चंडीगढ़: नूंह हिंसा मामले में फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक मामन खान की याचिका पर 14 सितंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामन खान को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने कानूनी विकल्प तलाश करने के लिए कहा है. हाई कोर्ट ने मामन खान को निचली अदालत में जाने के लिए कहा. वहीं सरकार से नूंह हिंसा मामले की जांच के बारे में जानकारी मांगी है.
विधायक क्यों गए कोर्ट ?: कानून के जानकारों के अनुसार हरियाणा के नूंह में बृज मंडल यात्रा के दारौन हिंसा हुई थी.31 जुलाई को हुई हिंसा की जांच हरियाणा एसआईटी कर रही है. नूंह हिंसा को लेकर एसआईटी विधायक से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए दो बार विधायक को नोटिस दिया जा चुका है. विधायक दोनों बार एसआईटी के सामने पेश नहीं हुए हैं. विधायक को इस बात की संभावना लग रही है कि पूछताछ के बाद उन पर कार्रवाई हो सकती है.
कोर्ट में क्या हुआ ? : मामन खान द्वारा प्रोटेक्शन को लेकर की गई अपील को कोर्ट ने खारिज किया. सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए वकील एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक संभरवाल ने कहा कि नूंह हिंसा में जो आरोपी पकड़े गए हैं. उन्होंने जांच के दौरान पुलिस के सामने मामन खान का नाम लिया है. याचिका में मामन खान ने जो कहा है कि वह 26 जुलाई से लेकर एक अगस्त तक नूंह में मौजूद नहीं थे. वह सरासर झूठ है क्योंकि हमारे पास जो सबूत है. जैसे टावर लोकेशन, व्हाट्सऐप चैट, उससे साफ पता चलता है कि वह नूंह में ही मौजूद थे. सुनवाई में बहस के बाद कोर्ट ने मामन खान कानूनी विकल्प तलाश करने के लिए कहा है. वहीं मामन खान के वकीलों ने आरोपों को सिरे से खारिज किया . वहीं सरकार का कहना है कि विधायक नूंह में जहां घटना हुई, उससे डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर थे. नूंह हिंसा मामले की पूरी जांच नूंह एसपी की अध्यक्षता में बनाई गई एसआईटी द्वारा की जा रही है. अब इस एसआईटी की वीकली रिपोर्ट की जांच साउथ रेंज रेवाड़ी के आईजी भी करेंगे.
19 सितंबर को अगली सुनवाई: वहीं, अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी. इसमें हरियाणा सरकार को बताना होगा कि नूंह हिंसा की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की देख रेख में हो रही है या नहीं. मामन खान ने याचिका में मांग की थी कि एसआईटी को स्थानांतरित कर दिया जाए. मामन खान ने कोर्ट में अनुरोध किया है कि हरियाणा पुलिस को कोर्ट निर्देश दे कि वह जांच लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें.
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