीती है. जहां पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में है लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी विधायक दो फाड़ नजर आ रहे हैं ऐसे में बीजेपी आलाकमान बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है. माना जा रहा है कि गोवा की सत्ता का रास्ता शिमला से होकर गुजर सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री की रेस में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का नाम भी आ गया है.
गोवा के मुख्यमंत्री की रेस में राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर- दरअसल, गोवा में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. 40 सीटों वाली विधानसभा में 20 सीटें बीजेपी ने जीती हैं. इसके अलावा एमजीपी यानी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो और तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी को समर्थन दिया है. ऐसे में बीजेपी 25 विधायकों के साथ मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. सूत्रों के मुताबिक गोवा के मौजूदा समीकरण के कारण मुख्यमंत्री की दौड़ में आर्लेकर का भी नाम शामिल हो गया है.
जीत के बावजूद बीजेपी की राह आसान नहीं- गोवा में बीजेपी की सरकार बनना तो तय है लेकिन जीत के बाद बीजेपी में दो गुट उभरकर सामने आ गए हैं जिसने पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. गोवा के मुख्यमंत्री प्रेमोद सांवत के अलावा विधायकों का एक गुट विश्वजीत राणे के समर्थन में है. जो गोवा के राज्यपाल से भी मुलाकत कर चुके हैं. राणे पूर्व मुख्यमंत्री और गोवा के दिग्गज नेता प्रताप सिंह राणे के बेटे हैं जो 32 साल से पोरियाम सीट से चुनाव लड़ रहे थे.
राज्यपाल से मुलाकात पर राणे ने साधी चुप्पी-राज्यपाल पिल्लई से मुलाकात के बाद विश्वजीत राणे ने कहा था कि 'यह निजी यात्रा थी मैं उनसे अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों पर चर्चा करना चाहता था. मैंने उनका आशीर्वाद लिया.' इस बैठक को लेकर विश्वजीत राणे ने पूरी तरह चुप्पी साध ली है. साथ ही इस बैठक पर बीजेपी की ओर से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इस बैठक के बाद अटकलें लगने लगीं कि विश्वजीत राणे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं. इसके लिए उन्हें एमजीपी और कुछ भाजपा नेताओं का समर्थन प्राप्त है. पता चला कि भाजपा का यह गुट सत्ता स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.
प्रमोद सावंत बनाम विश्वजीत राणे- बीजेपी की टिकट पर विश्वजीत राणे के साथ-साथ उनकी पत्नी दिव्या राणे भी भारी मतों से विजयी हुए हैं. जबकि सीएम प्रमोद सांवत की जीत का अंतर 1000 वोट से भी कम का रहा. ऐसे में प्रमोद सांवत के अलावा विश्वजीत राणे का नाम मुख्यमंत्री की रेस में उछला और विधायक दो धड़ों में बंट गए हैं.
बीच का रास्ता निकाल सकती है बीजेपी- इस बीच माना जा रहा है कि बीजेपी ना तो राणे समर्थकों को नाराज करना चाहती है और ना ही प्रमोद सावंत के समर्थकों को, इसलिये बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है. सूत्रों के मुताबिक ये बीच का रास्ता शिमला पहुंचता है, जहां गोवा के कद्दावर नेता राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर राज्यपाल की भूमिका निभा रहे हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात ने इस बात को और भी हवा दे दी है.
राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर- गोवा के कद्दावर नेताओं में से एक राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर इस वक्त हिमाचल के राज्यपाल हैं. गोवा सरकार में मंत्री और विधानसभा स्पीकर रह चुके आर्लेकर बचपन में ही संघ से जुड़ गए थे. 1989 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की, जिसके बाद से वो गोवा में संगठन से लेकर सरकार तक में अहम पदों पर रहे. गोवा विधानसभा को पेपरलेस बनाने का क्रेडिट आर्लेकर को ही जाता है.
पहले भी मुख्यमंत्री की रेस में थे आर्लेकर- साल 2014 में गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को जब केंद्रीय रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई तो आर्लेकर का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे था लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने लक्ष्मीकांत पारसेकर को मुख्यमंत्री बना दिया. साल 2015 में मंत्रिमंडल फेरबदल में उन्हें पर्यावरण और वनमंत्री बनाया गया और गोवा विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले उन्हें हिमाचल का राज्यपाल बना दिया गया. जहां उन्होंने बंडारू दत्तात्रेय की जगह ली. संघ की पृष्ठभूमि के कारण वे सत्ता व संगठन के समीकरण भी भली भांति समझते हैं उनकी क्षमता को देखते हुए ही हिमाचल के राज्यपाल बनाया गया था और अब संघ से नजदीकी और सियासी समझ ही उन्हें फिर से गोवा के मुख्यमंत्री की रेस में ले आई है.
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