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क्या हमने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के वादे काे पूरा किया, जानें क्या है स्थिति

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Published : May 1, 2021, 1:06 PM IST

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी. तब से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों ने मजदूराें की स्थिति में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है.

मजदूर दिवस
मजदूर दिवस

हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी. तब से विभिन्न देशाें ने अपने-अपने स्तर पर मजदूराें की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किए हैं.

एक रिपाेर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत से जर्मनी ने अपने वार्षिक कार्य के घंटों में अनुमानित 60% की कटौती की है, जबकि ब्रिटेन में लगभग 40% की कमी देखी गई है.

आपकाे बता दें कि इसके बाद से कई देशों में बाल श्रम कम हो गया है और सामान्य तौर पर देखा जाए ताे श्रमिकों की परिस्थितियों में व्यापक सुधार हुआ है. स्वीडन की बात करें ताे यहां अब माता-पिता 480 दिनों का (पेड लीव) भुगतान छुट्टी ले सकते हैं.

वहीं ऑस्ट्रिया में प्रत्येक 25 नौकरियों में से कम से कम एक नाैकरी पर किसी शारीरिक रूप से असक्षम श्रमिक काे रखना जरूरी है, जबकि जर्मनी ने अगले वर्ष से अपने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की योजना बनाई है.

जबकि डेनमार्क में नियोक्ताओं को कानूनी रूप से कर्मचारियों को यूनियन में शामिल होने से रोकने की अनुमति नहीं है.

विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के बाद कुछ चीजें हैं जाे कार्यबल को पुनर्प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं, जिनमें प्रशिक्षण और कौशल विकास, विशिष्ट व्यवसाय से संबंधित प्रशिक्षण आदि शामिल हैं.

हाल ही में आये ब्रिटेन की एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के श्रम बाजार में नस्लीय और जातीय असमानताएं कम हो रही हैं, लेकिन इस विश्लेषण के अनुसार, पिछली तिमाही में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी श्रमिकों की स्थिति में बहुत कम बदलाव हुए हैं. (एलएसई).

2013 में बांग्लादेश में राणा प्लाजा परिधान कारखाने के पतन के बाद देश में मजदूराें की स्थिति बेहतर हुई है.

हाल के सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, अधिकांश अमेरिकियों का कहना है कि यूनियन में अमेरिकी श्रमिकों की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है, जो देश के लिए 'बहुत' खराब है.

पिछले साल प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय महिलाएं घरेलू कामाें में पुरुषों की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा समय बिताती हैं. इस विश्लेषण के अनुसार, अब इन महिलाओं को इसका भुगतान करने का समय आ गया है. (इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू).

पिछले साल टर्की में 29 अप्रैल से लॉकडाउन शुरू हुआ था. इस दाैरान स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करने हुए 70% कार्यबल से काम चलाया जा रहा था.

इसे भी पढ़ें : जानें, श्रम दिवस मनाने के चार बड़े कारण

हाल के शोध यह भी बताते हैं कि, दूरदराज के श्रमिक अपने दूसरे साथियों की तुलना में 7% से अधिक खर्च आवास या किराये पर घर लेने में करते हैं.

हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी. तब से विभिन्न देशाें ने अपने-अपने स्तर पर मजदूराें की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किए हैं.

एक रिपाेर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत से जर्मनी ने अपने वार्षिक कार्य के घंटों में अनुमानित 60% की कटौती की है, जबकि ब्रिटेन में लगभग 40% की कमी देखी गई है.

आपकाे बता दें कि इसके बाद से कई देशों में बाल श्रम कम हो गया है और सामान्य तौर पर देखा जाए ताे श्रमिकों की परिस्थितियों में व्यापक सुधार हुआ है. स्वीडन की बात करें ताे यहां अब माता-पिता 480 दिनों का (पेड लीव) भुगतान छुट्टी ले सकते हैं.

वहीं ऑस्ट्रिया में प्रत्येक 25 नौकरियों में से कम से कम एक नाैकरी पर किसी शारीरिक रूप से असक्षम श्रमिक काे रखना जरूरी है, जबकि जर्मनी ने अगले वर्ष से अपने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की योजना बनाई है.

जबकि डेनमार्क में नियोक्ताओं को कानूनी रूप से कर्मचारियों को यूनियन में शामिल होने से रोकने की अनुमति नहीं है.

विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के बाद कुछ चीजें हैं जाे कार्यबल को पुनर्प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं, जिनमें प्रशिक्षण और कौशल विकास, विशिष्ट व्यवसाय से संबंधित प्रशिक्षण आदि शामिल हैं.

हाल ही में आये ब्रिटेन की एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के श्रम बाजार में नस्लीय और जातीय असमानताएं कम हो रही हैं, लेकिन इस विश्लेषण के अनुसार, पिछली तिमाही में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी श्रमिकों की स्थिति में बहुत कम बदलाव हुए हैं. (एलएसई).

2013 में बांग्लादेश में राणा प्लाजा परिधान कारखाने के पतन के बाद देश में मजदूराें की स्थिति बेहतर हुई है.

हाल के सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, अधिकांश अमेरिकियों का कहना है कि यूनियन में अमेरिकी श्रमिकों की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है, जो देश के लिए 'बहुत' खराब है.

पिछले साल प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय महिलाएं घरेलू कामाें में पुरुषों की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा समय बिताती हैं. इस विश्लेषण के अनुसार, अब इन महिलाओं को इसका भुगतान करने का समय आ गया है. (इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू).

पिछले साल टर्की में 29 अप्रैल से लॉकडाउन शुरू हुआ था. इस दाैरान स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करने हुए 70% कार्यबल से काम चलाया जा रहा था.

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हाल के शोध यह भी बताते हैं कि, दूरदराज के श्रमिक अपने दूसरे साथियों की तुलना में 7% से अधिक खर्च आवास या किराये पर घर लेने में करते हैं.

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