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मंदसौर गैंगरेप : हाईकोर्ट ने आरोपियों की फांसी की सजा रखी बरकरार,  अपील खारिज

मध्य प्रदेश के मंदसौर में 2018 में सात साल की बच्ची के साथ में गैंगरेप की घटना सामने आई थी. इस मामले में आरोपियों को मंदसौर जिला कोर्ट ने फांसी की सजा से दंडित किया था. आरोपियों ने जिला कोर्ट के आदेश को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने आरोपियों की की फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

आरोपियों फांसी की सजा रखी बरकरार
आरोपियों फांसी की सजा रखी बरकरार
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Published : Sep 10, 2021, 4:40 AM IST

Updated : Sep 10, 2021, 4:57 AM IST

इंदौर: हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदसौर गैंगरेप के आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. दरअसल, जून 2018 में मंदसौर में नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसे जंगल में फेक दिया था.

मामला उजागर होने के साथ ही बच्ची का इंदौर में ईलाज कराया गया. आठ दिनों में मंदसौर जिला कोर्ट ने आरोपी इरफान और आसिफ को फांसी की सजा सुनाई थी. सजा माफी के लिए आरोपियों ने हाई कोर्ट इंदौर में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

पुष्यमित्र भार्गव, अतिरिक्त महाधिवक्ता

कोर्ट ने पुलिस की दलिलों को सुनते हुए माना है कि आरोपियों ने बड़े ही विभत्स तरीके से पीड़िता के साथ पहले गैंगरेप किया और उसे घायल हालत अवस्था में जंगल में फेक कर भा गए. इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस मानते हुए हाई कोर्ट ने आरोपियों को किसी भी तरह की राहत नहीं दी है.

यह भी पढ़ें- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : शादीशुदा होकर भी किसी अन्य के साथ संबंध में रहना अपराध नहीं

कोर्ट ने कई दलीलों को किया खारिज
इंदौर हाई कोर्ट में आरोपियों के वकीलों ने कई तरह के तर्क प्रस्तुत किए थे. लेकिन कोर्ट ने विभिन्न तर्कों को दरकिनार करते हुए फांसी की सजा को यथावत रखा है. इसके साथ ही कोर्ट ने इसे काफी रेयर केस भी माना है. उसी को देखते हुए मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिस तरह से विभिन्न पक्षों को सुना और फांसी की सजा को बरकरार रखा.

इंदौर: हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदसौर गैंगरेप के आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. दरअसल, जून 2018 में मंदसौर में नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसे जंगल में फेक दिया था.

मामला उजागर होने के साथ ही बच्ची का इंदौर में ईलाज कराया गया. आठ दिनों में मंदसौर जिला कोर्ट ने आरोपी इरफान और आसिफ को फांसी की सजा सुनाई थी. सजा माफी के लिए आरोपियों ने हाई कोर्ट इंदौर में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

पुष्यमित्र भार्गव, अतिरिक्त महाधिवक्ता

कोर्ट ने पुलिस की दलिलों को सुनते हुए माना है कि आरोपियों ने बड़े ही विभत्स तरीके से पीड़िता के साथ पहले गैंगरेप किया और उसे घायल हालत अवस्था में जंगल में फेक कर भा गए. इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस मानते हुए हाई कोर्ट ने आरोपियों को किसी भी तरह की राहत नहीं दी है.

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कोर्ट ने कई दलीलों को किया खारिज
इंदौर हाई कोर्ट में आरोपियों के वकीलों ने कई तरह के तर्क प्रस्तुत किए थे. लेकिन कोर्ट ने विभिन्न तर्कों को दरकिनार करते हुए फांसी की सजा को यथावत रखा है. इसके साथ ही कोर्ट ने इसे काफी रेयर केस भी माना है. उसी को देखते हुए मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिस तरह से विभिन्न पक्षों को सुना और फांसी की सजा को बरकरार रखा.

Last Updated : Sep 10, 2021, 4:57 AM IST
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