नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय ने दोहराया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय बढ़ रहा है लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा व्यय (NHA) के अनुमान के मुताबिक इसमें पर्याप्त कमी आई है. इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार का वर्तमान स्वास्थ्य व्यय 2013-14 और 2017-18 के बीच में लगातार बढ़ा है लेकिन अनुमान के हिसाब से इसमें 2018-19 में कमी आई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि एनएचए देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए व्यय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है. ऐसे में ये अनुमान महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे न केवल देश की मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली का प्रतिबिंब है बल्कि सरकार को विभिन्न स्वास्थ्य वित्त पोषण में हुई प्रगति की निगरानी करने में सक्षम बनाते हैं. मंत्रालय ने एनएचए में विशेष रूप से जेब खर्च में कमी के दावे में अशुद्धि दिखाने वाली मीडिया रिपोर्टों का भी खंडन किया. मंत्रालय ने स्पष्ट किया, इस तरह की आलोचना उनके विशिष्ट तर्कों को आगे बढ़ाने के लिए त्रुटिपूर्ण जुड़ाव और डेटा के चयनात्मक चयन पर आधारित है.
हाल के एनएचए अनुमानों पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि ये जेब से खर्च (OOPE) में पर्याप्त कमी दर्शाता है. वहीं मंत्रालय ने कहा, इस डेटा को एक निजी भारतीय विश्वविद्यालय में काम कर रहे स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के एक विशेषज्ञ द्वारा एक मृगतृष्णा और मीडिया के कुछ वर्ग में काफी बताया गया है.
मंत्रालय ने कहा कि ओओपीई के लिए सूचना का मुख्य स्रोत 2017-18 के एनएसओ डेटा पर आधारित था जबकि पिछले अनुमान 2014 पर आधारित थे. मंत्रालय ने कहा, 71वें और 75वें दौर के दोनों सर्वेक्षणों में घरों के चयन के लिए एक ही नमूने के डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है ताकि यह दोनों दौरों की तुलना सुनिश्चित कर सके.
एनएसएस के अनुसार, पिछले 15 दिनों में चिकित्सा सलाह लेने वालों में सरकारी सुविधाओं के उपयोग में लगभग 5 फीसदी की वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने कहा है कि अस्पताल में भर्ती होने के मामले के अलावा यह वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 4 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 3 फीसदी है. इसी प्रकार बच्चे के जन्म के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी सुविधाओं की हिस्सेदारी में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है. वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इसी प्रकार अस्पताल में भर्ती के लिए सरकार सुविधाओं में औसत चिकित्सा व्यय में भी 20 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. मंत्रालय ने कहा कि संस्थागत प्रसव के मामले में शहरी क्षेत्रों में 9 फीसदी और कुल क्षेत्रों में 16 फीसदी की गिरावट आई है. मंत्रालय ने कहा है कि अगर हम जीडीपी के हिस्से के आधार पर मौजूदा स्वास्थ्य व्यय को देखें, तो 2013-14 और 2017-18 से लगातार वृद्धि हुई है. जीडीपी के हिस्से के रूप में, यह उसी अवधि के लिए 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.
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