नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने मास्टरप्लान 2021 को चुनौती देने वाली नेशनल हॉकर्स फेडरेशन की याचिका पर बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नोटिस जारी किया.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इस याचिका पर डीडीए को नोटिस जारी किया. याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली मास्टर प्लान-2021 बनाने के दौरान पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 को संज्ञान में नहीं लिया गया.
याचिकाकर्ता ने देश के पथ विक्रेताओं के संघ और 1,188 संघों का प्रतिनिधि होने का दावा करते हुए कहा कि पथ विक्रेता अधिनियम 2014 का व्यापक उद्देश्य शहरी क्षेत्र में रेहड़ी पटरी लगाने वालों के अनुकूल वातावरण बनाना है ताकि सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर स्वच्छता कायम रखते हुए और भीड़ को नियंत्रित करते हुए रेहड़ी वाले अपना काम कर सकें.
याचिकाकर्ता ने कहा, हालांकि, मास्टर प्लान 2021- जिसे वर्ष 2007 में मंजूरी दी गई- में 'गलत तरीके से' उन प्रावधानों को रखा गया जो पथ विक्रेता अधिनियम के तहत रेहड़ी वालों के तय नियमों को प्रतिबिंबित नहीं करता.
अधिवक्ता कवलप्रीत कौर के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि मास्टर प्लान के तहत 'अनौपचारिक क्षेत्र' का हिस्सा 'मनमाना है' और इसमें पथ विक्रेता अधिनियम का जिक्र नहीं है जिसमें पथ बिक्री और कस्बा पथ बिक्री समिति का गठन करने का प्रावधान है.
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याचिका के अनुसार पथ विक्रेता राज्य की अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा हैं. शहरी गरीबों के लिये गरिमापूर्ण आजीविका की व्यवस्था करने में सरकार के विफल रहने की वजह से अधिकांश लोग सड़कों पर अपना कारोबार करके जीविकोपार्जन के लिए बाध्य हैं. अदालत अब इस मामले में अगले साल 12 जनवरी को सुनवाई करेगी.
(पीटीआई-भाषा)