बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शहर के दूरवानी नगर से केम्पापुरा तक मेट्रो लाइन के लिए 203 पेड़ों को काटने और 45 पेड़ों को स्थानांतरित करने की अनुमति दी है. मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बालचंद्र वराले और एमजेएस कमल की पीठ ने टी दत्तात्रेय देवा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अनुमति दी.
जिन क्षेत्रों में मेट्रो का काम चल रहा है, उनके आसपास के क्षेत्रों में छोटे पेड़ पौधे लगाने के निर्देश देने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि शहरी क्षेत्र में इस प्रकार के जंगल के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. सुनवाई के दौरान बीएमआरसीएल के वकील ने कहा कि मेट्रो रेल परियोजना जनहित से जुड़ा है. किन्हीं कारणों से काम में देरी हुई. अगर इसमें फिर से देरी हुई तो यह जनता के लिए बड़ी समस्या होगी. इसलिए उन्होंने पीठ को समझाया कि काम की गति बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
मेट्रो परियोजना बहुत कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है. परियोजना से लोगों की यात्रा समय में बचत होगी. यह सड़कों पर यातायात के दबाव को कम करेगा और वाहनों की सुगम आवाजाही में मदद करेगा. साथ ही यह आर्थिक रूप से लाभकारी है. इन दलीलों के साथ उन्होंने अनुरोध किया कि इस परियोजना के लिए आवश्यक पेड़ों को हटाने की अनुमति दी जाए. अधिकारियों को मेट्रो कार्यों के लिए पेड़ों को हटाने के लिए निरीक्षण करना है. एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि बेवजह पेड़ों को हटाने पर रोक लगाई जाए. इस याचिका पर सुनवाई करने वाली अदालत ने एक वैध कारण दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ फैसला सुनाया.