चंडीगढ़: तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली सफलता के बाद देशभर में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता उत्साहित हैं. वहीं, हरियाणा की बात करें तो अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन, अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाई जाने की भी चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं. इसकी वजह बीजेपी को तीन राज्यों में मिली सफलता को माना जा रहा है.
'BJP लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के लिए तैयार': हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल तीन राज्यों में बीजेपी को मिली सफलता के बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव अगर हरियाणा में एक साथ होते हैं तो इसके पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं. मनोहर लाल का कहना है कि हम हर बात के लिए तैयार हैं. वे कहते हैं कि देशभर में एक मुहिम चलाई गई है कि लोकसभा सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हों, लेकिन ऐसा करने के लिए बहुत सारे काम पहले किए जाने जरूरी हैं. सीएम ने कहा कि हमारा विधानसभा का चुनाव लोकसभा चुनाव के कुछ समय बाद है. ऐसे में अगर केंद्रीय नेतृत्व और चुनाव आयोग इन दोनों चुनाव को एक साथ करवाएंगे तो हम भी तैयार हैं.
यानी तीन राज्यों में मिली सफलता के बाद बीजेपी हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने के मूड में दिखाई दे रही है. क्या विपक्षी पार्टियों भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाई जाने के लिए तैयार हैं? क्या वे भी चाहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही हों? क्या बीजेपी तीन राज्यों में मिली जीत का ऐसा करके लाभ लेना चाह रही है?
बीजेपी को हरियाणा में कुछ नही मिलने वाला- सुशील गुप्ता: लोकसभा और विधानसभा चुनाव के एक साथ होने की चर्चाओं को लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और हरियाणा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता कहते हैं कि सीएम मनोहर लाल की इच्छा तो यही है कि उनकी जमानत जब्त होने वाली है. वे तो चाहते हैं कि चुनाव एक साथ हो जाए मोदी के नाम पर कुछ मिल जाए. लेकिन, यह एक साथ चुनाव करवाए या अलग-अलग करवा इनको हरियाणा में कुछ मिलने वाला नहीं है. हरियाणा की जनता हरियाणा के लाल अरविंद केजरीवाल को चाहती है. दिल्ली और पंजाब की तरह हरियाणा की जनता अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य सेवाओं, 24 घंटे सस्ती बिजली और फ्री पानी देने वाली सरकार चाहती है.
एक साथ चुनाव के लिए तैयार है इनेलो- सतबीर सैनी: इसको लेकर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रवक्ता सतबीर सैनी कहते हैं कि इंडियन नेशनल लोकदल लगातार फील्ड में काम कर रही है. एक साल से तो हमारी परिवर्तन पदयात्रा भी चल रही है और उसके बाद रथ यात्रा भी जारी है. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे तो हमें कोई एतराज नहीं है. क्योंकि हम तो लगातार फील्ड में काम कर रहे हैं, लेकिन मुझे उम्मीद नहीं है कि यह ऐसा करेंगे, यह सिर्फ गुगली फेंकने का काम करते हैं. लेकिन, सरकार में हिम्मत नहीं है कि वह इन दोनों चुनाव को एक साथ करवाएं.
सतबीर सैनी कहते हैं कि जहां तक बात तीन राज्यों में हुए चुनावों की है, उसमें बीजेपी की जीत के कई अन्य कारण है. इन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला था तो उसमें कांग्रेस की आपसी फूट और कई अन्य वजह कांग्रेस की हार रही है. वे कहते हैं कि इन चुनावी नतीजे में ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि कोई बीजेपी की लहर रही हो. बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले जो वोट प्रतिशत मिला है, उसमें बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए इन्हें लोग पूरी तरह से तैयार है.
इनेलो का सरकार पर आरोप: इनेलो प्रवक्ता के अनुसार यह सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है, चाहे महिला सुरक्षा की बात हो, चाहे नशे की बात हो चाहे बेरोजगारी की बात हो, चाहे भ्रष्टाचार की बात हो. वे कहते हैं कि इन मुद्दों पर प्रदेश सरकार कहीं टिक नहीं पाएगी. हालांकि यह मानते हैं कि जिन तीन राज्यों में बीजेपी जीती है वहां पर कोई लहर वाली बात थी. वे कहते हैं कि कांग्रेस की आपसी फीट इन राज्यों में चुनावी हार की वजह बनी और हरियाणा में भी कांग्रेस की फुट की वजह से ही लोग इनेलो को विकल्प के तौर पर देख रहे हैं.
मोदी के नाम पर खुद को बचाने का प्रयास, कांग्रेस तैयार- केवल ढींगरा: इधर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि अगर बीजेपी हरियाणा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव करवाना चाहती है तो वह करवा लें. कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से इसके लिए तैयार है. कांग्रेस लगातार पिछले दो सालों से जनता के बीच में इस सरकार की जन विरोधी नीतियों को लेकर अपनी आवाज उठा रही है. वे कहते हैं कि हरियाणा की जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली है. वर्तमान सरकार की कारगुजारियों से हरियाणा की जनता परेशान है. वह इन्हें दोबारा सत्ता में लाने वाली नहीं है. वे कहते हैं कि हरियाणा की भाजपा सरकार मोदी की आड़ में खुद को बचाने का प्रयास कितना भी कर ले, लेकिन हरियाणा की जनता इनके बहकावे में नहीं आएगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि भले ही मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए सरकार के तैयार होने की बात कही हो. लेकिन, उन्हें नहीं लगता है कि सरकार दोनों चुनाव एक साथ करवाएगी. वह कहते हैं कि भले ही तीन राज्यों के चुनावी नतीजे से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उत्साहित हो. लेकिन, हरियाणा में एक साथ चुनाव होने की संभावनाएं बहुत कम है.
इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि पहले तो यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि हर चुनाव अलग होता है. क्योंकि नतीजे अक्सर बदलते रहते हैं. इसके लिए वे भारतीय क्रिकेट टीम का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि भारत सेमीफाइनल तक एक भी मैच नहीं हारा, लेकिन फाइनल हार गया. वह कहते हैं कि इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि राजनीति में जो परसेप्शन है, बीजेपी के कार्यकर्ताओं का मनोबल इस वक्त ऊंचा है. वे कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि एग्जिट पोल नतीजे कुछ दिखा रहे थे, लेकिन जब असल नतीजे सामने आए तो वह लैंडस्लाइड विक्ट्री की तरफ दिखाई दिए.
वह कहते हैं कि राजस्थान हरियाणा से सटा हुआ है. इससे निश्चित तौर पर वहां मिली जीत से हरियाणा के बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. वहीं कांग्रेस की जो स्थिति हुई है उससे उनके भी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ा है. वे कहते हैं कि उत्तर भारत में सिर्फ हिमाचल प्रदेश और दक्षिण भारत में कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी है. वही, हरियाणा में भी मुकाबला जो दिखाई देता है वह कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिखाई देता है. उस स्थिति में कांग्रेस के हौसले पस्त और बीजेपी वाले मस्त है.
वह कहते हैं कि हो सकता है मौजूदा सरकार मोदी जी की हैट्रिक के साथ अपनी भी हैट्रिक लगाना चाह रही हो. ऐसे में हो सकता है कि वह ऐसा भी करें. वे कहते हैं कि तात्कालिक तौर पर बीजेपी को इसका फायदा हो सकता है. लेकिन, वह कहते हैं कि यह राजनीति है दो-चार महीना में क्या ऐसा हो जाए या कौन सा घटनाक्रम घट जाए, जिससे हालात बदल जाए, उसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते.
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