नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर पीसी तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता और एनटीपीसी से ब्लास्टिंग व निर्माण की समस्या को लेकर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) को जोशीमठ जाने के निर्देश दिए हैं. NDMA उसपर अपना सुझाव सरकार को देगी और सरकार सुझाव कोर्ट में पेश करेगी. मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.
दरअसल, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम यानी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) की तरफ से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा गया है कि उन्हें जोशीमठ में निर्माण कार्य और ब्लास्ट करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उनकी परियोजना जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर है. वहीं, इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता पीसी तिवारी की ओर से कहा गया कि इनकी परियोजना डेढ़ किलोमीटर दूरी पर है इसलिए इन्हें ब्लास्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसके साथ ही जनहित याचिका में कहा गया है कि जोशीमठ में आई दरारें का कारण टनल निर्माण है, और इसपर रोक लगाने की मांग की गई है. इसपर कोर्ट ने दोनों से एनडीएमए के पास जाने को कहा है.
गौर हो कि, अल्मोड़ा निवासी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष व चिपको आंदोलन के सदस्य पीसी तिवारी ने 2021 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं. सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है, जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दे.
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वहीं, उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती. हाइड्रो प्रोजेक्ट टीम के कर्मचारियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. कर्मचारियों को केवल सुरक्षा के नाम पर हेलमेट दिए हैं और कर्मचारियों को आपदा से लड़ने के लिए कोई ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है. साथ ही कर्मचारियों के पास कोई उपकरण भी मौजूद नहीं हैं.
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