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यमुना में बाढ़ नियंत्रण में कोताही बरतने पर CM मनोहर लाल का बड़ा एक्शन, चीफ इंजीनियर सस्पेंड, SE और XEN को किया गया चार्जशीट

यमुना में बाढ़ नियंत्रण में कोताही बरतने के मामले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने बड़ा एक्शन लिया है. बाढ़ नियंत्रण में कोताही बरतने पर हरियाणा सरकार ने चीफ इंजीनियर संदीप तनेजा को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही इस मामले में SE और XEN को भी चार्जशीट किया गया है. क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (Haryana government suspended chief engineer)

Haryana government suspended chief engineer
यमुना में बाढ़ नियंत्रण में कोताही बरतने पर हरियाणा सरकार की कार्रवाई
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Published : Aug 9, 2023, 2:28 PM IST

Updated : Aug 9, 2023, 8:56 PM IST

चंडीगढ़: पिछले दिनों भारी बारिश के कारण कई राज्य बाढ़ से प्रभावित हुए. वहीं, बाढ़ के बीच राजनीति में जमकर हुई. दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बढ़ के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया. इसको लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा था. इसी बीच मीडिया में यह खबर आई कि बाढ़ के दौरान दिल्ली में आईटीओ बैराज के 4 गेट नहीं खोले गए थे. खबर सामने आने के बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए फाइंडिंग फैक्ट कमेटी गठित कर दी. अब इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद चीफ इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिरी है.

ये भी पढ़ें: Flood In Haryana: ITO बैराज पर 4 गेट नहीं खुलने की रिपोर्ट पर CM ने लिया संज्ञान, जांच के लिए फाइंडिंग फैक्ट कमेटी गठित

यमुना बैराज पर तैनात SDO को किया चार्जशीट: यमुना में बाढ़ नियंत्रण में लापरवाही को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल एक्शन में आ गए हैं. दिल्ली में ITO यमुना बैराज के बाढ़ के दौरान 4 गेट नहीं खोले जाने पर मनोहर लाल ने चीफ इंजीनियर संदीप तनेजा को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही SE तरुण अग्रवाल और XEN मनोज कुमार को चार्जशीट करने के आदेश जारी किए हैं. यमुना बैरोज पर तैनात SDO मुकेश वर्मा को भी अंडर रूल 7 के तहत चार्जशीट किया गया है.

हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही आई सामने: दिल्ली में ITO के पास बैराज के 32 में से 4 गेट नहीं खुलने के खुलासे से दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाए थे. इसके बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने पूरे मामले की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी. कमेटी में जांच के लिए सिंचाई विभाग के 2 चीफ इंजीनियर को शामिल किया गया था. सीएम मनोहर लाल ने 48 घंटे में इसकी जांच कर रिपोर्ट तलब की थी. अब इस मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है. इसमें हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों की तरफ से बड़ी लापरवाही सामने आई है.

ये भी पढ़ें: बाढ़ पर हो रही राजनीति पर बोले CM मनोहर लाल- दिल्ली सरकार को नहीं सौंपेंगे आईटीओ बैराज, SYL को लेकर कही बड़ी बात

जांच में खुलासा: बैराज के गेट नहीं खुलने के मामले में जब जांच की गई तो, सामने आया कि गेट लगभग 12 फीट गहरे बाढ़ के पानी में डूबे हुए थे और लगभग 12 से 13 फीट की गहराई तक गाद से भरे हुए थे. इन गेटों को केवल तभी उठाया जा सकता है, जब इनके चारों ओर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों ओर से गाद को विशेष तकनीक से हटा दिया जाए.

क्या कहती है जांच रिपोर्ट: रिपोर्ट में बताया गया है कि बैराज गेट संचालन में 2020 के बाद कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है. मानसून में भी गेज रजिस्टर बनाकर नहीं रखा जाता है. यह भी सामने आया है की यहां का प्रबंधन देखने वाले अधिकारियों ने बाढ़ प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा के लिए मानसून से पहले कोई बैठक आयोजित नहीं की और न ही इसकी सूचना मुख्यालय को दी.

रिंग रोड तक कैसे पहुंचा पानी: रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष भी, अधीक्षण अभियंता, एफसी-एक, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली ने अपने पत्र दिनांक 06.07.2022 के माध्यम से यमुना (आईटीओ) बैराज के गेट बंद करने के संबंध में लापरवाही की सूचना दी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि उस समय संचालन के लिए कोई बिजली कनेक्शन उपलब्ध नहीं था. मुख्य रूप से दिल्ली में बाढ़ अधिक अतिक्रमण के कारण आई. जिसके कारण पानी रिंग रोड तक चला गया. नदी के आसपास अत्यधिक और अनियोजित निर्माण से यमुना का प्रवाह बाधित हो रहा है.

