गुरुग्राम: हरियाणा के खिलाड़ी ना केवल देश बल्कि दुनिया में भारत का परचम फहरा रहे हैं. इस बार फिर हरियाणा की दादी पोती ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि 60 साल की दादी और 13 साल की पोती ने दुबई में इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में मेडल जीतकर हरियाणा का एक बार फिर डंका बजा दिया है. दरअसल, यह कहानी है बढ़ती उम्र को झुठलाने की. जी हां, यह कहानी है उस दादी की जो अपनी पोती के सपनों को पूरा करना चाहती थी और करके भी दिखाया है.
दादी-पोती बनी चैंपियन: इस कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट ये है कि अपनी पोती के सपने को भुनाने के साथ-साथ उन्होंने खुद के लिए भी आसमां चुन लिया. 60 साल की गीता गोदारा जब 30 अप्रैल को दुबई इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में उज्बेकिस्तान की खिलाड़ी को किक मार रही थी, तो उनकी 13 साल की पोती आशका गोदारा तालियां बजा रही थी. गीता ने इस प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता. थोड़ी देर बाद आशका गोदारा ने भी इस प्रतियोगिता में 1 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया. अब दादी पोती के चर्चे न सिर्फ हरियाणा में बल्कि देश विदेश में भी हो रहे हैं.
दादी-पोती की दमदार जोड़ी: दरअसल 2 साल पहले गीता गोदारा अपनी 13 साल की पोती को लेकर एक कराटे एकेडमी गई थी. ताकि उनकी पोती कराटे सीख सके. लेकिन, उस वक्त उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि वह अपनी पोती के साथ-साथ एक दिन देश के लिए पदक जीतकर लाएगी. गुरुग्राम के सेक्टर-5 में रहने वाली गीता और उनकी पोती ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो वाक्य में ही अपने आप में दूसरे लोगों को प्रेरणा देने लायक है.
मेहनत रंग लाई: दादी पोती की ये कमाल की बॉन्डिंग और 2 साल की प्रैक्टिस ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसे दादी और पोती आज मेडलिस्ट बन गई. दादी-पोती हर रोज केवल 2 घंटे प्रैक्टिस करते थे और इस 2 घंटे की प्रैक्टिस से दादी-पोती दोनों पार्टनर की ऐसी बॉन्डिंग बन गई, जिससे आज दादी-पोती दोनों विदेशी धरती से गोल्ड मेडल जीत कर लाए.
22 देशों के 2500 खिलाडियों ने दिखाई प्रतिभा: दरअसल, दुबई में हुई इस प्रतियोगिता में 22 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया. जिसमें भूटान, बांग्लादेश पाकिस्तान, नेपाल, इरान, जापान, इंडोनेशिया, रूस, मलेशिया, श्रीलंका समेत कई देश आए थे. प्रतियोगिता में 2500 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. वहीं, 60 की उम्र में मेडल जीतकर दादी ने अपनी पोती का सपना तो पूरा किया. साथ ही उन युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरणा दी है जो अपना सपना पूरा करना चाहते हैं. देश के लिए मेडल जीतकर लाना चाहते हैं. अगर खिलाड़ी मन से मेहनत करें और किसी मुकाम को पाने की कोशिश करें तो वह जरूर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता है.