ये भी पढ़ें: बाढ़ पर हो रही राजनीति पर बोले CM मनोहर लाल- दिल्ली सरकार को नहीं सौंपेंगे आईटीओ बैराज, SYL को लेकर कही बड़ी बात

पिछला रिकॉर्ड भी जांचा: रिपोर्ट के अनुसार शुष्क मौसम के दौरान नदी का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है. विभिन्न नालों के माध्यम से प्रदूषित पानी को नदी में छोड़ने से गाद जमा हो जाती है. नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है. ऐसे में दिल्ली को गेट नंबर 28 से 32 के सामने रेतीले बेला द्वीप को हटा देना चाहिए. ताकि इन गेटों पर बाढ़ के पानी का प्रवाह हो सके. रिपोर्ट के अनुसार दशकों से यमुना के प्राकृतिक बाढ़ आउटलेट पर व्यवस्थित रूप से अतिक्रमण किया गया है. दिल्ली में बाढ़ के कारण मैदानों को खाली जगह मानकर बड़ी गलती की गई है.

चंडीगढ़: पिछले दिनों भारी बारिश के कारण कई राज्य बाढ़ से प्रभावित हुए. वहीं, बाढ़ के बीच राजनीति में जमकर हुई. दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बढ़ के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया. इसको लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा था. इसी बीच मीडिया में यह खबर आई कि बाढ़ के दौरान दिल्ली में आईटीओ बैराज के 4 गेट नहीं खोले गए थे. खबर सामने आने के बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए फाइंडिंग फैक्ट कमेटी गठित कर दी. अब इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद चीफ इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिरी है.

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यमुना बैराज पर तैनात SDO को किया चार्जशीट: यमुना में बाढ़ नियंत्रण में लापरवाही को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल एक्शन में आ गए हैं. दिल्ली में ITO यमुना बैराज के बाढ़ के दौरान 4 गेट नहीं खोले जाने पर मनोहर लाल ने चीफ इंजीनियर संदीप तनेजा को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही SE तरुण अग्रवाल और XEN मनोज कुमार को चार्जशीट करने के आदेश जारी किए हैं. यमुना बैरोज पर तैनात SDO मुकेश वर्मा को भी अंडर रूल 7 के तहत चार्जशीट किया गया है.

हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही आई सामने: दिल्ली में ITO के पास बैराज के 32 में से 4 गेट नहीं खुलने के खुलासे से दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाए थे. इसके बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने पूरे मामले की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी. कमेटी में जांच के लिए सिंचाई विभाग के 2 चीफ इंजीनियर को शामिल किया गया था. सीएम मनोहर लाल ने 48 घंटे में इसकी जांच कर रिपोर्ट तलब की थी. अब इस मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है. इसमें हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों की तरफ से बड़ी लापरवाही सामने आई है.

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जांच में खुलासा: बैराज के गेट नहीं खुलने के मामले में जब जांच की गई तो, सामने आया कि गेट लगभग 12 फीट गहरे बाढ़ के पानी में डूबे हुए थे और लगभग 12 से 13 फीट की गहराई तक गाद से भरे हुए थे. इन गेटों को केवल तभी उठाया जा सकता है, जब इनके चारों ओर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों ओर से गाद को विशेष तकनीक से हटा दिया जाए.

क्या कहती है जांच रिपोर्ट: रिपोर्ट में बताया गया है कि बैराज गेट संचालन में 2020 के बाद कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है. मानसून में भी गेज रजिस्टर बनाकर नहीं रखा जाता है. यह भी सामने आया है की यहां का प्रबंधन देखने वाले अधिकारियों ने बाढ़ प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा के लिए मानसून से पहले कोई बैठक आयोजित नहीं की और न ही इसकी सूचना मुख्यालय को दी.

रिंग रोड तक कैसे पहुंचा पानी: रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष भी, अधीक्षण अभियंता, एफसी-एक, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली ने अपने पत्र दिनांक 06.07.2022 के माध्यम से यमुना (आईटीओ) बैराज के गेट बंद करने के संबंध में लापरवाही की सूचना दी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि उस समय संचालन के लिए कोई बिजली कनेक्शन उपलब्ध नहीं था. मुख्य रूप से दिल्ली में बाढ़ अधिक अतिक्रमण के कारण आई. जिसके कारण पानी रिंग रोड तक चला गया. नदी के आसपास अत्यधिक और अनियोजित निर्माण से यमुना का प्रवाह बाधित हो रहा है.

ये भी पढ़ें: बाढ़ पर हो रही राजनीति पर बोले CM मनोहर लाल- दिल्ली सरकार को नहीं सौंपेंगे आईटीओ बैराज, SYL को लेकर कही बड़ी बात

पिछला रिकॉर्ड भी जांचा: रिपोर्ट के अनुसार शुष्क मौसम के दौरान नदी का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है. विभिन्न नालों के माध्यम से प्रदूषित पानी को नदी में छोड़ने से गाद जमा हो जाती है. नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है. ऐसे में दिल्ली को गेट नंबर 28 से 32 के सामने रेतीले बेला द्वीप को हटा देना चाहिए. ताकि इन गेटों पर बाढ़ के पानी का प्रवाह हो सके. रिपोर्ट के अनुसार दशकों से यमुना के प्राकृतिक बाढ़ आउटलेट पर व्यवस्थित रूप से अतिक्रमण किया गया है. दिल्ली में बाढ़ के कारण मैदानों को खाली जगह मानकर बड़ी गलती की गई है.

Last Updated : Aug 9, 2023, 8:56 PM IST
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